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Tuesday, May 12, 2020

स्‍तनपान के मुख्‍य संदेश

स्‍तनपान के मुख्‍य संदेश

स्‍तनपान की सूचना प्रसारित करना और उसपर कार्रवाई करना महत्‍वपूर्ण क्‍यों है ?

जिन शिशुओं को स्‍तनपान करवाया गया हो, वे उन शिशुओं की अपेक्षा कम बीमार होते हैं और कुपोषित भी जिनको अन्‍य पेय और खाद्य पदार्थ दिये गये हों। यदि सभी शिशुओं को उनके शुरुआती छह महीनों में केवल मां का दूध दिया गया होता, तो अनुमानित प्रत्‍येक वर्ष 15 लाख बच्चों की जिंदगी बचा ली गई होती और लाखों अन्‍य का स्‍वास्थ्‍य और विकास भी बहुत अच्‍छा रहता।

स्‍तनपान के विकल्‍प का इस्‍तेमाल करना जैसे नवजात फॉर्मूला या पशुओं का दूध बच्चों के स्‍वास्‍थ्‍य को प्रभावित कर सकता है। यह खासकर उन मामलों में होता है जब माता-पिता पर्याप्‍त वैकल्पिक व्‍यवस्‍था नहीं कर सकते जो महंगी होती हैं या फिर उनमें मिलाने के लिए हमेशा साफ पानी का इस्‍तेमाल नहीं करते।

लगभग हरेक मां सफलतापूर्वक स्‍तनपान करवा सकती है। जिन माताओं को स्‍तनपान करवाने में आत्‍मविश्‍वास की कमी लगती है, उन्‍हें बच्चे के पिता का व्‍यावहारिक सहयोग और परिवार के अन्‍य सदस्‍यों, दोस्‍तों और रिश्‍तेदारों के प्रोत्‍साहन की जरूरत होती है। स्‍वास्‍थ्‍य कार्यकर्ता, महिला संस्‍थाएं, जन संचार माध्‍यम और कर्मचारी भी सहयोग उपलब्‍ध करवा सकते हैं।

स्‍तनपान के फायदों की सूचना तक प्रत्‍येक की पहुंच होनी चाहिए और इस सूचना को उपलब्‍ध करवाना प्रत्‍येक सरकार का कर्त्‍तव्‍य है।

स्‍तनपान मुख्‍य संदेश-१

केवल मां का दूध ही ऐसा खाद्य और पेय है जो शिशु के लिए शुरूआती छह महीनों में आवश्‍यक होता है। सामान्‍यतौर पर इस दौरान कोई अन्‍य खाद्य या पेय पदार्थ यहां तक कि पानी की भी आवश्‍यकता नहीं होती।

मां का दूध छोटे बच्‍चे के लिए सर्वोत्‍तम भोजन होता है जिसे वह ले सकता है। पशु का दूध, नवजात फॉर्मूला, पाउडर का दूध, चाय, मीठे पेय, पानी और ब्रेकफास्‍ट में लिए जाने वाले खाद्य मां के दूध की अपेक्षा कम पौष्टिक होते हैं।

मां का दूध बच्‍चे को आसानी से पच जाता है। यह सर्वोत्तम वृद्धि व विकास और बीमारियों के विरुद्ध प्रतिरक्षा प्रदान करता है।

गर्म और सूखे मौसम में भी मां के दूध से नवजात शिशु के लिए द्रव्‍य की जरूरत पूरी होती है। पानी और अन्‍य पेय पदार्थ शुरुआती छह महीनों के दौरान आवश्‍यक नहीं होते। शिशु को मां के दूध की अपेक्षा कोई भी अन्‍य खाद्य या पेय पदार्थ देना हैजा और अन्‍य बीमारियों के खतरे को बढ़ाता है।

मां के दूध के बदले में जो चीजें दी जाती हैं और जो पर्याप्‍त पोषक भी हों, वे अत्‍यन्‍त महंगी हैं। उदाहरण के लिए, एक साल में एक शिशु के खाने के लिए 40 किलो (लगभग 80 टिन) नवजात फॉर्मूले की आवश्‍यकता होती है। स्‍वास्‍थ्‍य कार्यकर्ताओं को उन सभी मां को जो मां के दूध के बदले अन्‍य चीजों के इस्‍तेमाल के बारे में सोच रही हों, उन चीजों की कीमतों के बारे में सूचना दे देनी चाहिए।

यदि नियमित वजन माप यह दिखाता है कि छह महीनों के लिए मां का दूध लेने वाला शिशु ठीक तरीके से वृद्धि नहीं कर रहा, तो:

बच्‍चे को थोड़े-थोड़े अंतराल पर अधिक बार स्‍तनपान की जरूरत हो सकती है। 24 घंटे के दौरान कम से कम 12 बार स्‍तनपान करवाना जरूरी हो सकता है। बच्‍चे को कम से कम 15 मिनट तक स्‍तनपान करवाना चाहिए।

  • बच्‍चे को मुंह के भीतर दूध लेने के लिए मां से सहायता की जरूरत हो सकती है।
  • बच्‍चा बीमार हो तो उसे प्रशिक्षित स्‍वास्‍थ्‍य कार्यकर्ता के पास ले जाना चाहिए।
  • पानी और अन्‍य द्रव्‍य मां के दूध को लेने की मात्रा को कम कर सकते हैं।
  • मां को अन्‍य द्रव्‍य नहीं देने चाहिए और केवल स्‍तनपान ही करवाना चाहिए।

छह महीने से अधिक के किसी भी नवजात शिशु को अन्‍य खाद्य और पेयों की भी जरूरत होती है। जब तक बच्‍चा 2 साल या उससे अधिक का न हो जाए तब तक स्‍तनपान निरंतर करवाते रहना चाहिए।

स्‍तनपान मुख्‍य संदेश-२

एक खतरा यह रहता है कि एच.आई.वी संक्रमित महिला स्‍तनपान के जरिए अपने बच्चे को भी संक्रमित कर सकती हैं। जो महिला इससे संक्रमित हों या जिन्‍हें इससे संक्रमित होने की आशंका हो, उन्‍हें प्रशिक्षित स्‍वास्‍थ्‍य कर्मचारी से बच्‍चे को संक्रमित होने के खतरे को कम करने के लिए जाँच, काउंसलिंग और परामर्श लेनी चाहिए।

एच.आई.वी संक्रमण को दूर रखने के बारे में जानना प्रत्‍येक के लिए महत्‍वपूर्ण है। गर्भवती महिलाएं और नई माताओं को इस बारे में जागरूक रहना चाहिए कि यदि वे एच.आई.वी से संक्रमित हैं तो वे गर्भावस्‍था के दौरान अपने नवजात शिशु या जन्‍म के समय या स्‍तनपान के जरिये उसे संक्रमित कर सकती हैं।

संक्रमण को फैलाने के खतने से बचने का सबसे अच्‍छा तरीका इससे संक्रमित होने से बचना ही है। अनजान लोगों से यौन सम्‍बन्‍ध नहीं बनाकर एच.आई.वी के प्रसार के खतरे को कम किया जा सकता है, यदि संक्रमित साथी एक-दूसरे के साथ ही सम्‍बन्‍ध बनाएं, या यदि लोग सुरक्षित सम्‍बन्‍ध बनाएं- सावधानी के साथ या गर्भनिरोधक का इस्‍तेमाल कर सम्‍बन्‍ध बनाये तो इस बीमारी से बचा जा सकता है।

गर्भवती महिला और नई माताएं जो इससे संक्रमित हों या जिन्‍हें इससे संक्रमित होने की आशंका हो, उन्‍हें प्रशिक्षित स्‍वास्‍थ्‍य कार्यकर्ता से जाँच, काउंसलिंग के लिए सलाह-मशविरा करना चाहिए।

स्‍तनपान मुख्‍य संदेश-३

नवजात शिशुओं को उनकी मां के पास रखना चाहिए और जन्‍म के एक घंटे के भीतर स्‍तनपान शुरू करवाना चाहिए।

एक नवजात शिशु को जितना संभव हो सके उतना मां के शरीर के सम्‍पर्क में रखना चाहिए। एक कमरे में या बिस्‍तर पर मां और शिशु के लिए एक साथ रहना सबसे अच्‍छा होता है। शिशु जितनी बार चाहे, उतनी बार उसे स्‍तनपान करवाना चाहिए।

जन्‍म के बाद बच्चे को जल्‍द से जल्‍द स्‍तनपान शुरू करवाने से दूध की मात्रा बढ़ती है। यह मां के गर्भाशय को संकुचित होने में मदद करता है, जो अधिक रक्‍तस्राव या संक्रमण के खतरे को कम कर देता है।

कोलोस्‍ट्रोम, गाढ़ा-पीला दूध, जो बच्‍चे के जन्‍म के शुरूआती कुछ दिनों में मां के स्‍तन से निकलता है, नवजात शिशु के लिए सर्वोत्‍तम होता है। यह अत्‍यधिक पौष्टिक होता है और शिशु की संक्रमणों से रक्षा करता है। कभी-कभी माताओं को अपने शिशुओं को कोलेस्‍ट्रोम न देने की सलाह दी जाती है। यह सलाह गलत है।

मां के दूध की सप्‍लाई के बढ़ने का इंतजार करते समय शिशु को किसी अन्‍य खाद्य या पेय पदार्थ की जरूरत नहीं होती।

यदि महिला अस्‍पताल या क्‍लीनिक में बच्चे को जन्‍म देती है तो उसे एक दिन के चौबीसों घंटे एक ही कमरे में बच्‍चे को अपने पास रखने की अपेक्षा करने का अधिकार होता है, और यदि वह स्‍तनपान करवा रही हो तो शिशु को काई फॉर्मूला या पानी देने की आवश्‍यकता नहीं होगी।

स्‍तनपान मुख्‍य संदेश-४

थोड़े-थोड़े समय पर स्‍तनपान करवाने से अधिक दूध बन सकता है। लगभग प्रत्‍येक मां सफलतापूर्वक स्‍तनपान करवा सकती है।

अधिकतर नई माताओं को स्‍तनपान शुरू करवाने में मदद या प्रोत्‍साहन की जरूरत होती है। अन्य महिलाएं जो सफलतापूर्वक स्‍तनपान करवा चुकी हों या परिवार के सदस्य, दोस्‍त या महिलाओं के स्‍तनपान सहयोग समूह की सदस्‍य माता को अनिश्चितता और कठिनाइयों को रोकने में मदद कर सकती हैं।

मां अपने शिशु को कैसे पकड़े और शिशु मुंह में स्‍तन को कैसे रखे बहुत महत्वपूर्ण है। सही अवस्‍था में शिशु को पकड़ना शिशु के लिए स्‍तन को अपने मुंह में लेने और चूसने को आरामदायक बनाता है।

स्‍तनपान के लिए शिशु के सही अवस्‍था में होने के कुछ संकेत:

  • शिशु का पूरा शरीर मां की तरफ मुड़ा हुआ हो।
  • शिशु माता के नजदीक हो।
  • शिशु आरामदायक अवस्‍था में और खुश हो।

गलत तरीके से शिशु को पकड़ना कुछ मुश्किलों का कारण बन सकता है जैसे:

  • निप्‍पल में दर्द होना और फट जाना।
  • पर्याप्‍त दूध न होना।
  • पीने से इनकार।

शिशु के अच्‍छी तरह से दूध पीने के संकेत:

  • शिशु का मुंह चौड़ाई में खुला हुआ हो।
  • शिशु की ठोढ़ी मां के स्‍तन के सम्‍पर्क में हो।
  • मां के निप्‍पल के चारों ओर वाली अधिकतर काली जगह शिशु के मुंह से नीचे की तुलना में ऊपर अधिक नजर आए।
  • शिशु द्वारा की जा रही चूषण क्रिया लम्‍बी और गहरी हो।
  • माता अपने निप्‍पल में कोई दर्द महसूस न करे।

लगभग प्रत्‍येक मां पर्याप्‍त दूध दे सकती है जब:

  • वह स्‍तनपान पूरा करवाती हो।
  • शिशु सही अवस्‍था में हो और निप्‍पल उसके मुंह में सही तरीके से हो।
  • शिशु जितनी बार चाहे और जितनी देर तक चाहे, रात में भी उतनी देर तक स्‍तनपान करवाती हो।

 

जन्‍म से ही शिशु जब भी चाहे उसे स्‍तनपान करवाना चाहिए। यदि नवजात शिशु स्‍तनपान करवाने के बाद तीन घंटे से अधिक की नींद लेता हो, तो उसे जगाकर दूध पिलाया जा सकता है।

  • शिशु का रोना यह संकेत नहीं करता कि उसे अन्‍य खाद्य या पेय पदार्थ की जरूरत है। इसका सामान्‍य सा अर्थ यह है कि शिशु और अधिक आपको पकड़े और आपके साथ लिपटे रहना चाहता है। कुछ शिशु को आराम के लिए स्‍तन चूसने की जरूरत होती है। अधिक चूसना अधिक दूध पैदा करेगा।
  • जिन मां को डर होता है कि वे पर्याप्‍त दूध नहीं दे पाएंगी, अक्‍सर जीवन के शुरुआती कुछ म‍हीनों में अपने शिशुओं को अन्‍य खाद्य या पेय पदार्थ देती हैं। लेकिन, इसका कारण शिशु द्वारा कम चूसना होता है, जिससे कम दूध बनता है। मां का दूध अधिक बनेगा यदि वह शिशु को अन्‍य खाद्य या पेय नहीं देगी और स्‍तनपान ही करवाएगी।
  • पेसिफियर्स, विकल्‍प या बोतल स्‍तनपान कर चुके शिशु को नहीं दिया जाना चाहिए क्‍योंकि उनको चूसने का तरीका स्‍तन से दूध पीने से काफी अलग होता है। पेसिफियर्स और बोतल का इस्‍तेमाल मां के दूध के कम बनने का कारण हो सकता है और शिशु स्‍तनपान कम कर सकता या छोड़ सकता है।
  • माताओं को निश्चिंत होने की आवश्‍यकता है कि वे अपने छोटे बच्‍चे को अपना दूध पूरी तरह पिला सकें। उन्‍हें बच्‍चे के पिता, उनके परिवारों, पड़ोसियों, दोस्‍तों और स्‍वास्‍थ्‍य कार्यकर्ताओं, कर्मचारियों और महिला संस्‍थाओं के सहयोग और प्रोत्‍साहन की जरूरत होती है।
  • स्‍तनपान एक महिला को आराम करने का अवसर उपलब्‍ध करवा सकता है। पिता और परिवार के अन्य सदस्‍य महिला द्वारा स्‍तनपान करवाने के दौरान उसे आराम करने के लिए प्रोत्‍साहित कर मदद कर सकते हैं। वे यह भी सुनिश्चित कर सकते हैं कि मां को पर्याप्‍त भोजन और घर के कामों में सहायता मिले।

 

स्‍तनपान मुख्‍य संदेश-५

स्‍तनपान शिशुओं और छोटे बच्‍चों को गंभीर बीमारियों से लड़ने में मदद करता है। यह मां और बच्‍चे के बीच एक विशिष्‍ट सम्‍बन्‍ध भी बनाता है।

मां का दूध बच्‍चे का 'पहला टीकाकरण' है। यह हैजा, कान और छाती के संक्रमण तथा अन्‍य स्‍वास्‍थ्‍य समस्‍याओं के विरुद्ध प्रतिरोधक क्षमता प्रदान करता है। जब शिशु को शुरुआती महीनों में केवल मां का दूध दिया जाए और दूसरे वर्ष या उससे अधिक समय तक स्‍तनपान जारी रहे तो यह प्रतिरोधक क्षमता गजब की होती है। अन्‍य कोई पेय और खाद्य पदार्थ ऐसी प्रतिरोधक क्षमता उपलब्‍ध नहीं करवा सकता।

आमतौर पर स्‍तनपान कर रहे शिशु, उन शिशुओं की अपेक्षा जो बोतल के भरोसे छोड़ दिये गये हैं अधिक ध्‍यान प्राप्‍त करते हैं। देखभाल नवजात की वृद्धि और विकास तथा उसे अधिक सुरक्षित महसूस करवाने में मदद करता है।

स्‍तनपान मुख्‍य संदेश-६

बच्चे को बोतल से दूध पिलाना बीमारी और मृत्‍यु की संभावना को बढ़ा सकता है। यदि एक महिला अपने नवजात शिशु को स्‍तनपान नहीं करवा सकती, तो बच्‍चे को मां के दूध के विकल्‍प को सामान्‍य साफ कप से देना चाहिए।

गंदी बोतलें और स्‍तनाग्र हैजा और कान के संक्रमण जैसी बीमारी का कारण बन सकते हैं। हैजा शिशुओं के लिए घातक हो सकता है। यदि बोतल को हर बार शिशु को दूध पिलाने से पहले उबले हुए पानी से साफ किया जाए और स्‍तनाग्र भी साफ हों, तो बीमारी का खतरा कम हो सकता है, लेकिन बोतल से पीने वाले शिशु स्‍तनपान कर रहे शिशुओं की अपेक्षा हैजा और अन्‍य सामान्‍य संक्रमणों के खतरे के प्रति ज्यादा अरक्षित होते हैं।

जो शिशु स्‍तनपान नहीं कर सकता उसके लिए सर्वोत्‍तम भोजन मां के स्‍तन से निकाला हुआ दूध या किसी अन्‍य स्‍वस्‍थ माता का दूध है। मां का दूध साफ और खुले कप में दिया जाना चाहिए।

यहां तक कि नवजात शिशु को भी खुले कप से पिलाया जा सकता है जो आसानी से साफ भी हो सकता है।

किसी भी शिशु के लिए जिसकी अपनी मां का दूध उपलब्‍ध नहीं है, उसके लिए किसी अन्‍य माता का दूध सर्वोत्‍तम भोजन है।

यदि मां का दूध उपलब्‍ध नहीं है, मां के दूध का एक पौष्टिक और पर्याप्‍त विकल्‍प कप द्वारा दिया जाना चाहिए। नवजात जिन्‍हें मां के दूध का विकल्‍प दिया गया हो, उन्‍हें स्‍तनपान किए हुए नवजात की अपेक्षा बीमारी और मृत्‍यु का गंभीर खतरा होता है।

शिशु को मां के दूध का विकल्‍प देना कम वृद्धि और बीमारी का कारण हो सकता है, यदि अधिक पानी या बहुत कम पानी उसमें मिलाया जाता हो या पानी साफ न हो। पानी को उबालना और फिर पानी को ठंडा करना तथा मां के दूध के विकल्‍प में सावधानीपर्वूक मिश्रित करने के लिए निर्देशों का पालन करना महत्‍वपूर्ण है।

पशु का दूध और नवजात फॉर्मूला खराब हो सकता है यदि उसे कुछ घंटों के लिए कमरे के तापमान में छोड़ दिया जाए। मां का दूध बिना खराब हुए कमरे के तापमान में आठ घंटे तक रखा जा सकता है। उसे साफ और ढके हुए बर्तन में रखें।

स्‍तनपान मुख्‍य संदेश-७

छह महीने बाद शिशु को विभिन्‍न पूरक भोजन की आवश्‍यकता होती है, लेकिन जब तक बच्‍चा 2 साल या उससे अधिक का न हो जाए तब तक स्‍तनपान निरंतर करवाते रहना चाहिए।

बच्‍चों के छह महीने के हो जाने पर हालांकि उन्‍हें पूरक भोजन की आवश्‍यकता होती है, लेकिन तब भी मां का दूध उर्जा, प्रोटीन और विटामिन ए और लौह पदार्थ जैसे अन्‍य महत्‍वपूर्ण पोषक तत्‍वों का एक महत्‍वपूर्ण स्रोत होता है। बच्‍चा जब तक स्‍तनपान करता रहता है, तब तक मां का दूध बीमारियों से लड़ने में उसकी सहायता करता है।

छह महीने से लेकर 1 वर्ष तक अन्‍य भोजन देने से पहले स्‍तनपान करवाया जाना चाहिए ताकि बच्‍चा प्रत्‍येक दिन पहले मां के दूध की पर्याप्‍त मात्रा प्राप्‍त कर लें। बच्‍चे के भोजन में छिलके समेत पकाई हुई और कुचली हुई सब्जियां, अनाज, दालें और फल, कुछ तेल के साथ मछली, अण्‍डे, मुर्गा, मीट या विटामिन और खनिज पदार्थ उपलब्ध करवाने वाले डेयरी के उत्‍पाद शामिल होने चाहिए। दूसरे वर्ष में स्‍तनपान, भोजन के बाद और अलग समय पर भी करवाया जाना चाहिए। मां जब तक बच्‍चा और वह चाहे, तब तक स्‍तनपान करवाना जारी रख सकती है।

पूरक भोजन के लिए सामान्‍य निर्देश:

6 महीने से 12 महीनों तक:

  • स्‍तनपान थोड़े-थोड़े अंतराल पर और एक दिन में अन्‍य भोजन तीन से पांच बार तक दें।

12 से 24 महीनों तक :

  • स्‍तनपान थोड़े-थोड़े अंतराल पर और परिवार के लिए बनने वाले भोजन को दिन में पांच बार दें।

24 महीनों से बाद के लिए :

  • यदि मां और बच्‍चा दोनों चाहते हैं, तो स्‍तनपान करवाना जारी रखें और बच्चे को परिवार के लिए बनने वाले भोजन को दिन में पांच बार दें।
  • जब बच्‍चे घुटनों के बल चलना, पैरों पर चलना, खेलना और मां के दूध की अपेक्षा अन्‍य खाद्य पदार्थ खाना शुरू करते हैं तो वे जल्‍दी-जल्‍दी बीमार हो जाते हैं। एक बीमार बच्‍चे को पर्याप्‍त मात्रा में मां का दूध चाहिए होता है। जब बच्‍चे की अन्‍य भोजन लेने की इच्‍छा नहीं करती, मां का दूध पौष्टिक, आसानी से पचने वाला भोजन होता है। जो बच्‍चा परेशान है, स्‍तनपान उस बच्‍चे को आराम दे सकता है।

स्‍तनपान मुख्‍य संदेश-८

घर से दूर एक कामकाजी महिला अपने बच्‍चे को स्‍तनपान करवाना जारी रख सकती है यदि वह जब संभव हो और जब वह शिशु के साथ हो, तब स्‍तनपान करवा सकती है।

यदि मां काम के घंटों के दौरान अपने शिशु के साथ नहीं रह सकती, तो उसे जब वे साथ हो तो बीच-बीच में स्‍तनपान करवाना चाहिए। थोड़े-थोड़े अंतराल पर स्‍तनपान करवाने से दूध अच्‍छी तरह बनता रहेगा।

यदि कोई महिला कार्यस्‍थल पर स्‍तनपान नहीं करवा सकती, तो उसे दिन में दो-तीन बार अपने दूध को किसी साफ बर्तन में निकाल लेना चाहिए। मां के दूध को कमरे के तापमान पर बिना खराब हुए आठ घंटों तक रखा जा सकता है। निकाला हुआ दूध बच्‍चे को साफ कप में दिया जा सकता है।

मां के दूध का वैकल्पिक पेय पदार्थ नहीं देना चाहिए।

परिवार और समुदाय मालिक को बिना वेतन काटे मातृ अवकाश, क्रैश, और समय तथा जहां महिलाएं स्‍तनपान करवा सकें या अपने दूध को निकाल कर सुरक्षित रख सकें, ऐसे स्‍थान उपलब्‍ध करवाने के लिए प्रोत्‍साहित कर सकते हैं।

स्‍तनपान मुख्‍य संदेश-९

स्‍तनपान एक महिला को कम से कम छह महीनों के लिए गर्भव‍ती न होने की 98 फीसदी सुरक्षा प्रदान करता है- लेकिन यह केवल तब, जब उसका मासिक-धर्म दोबारा शुरू न हुआ हो, यदि शिशु सुबह-शाम स्‍तनपान कर रहा हो, और यदि शिशु को अन्‍य कोई खाद्य और पेय पदार्थ या वैकल्पिक पेय न दिया गया हो।

जब तक बच्‍चा स्‍तनपान करता रहेगा, माता के मासिक धर्म की दोबारा शरुआत में उतना ही वक्‍त लगेगा। यदि मां 24 घंटे में आठ बार से कम बार स्‍तनपान करवाती है या अन्‍य खाद्य या पेय देती है, या पेसिफियर या वैकल्पिक पेय देती है, तो बच्‍चा कम मात्रा में दूध प्राप्‍त करेगा जो मां के मासिक धर्म को जल्‍द शुरुआत का कारण हो सकता है। यह संभव है कि उसके मासिक-चक्र के वापस आने से पहले ही वह फिर गर्भवती हो जाए। इसका खतरा जन्‍म के छह महीनों के बाद बढ़ता है।

एक महिला जो अगला बच्‍चा देरी से करने की इच्‍छा रखती है, उसे परिवार नियोजन का कोई अन्‍य तरीका चुनना चाहिए अगर निम्‍न में से कुछ भी हो गया हो:

  • उसके मासिक धर्म की दोबारा शुरुआत हो गई हो।
  • उसका बच्‍चा अन्‍य खाद्य या पेय ले रहा हो या पेसिफियर या वैकल्पिक पेय का इस्‍तेमाल कर रहा हो।
  • उसका बच्‍चा छह महीने का हो गया हो।

जब तक बच्‍चा दो साल या उससे अधिक का न हो जाए, तब तक महिला को दोबारा गर्भवती होने से बचना चाहिए, यह मां और बच्‍चे दोनों के स्‍वास्‍थ्‍य के लिए अच्‍छा है। सभी नये माता-पिता को स्‍वास्‍थ्‍य कार्यकर्ता या प्रशिक्षित दाई द्वारा परिवार नियोजन की सलाह लेनी चाहिए।

गर्भावस्‍था को रोकने के अधिकतर उपाय मां के दूध की गुणवत्‍ता पर कोई प्रभाव नहीं डालते। हालांकि, कुछ ओस्‍ट्रेजन सहित कुछ गर्भनिरोधक गोलियां मां के दूध की मात्रा को घटा सकती हैं। प्रशिक्षित स्‍वास्‍थ्‍य कार्यकर्ता स्‍तनपान करवा रही महिला के लिए सबसे अच्‍छी गर्भ-निरोधक के तरीके की सलाह उपलब्‍ध करवा सकता है।

Sunday, May 10, 2020

1921 नंबर पर मिस कॉल करके फीचर फोन मे आरोग्य सेतु का इस्तेमाल कर पाएंगे

अब फीचर फोन में 1921 नंबर पर मिस कॉल करके आरोग्य सेतु का इस्तेमाल कर पाएंगे, जानें क्या है तरीका


केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने 'आरोग्य सेतु इंटरएक्टिव वॉयस रिस्पांस सिस्टम' की घोषणा की है. जिसे आरोग्य सेतु मोबाइल एप्लिकेशन की मदद से फीचर फोन और लैंडलाइन कनेक्शन में भी इस्तेमाल किया जा सकता है. यह सेवा अब तक ऐप के रूप में iOS और Android स्मार्टफोन तक सीमित थी

आरोग्य सेतु इंटरएक्टिव वॉयस रिस्पांस सिस्टम (IVRS) टोल-फ्री सेवा पूरे देश में सभी नागरिकों के लिए उपलब्ध होगी. मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि इस सेवा का उपयोग करने के लिए नागरिकों को ‘1921’ पर मिस्ड कॉल देनी होगी. साथ ही उन्हें अपने स्वास्थ्य के बारे में जानकारी के लिए अनुरोध करना होगा. नागरिकों की ओर से दिए गए इनपुट को आरोग्य सेतु डेटाबेस में जोड़ा जाएगा.

पीटीआई के अनुसार एक आधिकारिक बयान में कहा गया है कि सवालों के जवाबों को अरोग्य सेतु ऐप के साथ जोड़ दिया गया है. लोगों को एसएमएस से भी अलर्ट मिलेगा. यह सेवा 11 भाषाओं में लागू की गई है. बता दें कि आरोग्य सेतु ऐप 11 भाषाओं में उपलब्ध है.

गौरतलब है कि भारत में लगभग 9 करोड़ लोगों ने आरोग्य सेतु ऐप डाउनलोड की है. नए आईवीआरएस सिस्टम के लिए आरोग्य सेतु मित्र पोर्टल भी है. जिसकी मदद से यूजर्स घर पर डायग्नोस्टिक्स और मेडिसिन डिलीवरी और कोविड -19 पर डॉक्टरों से मुफ्त परामर्श ले सकते हैं. पोर्टल या वेबसाइट पर तीन ऑपशन्स दिए गए हैं- डॉक्टर से परामर्श करें, होम लैब टेस्ट और ePharmacy.


नीति आयोग ने आरोग्य सेतु मित्र वेबसाइट की लॉन्च, घर बैठे मिलेगा डॉक्टरी परामर्श

NITI Aayog launches Aarogya Setu Mitr website

नीति आयोग ने आरोग्य सेतु मित्र वेबसाइट लॉन्च की है. इसके लिए नीति आयोग ने प्रधानमंत्री के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार के साथ साझेदारी की है. वेबसाइट का लक्ष्य कोविड-19 संकट के समय में सभी भारतीयों की चौखट पर स्वास्थ्य सेवा पहुंचाना है. आरोग्य सेतु मित्र पर यूजर्स को कोविड -19 के बारे में डॉक्टरों से मुफ्त परामर्श मिलेगा.

इस वेबसाइट पर लॉग इन करके यूजर्स तीन ऑप्शन्स में से किसी के लिए विकल्प चुन सकते हैं: डॉक्टर से परामर्श, होम लैब टेस्ट और ePharmacy. होम लैब टेस्ट सेक्शन में डॉक्टर लाल पैथलैब्स, एसआरएल डायग्नोस्टिक्स, मेट्रोपोलिस, थायरोकेयर और अन्य शामिल हैं. इनमें से किसी पर क्लिक करने से यूजर कंपनी की वेबसाइट पर पहुंच जाता है. जहां से वे परीक्षण के लिए आवेदन कर सकता है. EPharmacy टैब आपको 1mg, netmeds.com, MedLife और PharmEasy से दवाएं ऑर्डर करने देता है, साथ ही डॉक्टरों से परामर्श ऑप्शन पर क्लिक करके यूजर eSanjeevani OPD, Swasth, StepOne, Tata Bridgital Health और Tech Mahindra's Conectense Telehealth platform के साथ जुड़ना चुन सकते हैं. चैट, कॉल या वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से कनेक्ट करना भी संभव है.

ये वेबसाइट स्वयंसेवकों की साझेदारी के साथ, पीएसए और नीतीयोग के कार्यालयों के तहत ऑपरेट होती है. हालांकि अभी आरोग्य सेतु मित्र के लिए कोई ऐप नहीं बनाया गया है.

Sunday, May 10, 2020

सुरक्षित मातृत्व के मुख्य सन्देश

सुरक्षित मातृत्व के मुख्य संदेश

हर साल कोई 1,400 महिलाएं गर्भधारण और प्रसव से जुड़ी दिक्कतों के कारण मर जाती हैं। गर्भावस्था के दौरान हजारों हजार दूसरी महिलाएं पेचदिगियों का शिकार हो जाती हैं, इनमें से कई महिलाओं और उनके बच्चों के लिए जानलेवा होती हैं, या उन्हें गम्भीर रूप से अक्षम बना कर छोड़ देती हैं।

प्रसव के खतरों को बहुत घटाया जा सकता है, अगर महिला गर्भावस्था से पहले स्वस्थ हो और पोषण से भरपूर हो, अगर हरेक गर्भधारण के दौरान कम से कम चार बार प्रशिक्षित स्वास्थ्य कार्यकर्ता से उसकी जांच हो, और अगर डॉक्टर, नर्स, या दाई जैसे प्रशिक्षित के जरिये उसका प्रसव कराया गया हो। बच्चे की पैदाइश के 12 घंटे बाद और प्रसव के छह सप्ताह बाद भी महिला की जांच की जानी चाहिए।

प्रसव से पहले और प्रसव बाद की सेवाएं उपलब्ध कराने, प्रसव में मदद के लिए स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षण देने, और गर्भावस्था और प्रसव के दौरान गम्भीर दिक्कतों से घिरी महिलाओं के लिए देखभाल और आगे बढ़ी स्वास्थ्य सेवाओं का खास इंतजाम करने की मुख्य जिम्मेदारी सरकारों की है।

ज्यादातर सरकारों ने महिलाओं के खिलाफ किसी भी तरह के भेदभाव के खात्मे के सम्मेलन के अंतरराष्ट्रीय समझौते को अपनी मंजूरी दी है, जिसमें जरूरतमंद गर्भवती महिलाओं के लिए सेवाएं उपलब्ध कराने की कानूनी बाध्यता शामिल है।

सुरक्षित मातृत्व मुख्य संदेश-१

सभी परिवारों के लिए गर्भावस्था और प्रसव के खतरों के निशान की पहचान करने में सक्षम होना और अगर समस्या उठती है तो तुरंत प्रशिक्षित लोगों से मदद हासिल करने के लिए योजना और संसाधनों का होना महत्वपूर्ण है।

हरेक गर्भावस्था में कुछ गड़बड़ हो जाने का खतरा रहता है। इन कई पेचीदगियों से बचा जा सकता है। मां और बच्चे दोनों के लिए पहला प्रसव सबसे ज्यादा खतरनाक होता है।

गर्भवती महिला को हरेक गर्भधारण के दौरान क्लीनिक या स्वास्थ्य केंद्रों पर कम से कम चार बार जांचे जाने की जरूरत होती है। इस बारे में कि बच्चा कहां पैदा होना चाहिए, प्रसव के लिए प्रशिक्षित कर्मियों की सलाह लेना भी महत्वपूर्ण है ;जैसे डॉक्टर, नर्स या दाई।

चूंकि गर्भावस्था के दौरान बिना चेतावनी के खतरनाक दिक्कत खड़ी हो सकती है, इसलिए प्रसव के पहले या प्रसव के तुरंत बाद परिवार के सभी सदस्यों को यह जानने कि जरूरत हों कि नजदीकी अस्पताल या स्वास्थ्य केंद्र कहां है, और किसी भी समय महिला को वहां तक ले जाने के लिए योजना और धन का इंतजाम करने की जरूरत है। अगर संभव है तो मां बनने वाली महिला को फौरी तौरपर स्वास्थ्य केंद्र या अस्पताल के नजदीक ले जाना चाहिए, ताकि वह चिकित्सकीय मदद की पहुंच में रहे।

परिवार को अगर पता हो कि प्रसव मुश्किल या खतरनाक हो सकता है तो प्रसव को अस्पताल या जच्चा-बच्चा केंद्र में होना चाहिए। सभी प्रसव, खासकर पहला प्रसव, जच्चा-बच्चा केंद्र या अस्पताल में ज्यादा सुरक्षित होता है।

सभी परिवारों को खास खतरों के बारे में जानने और कभी भी आने वाली दिक्कतों के खतरों के निशानों की पहचान में सक्षम होने की जरूरत है।

गर्भावस्था से पहले के खतरों के कारक

  • पिछले प्रसव के बाद दो साल से भी कम का समय का अंतर हो।
  • लड़की की उम्र 18 साल से कम या महिला की उम्र 35 साल से ज्यादा हो।
  • महिला के पहले से ही चार या उससे अधिक बच्चे हों।
  • महिला का पिछला प्रसव समय से पहले हुआ हो या उसका बच्चा जन्म के समय 2 किलोग्राम से भी कम वजन का रहा हो।
  • महिला को पिछले प्रसव में भी दिक्कत आयी हो या ऑपरेशन से प्रसव हुआ हो।
  • पिछली बार गर्भ गिर चुका हो या महिला को मरा बच्चा हुआ हो।
  • महिला का वजन 38 किलोग्राम से कम हो।
  • महिला का खतना हुआ हो या उसके यौन अंग काटे गये हों।

गर्भावस्था के दौरान खतरे के निशान

  • वजन का न बढ़ना; गर्भावस्था के दौरान कम से कम 6 किलोग्राम बढ़ना चाहिए।
  • खून की कमी, पलकों के भीतर पीलापन; स्वस्थ पलें लाल या गुलाबी होती हैं, बहुत थकान या सांस फूलना।
  • पैर, हाथ या चेहरे पर गैर मामूली सूजन।
  • गर्भ का चलना बहुत कम या बिल्कुल नहीं।

मदद की तुरंत जरूरत वाले निशान

  • गर्भावस्था के दौरान योनि से खून या उसके थक्के आना या प्रसव के बाद खून का ज्यादा या लगातार आना।
  • सिर या पेट में जबरदस्त दर्द होना।
  • गंभीर रूप से या लगातार उल्टियां होना।
  • तेज बुखार आना।
  • बच्चे की पैदाइश के तयशुदा समय से पहले पानी आना।
  • ऐंठन होना।
  • तेज दर्द होना।
  • प्रसव का लंबा खिंचना।

सुरक्षित मातृत्व मुख्य संदेश-२

डॉक्टर, नर्स या प्रशिक्षित दाई जैसे प्रसव के लिए प्रशिक्षित लोगों से गर्भावस्था के दौरान कम से कम चार बार महिला की जांच करानी चाहिए और हरेक प्रसव में सहयोग करनी चाहिए।

हरेक गर्भावस्था ध्यान दिये जाने की मांग करती है, इसलिए कि कुछ गड़बड़ हो जाने का खतरा हमेशा बना रहता है। कई खतरों को टाला जा सकता है, अगर महिला को गर्भ ठहरने का अंदेशा हो तो उसे जल्द स्वास्थ्य केंद्र या प्रसव के लिए प्रशिक्षित लोगों से मदद लेनी चाहिए। इसके बाद हरेक गर्भावस्था के दौरान उसकी कम से कम चार बार जांच होनी चाहिए और हर प्रसव के 12 घंटे बाद और छह सप्ताह बाद भी जांच करायी जानी चाहिए।

गर्भावस्था के दौरान अगर खून रिस रहा हो या पेट में दर्द हो या ऊपर दर्ज किये गये खतरे का कोई भी निशान हो, तो तुरंत स्वास्थ्य कार्यकर्ता या लोगों से संपर्क करनी चाहिए।

प्रसव के समय प्रशिक्षित कर्मियों का सहयोग और प्रसव के 12 घंटे बाद हुई मां की जांच, मां या बच्चे के बीमार पड़ने या मर जाने की संभावना घटा देती है।

प्रशिक्षित कर्मियों, जैसे डॉक्टर- नर्स या प्रशिक्षित दाई सुरक्षित गर्भावस्था और शिशु के स्वस्थ होने में इस तरह मदद करेगा-

  • गर्भावस्था प्रगति की जांच, ताकि कोई समस्या आने पर प्रसव के लिए महिला को अस्पताल पहुंचाया जा सके।
  • उच्च रक्तचाप की जांच, जो मां और बच्चे दोनों के लिए खतरनाक हो सकता है।
  • नियमित रूप से खून कमी की जांच और आयरन/फोलिक पूरक देकर उसकी पूर्ति।
  • मां और नवजात शिशु को संक्रमण से बचाने के लिए विटामिन की पर्याप्त खुराक का नुस्खा देकर; विटामिन ए की कमी वाले इलाकों में।
  • गर्भावस्था के दौरान किसी भी संक्रमण, खास कर पेशाब के रास्ते के संक्रमण की जांच और एंटीबायोटिक से उसका इलाज करके।
  • मां और नवजात शिशु को टिटनेस से बचाव के लिए गर्भवती महिला को टिटनेस का दो इंजेक्शन देकर।
  • घेंघा रोग से खुद को और अपने बच्चे को संभावित दिमागी और शारीरिक अपंगता से बचाने में मदद के लिए सभी गर्भवती महिलाओं को भोजन में केवल आयोडीन नमक के इस्तेमाल को बढ़ावा देकर।
  • यह जांच करके कि गर्भ की बढ़त ठीक है या नहीं।
  • अगर जरूरी हो तो मलेरिया रोधी गोली देना।
  • प्रसव के अनुभवों के लिए मां को तैयार करना और उसे स्वयं तथा अपने बच्चे की देखभाल करने और अपना दूध पिलाने के बारे में सलाह देकर तैयार करना।
  • गर्भवती महिला और उसके परिवार को सलाह देकर कि बच्चा कहां पैदा हो और अगर प्रसव या प्रसव के तुरंत बाद कोई दिक्कत आये तो मदद कैसे हासिल की जाये।
  • यह सलाह देकर कि यौन-जनित संक्रमणों से कैसे बचा जा सकता है।
  • एच.आई.वी की स्वैच्छिक और गोपनीय जांच और सलाह उपलब्ध करा कर। सभी महिलाओं को एच.आई.वी की स्वैच्छिक और गोपनीय जांच और सलाह का अधिकार है। जो गर्भवती और नयी माताएं संक्रमण का शिकार हैं या उन्हें अंदेशा रहता कि वे कहीं संक्रमण का शिकार तो नहीं हैं। उन्हें प्रशिक्षित स्वास्थ्य कार्यकर्ता से सलाह लेनी चाहिए कि अपने शिशुओं को संक्रमण के खतरों से कैसे बचाया जा सकता है, और कैसे अपनी देखभाल की जा सकती है।

प्रशिक्षित व्यक्ति जानता है कि प्रसव के दौरान-

  • प्रसव काल लंबा खिंच रहा है (12 घंटे से अधिक) तो उसे कब अस्पताल ले जाने की जरूरत है।
  • चिकित्सीय मदद की कब जरूरत है और उसे कैसे हासिल किया जाये।
  • संक्रमण के खतरों को कैसे कम किया जाये; साफ-सुथरे हाथ, साफ-सुथरे औजार और प्रसव की साफ-सुथरी जगह।
  • अगर बच्चे की स्थिति सही नहीं है तो क्या किया जाये।
  • अगर मां को बहुत खून आ रहा है तो क्या किया जाये।
  • नाभि नाल कब काटी जाये और उसकी देखभाल कैसे की जाये।
  • अगर सही तरीके से बच्चा सांस लेना शुरू नहीं करता तो क्या किया जाये।
  • जन्म के बाद बच्चे को सूखा और गर्म कैसे रखा जाये।
  • जन्म के तुरन्त बाद बच्चे को मां का दूध कैसे पिलाया जाये।
  • जन्म के बाद कौन सी सावधानी बरती जाये और मां की देखभाल कैसे की जाये।
  • अंधेपन से बचाने के लिए सुझायी गयी बूंदें नवजात शिशु की आंख में कैसे डाली जायें।

प्रसव के बाद प्रशिक्षित कर्मियों को चाहिए कि -

  • जन्म के 12 घंटे के अंदर और छह सप्ताह के बाद, महिला के स्वास्थ्य की जांच करें।
  • अगले गर्भधारण को रोकने या टालने के लिए महिला को सलाह दें।
  • महिला को सलाह दें कि एच.आई.वी जैसे यौन जनित संक्रमण से बचाव कैसे किया जा सकता या शिशुओं के संक्रमण का शिकार हो जाने के खतरों को कैसे कम किया जा सकता है।

सुरक्षित मातृत्व मुख्य संदेश-३

सभी गर्भवती महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान आम दिनों से कहीं ज्यादा खास कर पौष्टिक भोजन और आराम की जरूरत होती है।

गर्भवती महिला को परिवार में उपलब्ध बेहतर भोजन की जरूरत होती है - दूध, फल, सब्जियां, गोश्त, मछली, अंडा, अनाज, मटर और फलियां। गर्भावस्था के दौरान यह सभी भोजन सुरक्षित होते हैं।

अगर महिलाएँ आयरन, विटामिन ए और फॉलिक एसिड से भरपूर भोजन करती हैं तो वे गर्भावस्था के दौरान स्वयं को ताकतवर और सेहतमंद महसूस करेंगी। इस भोजन में शामिल है- माँस, मछली, अंडा, पत्तेदार हरी सब्जियां और नारंगी या पीले फल और सब्जियां। स्वास्थ्य कार्यकर्ता खून की कमी से बचने या उसका इलाज करने के लिए गर्भवती महिलाओं को आयरन की गोलियां, और विटामिन ए की कमी वाले इलाकों में संक्रमण की रोकथाम के लिए विटामिन ए की पर्याप्त खुराक दे सकता है।

गर्भवती महिलाओं को विटामिन ए की रोजाना 10,000 अंतर्राष्ट्रीय इकाइयां (आईयू) या सप्ताह में 25,000 आईयू से ज्यादा नहीं लेनी चाहिए।

इस्तेमाल किया जा रहा नमक आयोडीन वाला होना चाहिए। जिन महिलाओं के भोजन में पर्याप्त आयोडीन नहीं होता, उन्हें बच्चा गिर जाने और शिशु के दिमागी या शारीरिक तौर पर अक्षम हो जाने का खतरा रहता है। घेंघा (गले के सामने सूजन) साफ कर देता है कि महिला को पर्याप्त आयोडीन नहीं मिल रहा है।

अगर खून की कमी, मलेरिया या हुकवर्म होने का अंदेशा है तो गर्भवती महिला को स्वास्थ्य कार्यकर्ता से सलाह लेनी चाहिए।

सुरक्षित मातृत्व मुख्य संदेश-४

बीड़ी-सिगरेट, शराब, नशीली दवाएं, जहरीले पदार्थ आदि गर्भवती महिलाओं और छोटे बच्चों के लिए नुकसानदायक होते हैं।

तंबाकू पी कर या ऐसे वातावरण में रह कर जहां दूसरे लोग तंबाकू पीते हों, या शराब पी कर या नशीली दवाएं ले कर गर्भवती महिला खुद अपने स्वास्थ्य को और भ्रूण के स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा सकती है। यह महत्वपूर्ण है कि जब तक एकदम जरूरी न हो जाये और प्रशिक्षित स्वास्थ्य कार्यकर्ता के नुस्खे में शामिल न हों, गर्भावस्था के दौरान दवाएं न ली जाये।

गर्भवती महिला अगर तंबाकू पीती हैं तो उसका बच्चा कम वजन का पैदा हो सकता है और उसके खांसी, सर्दी, गले में सूजन, निमोनिया या सांस से जुड़ी दूसरी दिक्कतों के घेरे में आ जाने का अंदेशा ज्यादा हो सकता है।

बच्चे की शारीरिक बढ़त और दिमागी विकास को तय करने के लिए गर्भवती महिलाओं और छोटे बच्चों को तंबाकू या भोजन पकाने की आग के धुएं से, कीटनाशकों, खर-पतवार नाशकों और दूसरे जहर से, और सीसा; जो सीसे से बने पानी की आपूर्ति वाले पाइप में मिलता है, गाड़ियों के धुएं और कुछ पेंट आदि अशुद्धिकारकों से बचाये जाने की जरूरत है।

सुरक्षित मातृत्व मुख्य संदेश-५

कई समुदायों में महिलाओं और बच्चों के साथ शारीरिक बदसलूकी सार्वजनिक स्वास्थ्य की गम्भीर समस्या है। गर्भावस्था के दौरान हुई बदसलूकी महिला और भ्रूण दोनों के लिए खतरनाक होती है।

अगर गर्भवती महिला के साथ शारीरिक बदसलूकी हुई है तो उसे और उसके गर्भ को भारी नुकसान पहुंच सकता है। शारीरिक बदसलूकी की शिकार महिलाएं बच्चा पैदा करने में नाकाबिल हो सकती हैं। घर के लोगों को इन खतरों से खबरदार रहना चाहिए और बदसलूकी करने वाले से बचा कर रखनी चाहिए।

सुरक्षित मातृत्व मुख्य संदेश-६

जो लड़कियां शिक्षित व स्वस्थ हैं और जिन्हें बचपन और किशोर उम्र में अच्छा भोजन मिलता रहा है, उन्हें गर्भावस्था और प्रसव के दौरान परेशानी का सामना नहीं करना पड़ता।

पढ़ने और लिखने की क्षमता महिलाओं को अपने और उनके परिवारों के स्वास्थ्य की हिफाजत करने में मदद करता है। कम से कम सात साल की स्कूली पढ़ाई करने वाली लड़कियों के किशोर उम्र में गर्भवती हो जाने का खतरा, कम पढ़ी-लिखी या एकदम अनपढ़ लड़कियों के मुकाबले काफी कम होता और उनकी देर से शादी होने की उम्मीद ज्यादा होती है।

बचपन और किशोर उम्र में मिला पौष्टिक भोजन गर्भावस्था और प्रसव में आने वाली दिक्कतें घटा देती है। पौष्टिक भोजन में शामिल हैं- फलियां और दूसरी दालें, अनाज, पत्तेदार हरी सब्जियां, और लाल/पीले/नारंगी सब्जियां और फल। जब भी संभव हो, दूध और दूध से बनी चीजें, अंडा, मछली, मुर्गा और गोश्त भी भोजन में शामिल होनी चाहिए।

महिलाओं और लड़कियों का खतना योनि और पेशाब के रास्ते के गम्भीर संक्रमण का कारण बन सकता है, जिसका नतीजा बांझपन या मौत हो सकती है। महिलाओं का खतना प्रसव के दौरान खतरनाक परेशानी पैदा कर सकता है और लड़कियों और महिलाओं के दिमागी स्वास्थ्य के लिए बड़ी दिक्कतें खड़ी कर सकता है।

सुरक्षित मातृत्व मुख्य संदेश-७

हरेक महिला को स्वास्थ्य की देखभाल का अधिकार है, खास कर गर्भावस्था और प्रसव के दौरान। स्वास्थ्य की देखभाल करने वालों को तकनीकी तौर पर प्रशिक्षित होना चाहिए और महिलाओं के साथ इज्जत से पेश आना चाहिए।

गर्भावस्था के दौरान, प्रसव के दौरान और जन्म के बाद अगर महिला की स्वास्थ्य देखभाल और पेशेवर सलाह तक पहुंच है तो गर्भावस्था और प्रसव के कई खतरों को टाला जा सकता है।

सभी महिलाओं को डॉक्टर, नर्स या दाई जैसे प्रसव के प्रशिक्षित लोगों की सेवाएं और जरूरत पड़ने पर प्रसव से जुड़ी आपात देखभाल की सेवाएं हासिल करने का अधिकार है।

जानकारी और सलाह के जरिये स्वास्थ्य की बेहतर देखभाल महिलाओं को अपने स्वास्थ्य के बारे में फैसला लेने में सक्षम बनाती है। मातृत्व देखभाल की जरूरत वाली महिला के लिए स्वास्थ्य की सहूलियतों तक पहुंचना आसान होनी चाहिए, और इसका खर्च इन सेवाओं के इस्तेमाल से उसे रोकने वाला नहीं होना चाहिए। स्वास्थ्य की देखभाल में लगे लोगों को गुणवत्तापरक देखभाल के कौशल में दक्ष होना चाहिए। उन्हें प्रशिक्षित किया जाना चाहिए कि महिलाओं के साथ इज्जत से पेश आयें, सांस्कृतिक तौर-तरीकों के प्रति संवेदनशील हों, और गोपनीयता और निजता के महिला अधिकारों को सम्मान दें।

Sunday, May 10, 2020

स्वच्छता के मुख्य संदेश

स्वच्छता के मुख्य संदेश

स्वास्थ्य संबंधी जानकारी बाँटना और उस पर कार्य करना क्यों आवश्यक है।

बच्चों की सभी बीमारियों और मौतों में से आधी घटनाएँ गंदे हाथों से, या गंदे खाने और पानी से उनके मुँह में जानेवाले रोगाणुओं के कारण होती है। इनमें से कई रोगाणु मानव और पशुओं के मल से भी आते हैं।

अच्छी स्वास्थ्य आदतों के कारण बहुत-सी बीमारियों से, विशेषत: डायरिया से, बचाव हो सकता है।

सभी प्रकार का मल शौचकूप या शौचालय में फेंकना; बच्चों के मल से संपर्क करने के बाद या बच्चों को खाना खिलाने से पहले या खाने को छूने से पहले हाथ साबुन और पानी के साथ या राख और पानी के साथ अच्छी तरह साफ करना; और इसकी पुष्टि कर लेना कि पशुओं का मल घर, रास्ता, कुँआ और बच्चों के खेलने के स्थान से दूर रखा जाना चाहिये।

एकत्रित होकर शौचकूप और शौचालय बनाना और उनका प्रयोग करना, जल स्रोतों की सुरक्षा करना और कूड़ा तथा अन्य गंदगी, पानी जैसी चीजों का सुरक्षित निपटारा किये जाने की समाज में सभी को आवश्यकता है। सरकारों द्वारा समाज को कम खर्चीले शौचकूप और शौचालय बनाने के लिये आवश्यक सूचना देना बहुत आवश्यक है क्योंकि यह सभी परिवारों के द्वारा वहनीय है। नगरीय क्षेत्रों में, अल्प-व्ययीन (कम खर्चीले) ड्रेनेज सिस्टम और सफाई व्यवस्था, परिष्कृत पेय-जलापूर्ति और कूड़ा इकट्ठा करने जैसे कामों के लिये सरकारी मदद की आवश्यकता होती है।

स्वच्छता मुख्य संदेश-१

सारा मल सुरक्षित रूप से दूर स्थान पर फेंक दिया जाना चाहिये। शौचकूप या शौचालय सर्वोत्तम मार्ग है।

बहुत सी बीमारियाँ, विशेषत: अतिसार (डायरिया), मानव मल में पाये जानेवाले रोगाणुओं के कारण होती हैं। यदि रोगाणु खाना, या पानी, हाथ, बर्तन, या खाना पकाने के स्थान और खाना खाने के स्थान पर पहुँच गये, तो वे मुँह के द्वारा निगले भी जा सकते हैं और इस प्रकार बीमारी फैला सकते हैं।

रोगाणुओं को फैलने से रोकने के लिये सबसे उत्तम उपाय है- सारे मल चाहे वह मानव का हो या पशुओं का सुरक्षित तरीके से फेंका जाये। मानव मल को शौचकूप या शौचालय फेंका जाना चाहिये। शौचालयों को साफ रखा जाना चाहिये। पशुओं का मल घर, रास्ते और बच्चों के खेलने के स्थान से दूर रखनी चाहिये।

यदि शौचकूप या शौचालय का प्रयोग करना संभव न हो तो, सभी को घर, रास्ते, जल के स्रोत और बच्चों के खेलने के स्थान से काफी दूर जाकर मलत्याग करनी चाहिये और मल को तुरंत मिट्टी में दबा देना चाहिये।

सभी प्रकार का मल, बिल्कुल नन्हें बच्चों का भी, रोगाणुओं का स्थानांतरण करता है और इसीलिये खतरनाक है। यदि बच्चे बिना शौचकूप या शौचालय के, लैट्रिन या पॉटी के बिना मलत्याग करें तो उनका मल तुरंत शौचकूप या शौचालय में डाल देना चाहिये या गाड़ देनी चाहिये।

लैट्रिन और शौचालय अक्सर साफ रखने चाहिये। लैट्रिन को ढ़क कर रखना चाहिये और शौचकूपों में फ्लश चला देना चाहिये। स्थानीय सरकारें और एनजीओ कम खर्च में सैनिटरी लैट्रिन बनाने के लिये सलाह देकर समुदायों की मदद कर सकती हैं।

स्वच्छता मुख्य संदेश-२

बच्चों सहित, परिवार के सभी सदस्यों के लिये, मल से संपर्क के बाद, भोजन को छूने से पहले और बच्चों को खिलाने से पहले, हाथ साबुन और पानी या राख और पानी के साथ अच्छी तरह धोना आवश्यक है।

हाथ साबुन और पानी या राख और पानी के साथ अच्छी तरह धोने से रोगाणु निकल जाते हैं। केवल अंगुलियों को खंगालना ही काफी नहीं है-दोनों हाथों को साबुन या राख से धोना चाहिये। इसके कारण रोगाणुओं और गंदगी का मुँह में जाने से बचाव होता है। हाथों को धोने से कृमि का संक्रमण भी दूर रहता है। साबुन और पानी या राख और पानी को शौचालयों के बाहर सुविधापूर्वक रखा जाना चाहिये।

  • यह विशेषत: महत्वपूर्ण है कि अभी जिस बच्चे ने मलत्याग किया हो उसके नितंब धोने के बाद हाथ धोना बहुत ही आवश्यक है। इसी प्रकार पशुओं के मल संपर्क या कच्चा खाना छूने पर भी हाथ धोना अनिवार्य है।
  • खाना पकाने, परोसने या खाने से, या बच्चों को खाना खिलाने से पहले हाथ धोना बहुत आवश्यक है। मलत्याग करने के बाद और खाना खाने से पहले दोनों हाथों को अच्छी तरह धोने की आदत बच्चों में डालनी चाहिये जिससे उनका बीमारियों से बचाव हो सके।

बच्चे प्राय: मुँह में हाथ डालते रहते हैं, इसीलिये बच्चों के हाथ अक्सर धोना महत्वपूर्ण है, विशेषत: जब वे गंदगी या पशुओं के साथ खेल रहे हों।

बच्चे आसानी से कृमि से संक्रमित हो जाते हैं, जिससे शरीर के पोषक तत्व कम जाते हैं। कृमि और उनके अंडे मानव मल और मूत्र में, सतही पानी और ज़मीन में, और गंदी तरह से पकाये हुए मांस में पाये जाते हैं। बच्चों को शौचकूपों के पास या मलत्याग करने वाले स्थान के पास नहीं खेलना चाहिये। शौचकूपों और शौचालयों के पास जूते पहनने से संक्रमण से बचाव होता रहता है, इससे जंतु पैर की त्वचा के द्वारा शरीर में प्रवेश नहीं कर सकते।

  • ऐसी जगह रहनेवाले बच्चों को जहाँ ये कृमि-जंतु हैं, सालभर में दो या तीन बार अच्छे एन्टीहेल्मेन्टिक उपचार देने चाहिये।

स्वच्छता मुख्य संदेश-३

साबुन और पानी से रोज चेहरा धोने से ऑंखों के संक्रमण से बचाव होता है। विश्व के कुछ हिस्सों में, आँखों का संक्रमण ट्रॅकोमा की ओर ले जाता है जिसके कारण अंधत्व भी आ सकता है।

  • गंदा चेहरा मक्खियों को आकर्षित करता है, और वे एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक रोगाणु फैलाती हैं। इससे आँखें खराब हो सकती और देखने में कठिनाई हो सकती है। यदि आँखें साफ और स्वस्थ न रखी जाएँ तो संक्रमण हो सकता और अंधत्व भी आ सकता है।
  • यदि आँखें साफ और स्वस्थ हैं, सफेद हिस्सा साफ है, आँखें नम और चमकदार हैं, और दृष्टि तीक्ष्ण है। यदि आँखें बहुत अधिक सूखी या लाल और सूजी हुई, यदि किसी पदार्थ का कोई प्रवाह हो रहा हो या देखने में कठिनाई आ रही हो तो जल्द से जल्द बच्चे को स्वास्थ्य कर्मचारी को दिखाना चाहिये।

स्वच्छता मुख्य संदेश-४

पानी किसी सुरक्षित स्रोत से ही लें या फिर शुद्ध किया हुआ पानी ही प्रयोग करें। पानी साफ रखने के लिये पानी के बर्तन ढक कर रखना आवश्यक है।

  • जब साफ पानी की पर्याप्त आपूर्ति होती है तब परिवारों को बहुत थोड़ी बीमारियाँ होती है और उन्हें मालूम होता कि किस प्रकार रोगाणुओं को दूर रखें।
  • यदि पानी साफ नहीं हो तो उसे उबालकर या छान कर साफ किया जा सकता है।
  • साफ पानी के स्रोतों में अच्छी तरह से निर्मित और पर्याप्त रख-रखावयुक्त पाइप सिस्टम, ट्यूब वेल्स्, संरक्षित खुदे हुये कुँएँ और झरने समाविष्ट होते हैं। पानी के असुरक्षित स्रोत हैं – तालाब, नदियाँ, खुली टंकियाँ और बावड़ी (ऐसा बहुत बड़ा कुँआ जिसमें नीचे उतर कर जाने के लिये बहुत सारी सीढ़ियाँ होती हैं) इनसे लिया हुआ पानी उबालने के बाद प्रयोग कर सकते हैं। पानी को साफ रखने के लिये उसे साफ बर्तन में ढक कर रखना चाहिये।

परिवार और समुदाय अपने पानी के स्रोतों को इस प्रकार साफ रख सकते हैं-

  • कुँओं को ढक कर रखें और उस पर हैंड पंप लगाएँ
  • घरों में से बाहर निकलने वाला इस्तेमाल किया हुआ पानी और मल पानी के ऐसे स्रोत से जहाँ से पीने के लिये, खाना पकाने के लिये, और कपड़े धोने के लिये पानी मिलता है, बहुत दूर फेंकें
  • पानी के स्रोत से शौचालय कम से कम 15 मीटर की दूरी पर बांधना चाहिये
  • बाल्टियाँ, रस्से और मर्तबान जिसमें पानी रखते हैं, हमेशा एकदम साफ और स्वच्छ रखने चाहिये और उन्हें साफ जगह पर रखनी चाहिये, ज़मीन पर नहीं
  • पशुओं को पीने के पानी के स्रोत को परिवार के रहने की जगह से दूर रखनी चाहिये
  • किसी भी पानी के स्रोत के आसपास कीटनाशकों का प्रयोग नहीं करना चाहिये

परिवार अपने घर में पानी इस प्रकार साफ रख सकते हैं:

  • पीने का पानी साफ और ढके हुए बर्तन में रखें
  • गंदे हाथों से साफ पानी को न छुएँ
  • किसी कसौली या कप से पानी के बर्तन में से पानी लें
  • पानी के बर्तन पर नल लगा लें
  • पानी के बर्तन के अंदर किसी को भी हाथ न डालने दें और न ही सीधे उसी पानी के बर्तन में से किसी को पानी लेने दें
  • पशुओं को भरे हुए पानी से दूर रखें

यदि पीने के पानी के बारे में कोई भी अनिश्चितता हो, तो स्थानीय प्राधिकरणों से संपर्क किया जा सकता है।

स्वच्छता मुख्य संदेश-५

कच्चा या बचा हुआ खाना खतरनाक हो सकता है। कच्चा खाना धोकर और पका कर खाएँ। पका हुआ खाना पूरी तरह से गर्म करके बिना विलंब खाना चाहिये।

  • खाने को पूरी तरह पकाने से उसके रोगाणु मर जाते हैं। खाना, विशेषत: मांस और मुर्गे के माँस को बहुत अच्छी तरह पकाया जाना चाहिये।
  • सामान्य गरम खाने में रोगाणु तेजी से बढ़ते हैं। पकाने के बाद खाना बहुत जल्दी खा लेनी चाहिये ताकि खाने में रोगाणु आ ही न पाएँ।
  • यदि खाना दो या अधिक घंटों के लिये रखना है, तो उसे बहुत गर्म रखना चाहिये या फिर बिल्कुल ठंडा रखना चाहिये।
  • यदि पकाया हुआ खाना दूसरी बार के भोजन तक रखना हो, तो उसे ढक कर रखना चाहिये ताकि मक्खियाँ और कीड़े-मकोड़े से सुरक्षित रहें और खाना खाते समय उसे पूरी तरह से गर्म कर लें।
  • योगर्ट और खट्टा दलिया खाने में बहुत अच्छा होता है क्योंकि इसके अम्लों के कारण रोगाणु बढ़ नहीं पाते।

कच्चा खाना, विशेषत: पॉल्ट्री और समुद्री खाना, इनमें प्राय: रोगाणु होते हैं। पका हुआ खाना कच्चे खाने में से रोगाणु ले सकता है। इसीलिये कच्चे और पके हुए खाने को अलग रखना चाहिये वरना पके हुए खाने में कच्चे खाने से रोगाणु आ ही जायेंगे। चाकू, सब्जी काटने के बोर्डस् और खाना पकाने की जगहों की सफाई का विशेष ध्यान रखा जाना चाहिये और इन सब वस्तुओं को प्रयोग के बाद धोकर रखना चाहिये।

  • माँ का दूध नन्हें और छोटे बच्चों के लिये सुरक्षित है। पशुओं का ताज़ा उबला हुआ दूध बिना उबले दूध से अधिक सुरक्षित है।
  • माँ का दूध निकाल कर कमरे के तापमान पर, एक साफ और ढके हुए बर्तन में आठ घंटों तक रखा जा सकता है।
  • नन्हें और छोटे बच्चों का खाना बनाते समय खास ध्यान रखना चाहिये। उनका खाना ताज़ा बनाना चाहिये और उसे देर तक रखा भी नहीं जाना चाहिये।
  • फल और सब्जियाँ यदि नन्हें और छोटे बच्चों का कच्ची खिलाई जानेवाली हैं तो पहले उन्हें साफ पानी से अच्छी तरह धो लें क्योंकि कीटनाशक और अन्य दवाइयाँ फल और सब्जियों पर दिखाई नहीं देतीं लेकिन प्राणघातक हो सकती हैं।

स्वच्छता मुख्य संदेश-६

खाना, बर्तन और खाना पकाने के स्थान को साफ रखना चाहिये। खाना बर्तनों में ढक कर रखा जाना चाहिये।

खाने पर बैठे हुए रोगाणु निगले जा सकते हैं और बीमारी ला सकते हैं। खाने को रोगाणुओं से बचाने के लिये:

  • खाना पकाने के स्थान साफ रखने चाहिये
  • चाकू, खाना पकाने के बर्तन, पतीले और प्लेटें साफ और एक कर रखनी चाहिये।
  • प्लेटे और बर्तनों को पोंछने के लिये प्रयोग किये जानेवाले कपड़े धोकर धूप में सुखाने चाहिये। प्लेटें, बर्तन और पतीले खाना खाते ही रोज साफ मांज कर एक रैक में सुखाने चाहिये।
  • खान को पशुओं और कीड़े-मकोडों से बचाने के लिये ढक कर रखना चाहिये
  • दूध पीने की बोतलें या टीटस् का प्रयोग न करें क्योंकि उनमें रोगाणु आ सकते हैं जिससे डायरिया हो सकता है जब तक कि इन बोतलों को हर बार अच्छी तरह उबलते हुए पानी से धोकर न रखा जाये। बच्चों को माँ का दूध ही देना चाहिये या चौड़े कप से उन्हें दूध पिलाना चाहिये।

स्वच्छता मुख्य संदेश-७

घर के पूरे कूड़े करकट का सुरक्षित निपटारा बीमारियों से बचाव करता है।

खाने पर बैठे हुए रोगाणु निगले जा सकते हैं और बीमारी ला सकते हैं। खाने को रोगाणुओं से बचाने के लिये:

रोगाणुओं का फैलाव मक्खियों, तिलचट्टे और चूहे के द्वारा होता है जो कूड़े करकट में खाना ढूँढने के लिये घुसकर रोगाणुओं को जगह देते हैं। जैसे सब्जियों के छिलके और फलों के टुकड़े आदि।

यदि कूड़े का सामुदायिक एकत्रीकरण नहीं किया जा रहा, तो प्रत्येक परिवार को एक कूड़ेदान की आवश्यकता होगी जहाँ प्रतिदिन घरेलू कूड़ा जलाया या दबाया जा सकता है।

आसपास के क्षेत्र को मल, कूड़ा आदि, इस्तेमाल किया हुआ पानी इन सब से मुक्त और साफ रखने से बीमारियों से बचाव होता है। इस्तेमाल किया हुआ पानी इकट्ठा करने के लिये एक गड्ढा खोदना चाहिये जिससे कि यह पानी किचन गार्डन या खेतों की ओर निकाल दिया जाये।

कीटनाशक और वनौषधियों जैसे रसायन, यदि उनकी एक अत्यंत छोटी मात्रा भी खाना, हाथ या पैर या पानी में घुल जाये तो खतरनाक हो सकते हैं। रसायनों का काम करते हुए इस्तेमाल किये हुये कपड़े और कंटेनरों को घरेलू इस्तेमाल करने वाले पानी के स्रोत के पास न धोएँ।

कीटनाशक और अन्य रसायनों का प्रयोग घर के आसपास या पानी के स्रोत के पास नहीं किया जाना चाहिये। रसायनों का संग्रह पानी के स्रोत या खाने के स्थान के पास नहीं करना चाहिये। कभी भी खाद्यान्न का संग्रह रसायनों, कीटनाशकों के डिब्बों आदि में न करें।

Sunday, May 10, 2020

बाल विकास और शुरुआती सीख

बाल विकास और शुरुआती सीख
बचपन के पहले आठ साल बेहद महत्वपूर्ण होते हैं, खासकर पहले तीन साल। यह समय भविष्य के स्वास्थ्य, बढ़त और विकास की बुनियाद होती है। दूसरे किसी भी समय के मुकाबले इस दौरान बच्चे तेजी से सीखते हैं। शिशु और बच्चे तब और जल्दी विकसित और कहीं ज्यादा तेजी से सीखते हैं, जब उन्हें प्यार और लगाव, ध्यान, बढ़ावा और मानसिक उत्तेजना के साथ ही पोषक भोजन और स्वास्थ्य की अच्छी देखभाल मिलती है। सभी बच्चों को जन्म के समय कानूनी पंजीकरण, स्वास्थ्य की देखभाल, अच्छा पोषण, शिक्षा और नुकसान की भरपाई, बदसलूकी व भेदभाव से सुरक्षा पाने का अधिकार है। यह सुनिश्चित करना माता-पिता और सरकारों का फर्ज है कि इन अधिकारों को सम्मानित, सुरक्षित और पूरा किया जा रहा है या नहीं।

बाल विकास और शुरुआती सीख मुख्य संदेश -१

पहले आठ साल में, और खास कर पहले तीन साल के दौरान, बच्चे की देखभाल और ध्यान बहुत जरूरी है और इसका असर बच्चे के पूरे जीवन पर पड़ता है।

शुरुआती सालों में देखभाल और ध्यान बच्चों के फलने-फूलने में मदद देता है। बच्चों को थामना, गोद लेना और बातें करना उनकी बढ़त को उकसाता है। मां के करीब और भूखा होते ही उसे मां का दूध मिलना, बच्चे में सुरक्षा की भावना भरने का काम करता है। बच्चों को मां के दूध की जरूरत पोषण और सुख-चैन दोनों के लिए होती है।

लड़का हो या लड़की, दोनों की एक जैसी शारीरिक, भावनात्मक, मानसिक और सामाजिक जरूरतें होती हैं। सीखने की क्षमता दोनों में बराबर होती है। दुलार, ध्यान और बढ़ावे की जरूरत दोनों को होती है।

छोटे बच्चे रो कर अपनी जरूरतें बताते हैं। बच्चे के रोने पर तुरंत हरकत में आना, उसे उठाना और मजे से बातें करना उसमें विश्वास और सुरक्षा की समझ पैदा करेगा।

जिन बच्चों में खून की कमी हो, कुपोषित हों या बार-बार बीमार पड़ जाते हों, वे स्वस्थ बच्चों के मुकाबले डर और परेशानी का शिकार आसानी से हो सकते हैं और जो उनमें खेलने-कूदने, खोजबीन करने या दूसरों से मिलने-जुलने की चाहत का अभाव उत्पन्न करेगा।

ऐसे बच्चों को खाने-पीने के लिए विशेष ध्यान और बढ़ावे की जरूरत होती है।

बच्चों की भावनाएं सच्ची और ताकतवर होती हैं। अगर बच्चे कुछ कर पाने या जो अपनी पसंद की चीज पाने में असमर्थ हैं, तो वे कुंठित हो सकते हैं। बच्चे अक्सर अजनबी लोगों से या अंधेरे से डरते हैं। जिन बच्चों की हरकतों पर हंसा जाता है, उन्हें सजा दी जाती है, वे बड़े होकर शर्मीले और अपनी भावनाएं सामान्य रूप से रखने में असमर्थ हो सकते हैं। देखभाल करने वाले अगर बच्चों के मन की भावनाओं के प्रति धीरज और हमदर्दी रखा जाता है तो उसके प्रसन्नचित्त, सुरक्षित और संतुलित तरीके से बढ़ने की संभावना अधिक होती है।

शारीरिक सजा या हिंसा का प्रदर्शन बच्चे के विकास को नुकसान पहुंचा सकता है। गुस्से में जिन बच्चों को सजा दी जाती है, खुद उनके हिंसक होने की संभावना और बढ़ जाती है। स्पष्ट बात कि बच्चों को क्या करनी चाहिए, ठोस नियम कि क्या नहीं करनी चाहिए तथा अच्छे व्यवहार की शाबाशी, बच्चों को समुदाय और परिवार का खरा और उत्पादक हिस्सा बनाये जाने के कहीं अधिक कारगर तरीके हैं।

दोनों माता-पिता के साथ ही परिवार के दूसरे सदस्यों को भी बच्चों की देखभाल में शामिल किये जाने की जरूरत है। पिता की भूमिका खास तौर पर महत्वपूर्ण होती है। पिता प्यार, लगाव और उत्तेजना पाने की बच्चे की जरूरतें पूरी करने के प्रयास को सुनिश्चित कर सकता है कि बच्चे को अच्छी शिक्षा, अच्छा पोषण मिले और उसकी सेहत की सही देखभाल हो। पिता सुरक्षित और हिंसा से मुक्त वातावरण को भी सुनिश्चित कर सकता है। पिता घरेलू काम में भी हाथ बंटा सकता है, खास कर तब जब मां बच्चे को दूध पिला रही हो।

बाल विकास और शुरुआती सीख मुख्य संदेश -२

पैदा होने के साथ ही बच्चे तेजी से सीखने लगते हैं। अगर उन्हें पौष्टिक भोजन और सेहत की सही देखभाल के साथ दुलार, ध्यान और शाबासी मिले तो वे तेजी से बढ़ते हैं और जल्दी सीखते हैं।

अपने से चिपका कर रखना और पैदा होने के एक घंटे के भीतर बच्चे को मां का दूध पिलाना, शिशुओं की बेहतर वृद्धि और विकास में मदद करता है तथा मां के साथ बच्चे का खास रिश्ता कायम करता है।

छूना, सुनना, सूंघना, देखना तथा चखना, सीखने के वह औजार हैं, जिनसे बच्चा अपने आसपास की दुनिया को परखने की कोशिश करता है।

जब बच्चों से बात की जाती है, उन्हें छुआ जाता है और गले लगाया जाता है, और जब वे जाने-पहचाने चेहरे देखते हैं, परिचित आवाजें सुनते हैं और तरह-तरह की चीजें थामते हैं तो उनका दिमाग तेजी से बढ़ता है। जन्म से ही जब वे प्यार और सुरक्षा का अनुभव करते हैं और जब लगातार खेलते हैं और परिवार के लोगों से घुलते-मिलते हैं, तो तेजी से सीखते हैं। सुरक्षा का अनुभव करने वाले बच्चे आमतौर पर स्कूल में अव्वल होते हैं और जीवन की कठिनाइयों का सामना आसानी से करते हैं।

मांगे जाने पर पहले छह माह तक केवल मां का दूध, छह माह की उम्र पर सुरक्षित और पौष्टिक भोजन मिलने की सही समय पर शुरुआत, और दो साल या उससे ज्यादा समय तक मां के दूध का सेवन बच्चे को पोषण और स्वास्थ्य लाभ उपलब्ध कराता है, साथ ही साथ देखभाल करने वालों से लगाव और संबंध बनाता है।

बच्चों के लिए विकास और सीख का सबसे जरूरी रास्ता दूसरों से उनका मेलजोल होता है। माता-पिता और देखभाल करने वाले बच्चे के साथ जितनी बातें करेंगे और उस पर ध्यान देंगे, बच्चा उतनी ही तेजी से सीखेगा। नवजात और छोटे बच्चों के सामने माता-पिता और देखभाल करने वालों को बात करना, पढ़ना और गाना चाहिए। बच्चे अगर शब्द समझने लायक न हों तो भी यह ‘बातचीत’ उनकी भाषा और सीखने की क्षमता का विकास करती है।

देखभाल करने वाले बच्चों को देखने, सुनने, पकड़ने और खेलने के लिए नयी और दिलचस्प चीजें देकर उनके सीखने और बढ़ने में मदद कर सकते हैं।

शिशुओं और छोटे बच्चों को लंबे समय के लिए अकेले नहीं छोड़ा जाना चाहिए। यह उनके शारीरिक और मानसिक विकास की गति को धीमा कर देता है।

लड़कियों को भी भोजन, ध्यान, लगाव और देखभाल की उतनी ही जरूरत होती है, जितनी लड़कों को। सीखने या कुछ नया कहने पर सभी बच्चों को बढ़ावा और उनकी तारीफ किये जाने की जरूरत है।

अगर बच्चे की शारीरिक या मानसिक बढ़त ठीक से नहीं हो रही है तो माता-पिता को स्वास्थ्य कार्यकर्ता से सलाह लेने की जरूरत है।

मातृभाषा में बच्चों का शिक्षण सबसे पहले उन्हें सोचने और खुद को व्यक्त करने की क्षमता के विकास में मदद करता है। गानों, नानी-दादी की कहानियों, कविताओं और खेलों के जरिये बच्चे भाषा को जल्दी और आसानी से सीखते हैं।

जिन बच्चों का समय से टीकाकरण पूरा हुआ हो और जिन्हें पर्याप्त पोषण मिल रहा हो, उनके जीवित रहने की संभावना बढ़ जाती है तथा उनमें घुलने-मिलने, खेलने-कूदने और सीखने का रूझान अधिक होता है। यह स्वास्थ्य पर परिवार के खर्च, बीमारी के कारण स्कूल से बच्चे की गैर हाजिरी और बीमार बच्चे की देखभाल में माता-पिता की आमदनी के नुकसान को कम करेगा।

बाल विकास और शुरुआती सीख मुख्य संदेश -३

खेलने और खोजबीन के लिए मिलने वाला बढ़ावा बच्चों को सीखने और उनमें सामाजिक, भावनात्मक, शारीरिक और दिमागी विकास में मदद करता है।

बच्चे आनंद के लिए खेलते हैं, लेकिन खेल उनके सीखने और विकास करने की कुंजी भी है। खेलने से बच्चों के ज्ञान और अनुभव को आकार लेने और उनकी उत्सुकता और विश्वास के विकास में मदद मिलती है।

बच्चे चीजों को आजमाते हुए, नतीजों की तुलना करते हुए, सवाल पूछते हुए और चुनौतियों का सामना करते हुए सीखते हैं। खेलना, भाषा सीखने, सोचने, योजना बनाने, संगठित होने और फैसला लेने के कौशल का विकास करता है।

अगर बच्चा विकलांग है, तो उत्तेजना और खेल की जरुरत खास तौर पर बढ़ जाती है।

लड़कियों और लड़कों के खेलने और परिवार के सभी सदस्यों से घुलने-मिलने के समान मौकों की जरूरत होती है। पिता के साथ खेल और मेलजोल दोनों के बीच मजबूत रिश्ता बनाने में मददगार होता है।

परिवार के लोग और बच्चों की देखभाल करने वाले बच्चों को साफ-साफ हिदायतों के साथ मामूली काम सौंप कर, खेलने की चीजें दे कर और खेल पर दबदबा बनाये बगैर नयी गतिविधियां सुझा कर सीखने में बच्चों की मदद कर सकते हैं। बच्चे पर करीबी निगाह रखें और उनके विचारों पर गौर करें।

बिना किसी की मदद के छोटा बच्चा अगर कोई काम करने की जिद करें तो उनकी देखभाल करने वालों को धीरज से काम लेने की जरूरत है। बच्चे सफलता मिलने तक कोशिश करके सीखते हैं। जब तक बच्चा किसी खतरे से दूर है, नया और मुश्किल काम करने की जद्दोजहद बच्चे के विकास के लिए अच्छा कदम है।

सभी बच्चों को अपने विकास की अवस्था के मुताबिक तरह-तरह की सरल चीजों से खेलने की जरूरत है। पानी, बालू, गत्ते के बक्से, लकड़ी के गुटके, बर्तन और ढक्कन खेलने का उतना ही अच्छा सामान हैं, जितने कि दुकान से खरीदे गये खिलौने।

बच्चे लगातार योग्यताओं को बदलते और विकसित करते हैं।

बाल विकास और शुरुआती सीख मुख्य संदेश -४

बच्चों के साथ व्यवहार कैसे किया जाये ? बच्चे अपने करीबी लोगों के व्यवहार की नकल उतार कर सीखते हैं।

दूसरों को देखते और उनके जैसा बनते हुए छोटे बच्चे सामाजिक व्यवहार का तौर-तरीका सीखते हैं। वे सीखते हैं कि कौन सा व्यवहार ठीक है और कौन सा नहीं।

बड़े-बुजुर्गों और अपने से बड़े बच्चों का उदाहरण बच्चे के व्यवहार और व्यक्तित्व के निर्माण में बड़ा असर डालता है। बच्चे दूसरों की नकल करके सीखते हैं, न कि दूसरों के बताने से कि यह करो। अगर बड़े चीखते-चिल्लाते और हिंसक व्यवहार करते हैं, तो बच्चे भी वही सीखेंगे। बड़े अगर दूसरों के साथ भलाई, इज्जत और धीरज के साथ पेश आते हैं, तो बच्चा भी इसे दोहरायेगा।

बच्चे बहाने बनाते हैं। इसे बढ़ावा दिया जाना चाहिए, इसलिए कि बहाना बनाना बच्चों की कल्पनाशीलता का विकास करता है। यह बच्चों को दूसरे लोगों के व्यवहार के तरीकों को समझने और उसे स्वीकार करने में भी मदद करता है।

बाल विकास और शुरुआती सीख मुख्य संदेश -५

माता-पिता और बच्चों की देखभाल करने वालों को खतरे के उन निशानों को जानना चाहिए जो दर्शाते हैं कि बच्चों की बढ़त और विकास डगमग है।

माता-पिता और देखभाल करने वालों को उन अहम पड़ावों को जानने की जरूरत है, जो दर्शाते हैं कि बच्चे का विकास सामान्य रूप से हो रहा है। उन्हें यह भी जानने की जरूरत है कि शारीरिक या मानसिक रूप से कमजोर बच्चों को कब मदद की जानी है और उन्हें देखभाल और प्यार का माहौल किस तरह दिया जाना है।

सभी बच्चे एक जैसे तरीकों से बढ़ते और विकसित होते हैं, लेकिन हरेक बच्चे के विकास की अपनी गति होती है।

यह गौर करें कि बच्चा स्पर्श, घ्वनि और दृश्यों पर क्या प्रतिक्रिया करता है। माता-पिता विकास से जुड़ी दिक्कतों या अक्षमता की पहचान कर सकते हैं। अगर बच्चा धीमी गति से विकसित हो रहा है तो माता-पिता और देखभाल करने वाले बच्चों के साथ अतिरिक्त समय गुजार कर, खेल कर और उससे बातें कर, और बच्चे की मालिश कर मदद कर सकते हैं।

उत्तेजित करने और ध्यान खींचे जाने के बावजूद अगर बच्चा बेअसर रहता है तो माता-पिता और देखभाल करने वालों को किसी प्रशिक्षित स्वास्थ्यकर्मी से मदद लेने की जरूरत है। अपंग बच्चों की क्षमताओं के पूर्ण विकास में मदद के लिए शुरुआती पहल बहुत जरूरी है। बच्चे की क्षमता अधिक से अधिक विकसित करने के लिए माता-पिता और देखभाल करने वालों को बढ़ावा दिये जाने की जरूरत है।

अपंगता का शिकार लड़का या लड़की को कुछ ज्यादा दुलार दिये जाने और एहतियात बरते जाने की जरूरत होती है। सभी बच्चों की तरह विकलांग बच्चों के लिए भी जन्म के समय या उसके तुरंत बाद जन्म पंजीकरण, मां के दूध, टीकाकरण, पौष्टिक भोजन तथा बदसलूकी और हिंसा से बचाव की जरूरत है। अपंग बच्चों को खेलने और दूसरे बच्चों से घुलने-मिलने के लिए बढ़ावा दिया जाना चाहिए।

जो बच्चा खुश नहीं हैं या जज्बाती व परेशानियों से घिरा हुआ है, उसका बर्ताव गैर मामूली हो सकता है। मिसाल के तौर पर अचानक गैर दोस्ताना, दुखी, आलसी, असहयोगी और शरारती हो जाना, अक्सर रोना, दूसरे बच्चों के प्रति हिंसक हो जाना, दोस्तों के साथ खेलने के बजाय अकेले रहना या अचानक रोजमर्रा के कामों या पढ़ाई-लिखाई में दिलचस्पी न लेना, भूख और नींद में कमी आ जाना।

अभिभावकों को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए कि वे बच्चों से बात करें और उन्हें सुनें। समस्या अगर दूर नहीं होती हो, तो शिक्षक या स्वास्थ्य कार्यकर्ता की मदद लें।

अगर बच्चे को दिमागी या जज्बाती परेशानी है या उसके साथ बदसलूकी हुई हो तो अगली मुश्किलों से बचाने के लिए उसे सलाह दी जानी चाहिए।

आगे दी गई दिशा-निर्देश माता-पिता को यह जानकारी देती है कि बच्चे कैसे विकसित होते हैं। सभी बच्चों की बढ़त और उनके विकास में अंतर होता है। धीमी प्रगति सामान्य हो सकती है या जरूरत से कम पोषण, खराब स्वास्थ्य, उत्तेजना का अभाव या कहीं ज्यादा गम्भीर दिक्कतों के कारण हो सकती है। बच्चे की प्रगति के बारे में माता-पिता प्रशिक्षित स्वास्थ्य कार्यकर्ता या शिक्षक से बात करने की इच्छा कर सकते हैं।

बच्चे कैसे विकसित होते हैं

एक माह तक

बच्चा करने में सक्षम हों:

  • गाल या मुंह को सहला रहे हाथों की ओर सिर घुमायें
  • मुंह तक दोनों हाथ ले जायें
  • परिचित आवाज और ध्वनियों की ओर पलटें
  • मां का दूध पियें और मां का स्तन अपने हाथों से छुएं

माता-पिता और देखभाल करनेवालों को सलाह

  • जन्म के एक घंटे के भीतर मां से करीबी बने और मां का दूध मिले
  • बच्चे को सीधा उठाने पर उसके सिर को सहारा दें
  • बच्चे की अक्सर मालिश करें और उसे गोद में लें
  • बच्चे को हमेशा करीने से गोद में लें, भले ही आप थके और परेशान हों
  • बार-बार बच्चे को मां का दूध पिलायें, कम से कम चार घंटे पर
  • जितना संभव हो सके, बच्चे से बात करें, उसके सामने पढ़ें और गाना गायें
  • जन्म के छह सप्ताह बाद नवजात शिशु के साथ स्वास्थ्य कार्यकर्ता से मिलें

निम्न खतरनाक संकेत, जिन पर ध्यान दिया जाना चाहिए-

  • ठीक से मां का दूध न पीना या पीने से मना करना
  • हाथ और पैर का कम चलना
  • ऊंची आवाज या तेज रोशनी पर कम ध्यान देना या बेअसर हो जाना
  • बिना किसी कारण के लंबे समय तक रोना
  • उल्टी और दस्त करना, जो शरीर में पानी की कमी पैदा कर सकता है

छह माह तक

बच्चा करने में सक्षम हों

  • पेट के बल लेटने पर सिर और सीना उठाये
  • झूलती चीजों पर लपके
  • चीजों को पकड़े और हिलाये
  • दोनों तरफ करवट लें
  • सहारे के जरिये बैठे
  • हाथ और मुंह से चीजों को समझे
  • आवाजों और चेहरों के भावों की नकल उतारने की शुरुआत करे
  • अपना नाम और परिचित चेहरों को देख कर ध्यान दें

माता-पिता और देखभाल करनेवालों को सलाह

  • बच्चे को साफ-सुथरे, समतल और सुरक्षित जगह पर लिटायें ताकि वह मजे से घूम-फिर सके और चीजों तक पहुंच सके।
  • बच्चे को बैठने के लिए इस तरह टेक दें या उसे थामें कि वह अपने आसपास की हलचलों को देख सकें
  • दिन हो या रात, भूख लगने पर बच्चे को मां का दूध पिलाना जारी रखें और बाकी भोजन देने की भी शुरुआत करें; 6-8 माह तक दिन में दो बार, 8-12 माह तक तीन-चार बार
  • जितना संभव हो बच्चे के साथ बात करें, पढ़ें या गाना गायें

 

निम्न खतरनाक संकेत, जिन पर ध्यान दिया जाना चाहिए

  • पैरों में कड़ापन या उसे चलाने में परेशानी
  • सिर को लगातार हिलाना (यह कान में फैलनेवाले रोग का लक्षण हो सकता है और अगर इलाज न किया जाये तो बहरेपन की ओर बढ़ सकता है)
  • आवाजों, परिचत चेहरों या मां के स्तनों पर कम ध्यान देना या बिल्कुल बेअसर हो जाना
  • मां का दूध या दूसरे भोजन के लिए मना करना

12 माह तक

बच्चा करने में सक्षम हो

  • बिना किसी सहारे के बैठे
  • हाथ और घुटने के बल चलें और उठ खड़ा होने लगे
  • सहारा पा कर कदम बढ़ाये
  • शब्दों और आवाजों की नकल उतारने की कोशिश करें तथा मामूली अनुरोध पर गौर करें
  • खेलने और ताली बजाने का मजा लें
  • लोगों का ध्यान खींचने के लिए आवाजों और अदाओं को दोहरायें
  • अंगूठे और उंगली से चीजों को उठाये
  • चम्मच और कप जैसी चीजों को पकड़ने तथा खुद से भोजन करने की कोशिश की शुरुआत करें

माता-पिता और देखभाल करनेवालों को सलाह

  • चीजों की ओर इशारा करें और उनके नाम लें। जब-तब बच्चे से बात करें और उसके साथ खेलें
  • भोजन के वक्त का इस्तेमाल परिवार के सभी सदस्यों के साथ मेलजोल बढाने में करें
  • अगर बच्चे का विकास धीमा हो या उसमें कोई शारीरिक अक्षमता है तो उसकी क्षमताओं पर जोर दें और उसे कुछ ज्यादा बढ़ावा दें और मेलजोल बढ़ायें
  • कई घंटे तक बच्चे को एक जैसी हालत में न छोड़े
  • किसी अनहोनी को रोकने के लिए बच्चे की जगह, जितना संभव हो सके, सुरक्षित बनायें
  • मां का दूध पिलाना जारी रखें और सुनिश्चित करें कि बच्चे को भरपूर भोजन मिले और उसमें परिवार के विभिन्न भोजन भी शामिल हों
  • चम्मच/कप से भोजन करने में बच्चे के प्रयास में मदद करें
  • यह तय करें कि बच्चे का पूरा टीकाकरण हो और सुझाये गये सभी पौष्टिक तत्वों की उसे खुराक मिलें

निम्न खतरनाक संकेत, जिन पर ध्यान दिया जाना चाहिए

  • पुकारने पर बच्चा कोई आवाज न निकाले
  • हिलती-डुलती चीजों पर गौर न करें
  • बच्चा उदासीन हो और देखभाल करने वाले से बेपरवाह हो
  • बच्चे को भूख न लगे या खाने से मना करें

दो साल तक

बच्चा करने में सक्षम हो

  • चले, चढ़े और दौड़
  • नाम लेने पर चीजों या तस्वीरों की तरफ इशारा करें (जैसे- नाक, आंख वगैरह)
  • कई शब्द एक साथ बोले (लगभग 15 माह से)
  • मामूली हिदायतों को लागू करे
  • पेंसिल या कोयले से रेखाएं खींचे
  • सरल कहानियों और गानों का आनंद ले
  • दूसरे के व्यवहार की नकल उतारे
  • खुद से भोजन करने की शुरुआत करे

माता-पिता और देखभाल करनेवालों को सलाह

  • बच्चे के सामने पढ़े, गायें और उसके साथ खेलें
  • बच्चे को खतरनाक चीजों से दूर रहने की सीख दें
  • बच्चे के साथ आम तरीके से बात करें, खुद बच्चा न बन जायें
  • मां का दूध पिलाना जारी रखें और यह सुनिश्चित करें कि बच्चे को भरपूर भोजन मिले और उसमें परिवार में खाये जा रहे विभिन्न भोजन भी शामिल हों
  • बच्चे को खाने के लिए प्रोत्साहित करें, लेकिन जोर न डालें
  • सरल तौर-तरीके बतायें और जायज उम्मीद करें
  • बच्चे की उपलब्धियों की तारीफ करें

निम्न खतरनाक संकेत, जिन पर ध्यान दिया जाना चाहिए

  • दूसरों से बेपरवाह रहे
  • चलते हुए खुद को साधने में परेशानी महसूस करे (प्रशिक्षित स्वास्थ्य कार्यकर्ता से मिलें)
  • चोट लगे और व्यवहार में बेवजह बदलाव आये (खास तौर पर अगर बच्चे की देखभाल किसी दूसरे के जिम्मे है)
  • भूख की कमी हो

तीन साल तक

बच्चा करने में सक्षम हो

  • आसानी से चले, दौड़े, मारे और कूदे
  • इशारा करने पर चीजों और तस्वीरों को समझे और उसकी पहचान करे
  • दो या तीन शब्दों के वाक्य बनाये
  • अपना नाम और अपनी उम्र बताये
  • रंगों का नाम ले
  • गिनती समझे
  • चीजों को खेलने का जरिया बनाये
  • खुद से भोजन करे
  • लगाव जाहिर करे

माता-पिता और देखभाल करनेवालों को सलाह

  • बच्चे के साथ किताब पढ़े और तस्वीरों पर बात करें
  • बच्चे को कहानियां सुनायें और उसे कविताएं और गीत सिखायें
  • बच्चे को भोजन के लिए उसकी थाली-कटोरी दें
  • बच्चे को खाने के लिए बढ़ावा देना जारी रखें और बच्चे के मुताबिक भोजन के लिए उसे पूरा समय दें
  • बच्चे को कपड़ा पहनने, हाथ धोने और शौचालय का इस्तेमाल सीखने में मदद करें

निम्न खतरनाक संकेत, जिन पर ध्यान दिया जाना चाहिए

  • खेल में दिलचस्पी न लेना
  • बार-बार गिरना
  • छोटी चीजों को साधने में दिक्कत होना
  • मामूली बातों को न समझ पाना
  • कई शब्दों को जोड़ कर बोलने में समर्थ न होना
  • भोजन में कम दिलचस्पी या कोई दिलचस्पी न लेना

पांच साल तक

बच्चा करने में सक्षम हो

  • चलने में तालमेल बनाये
  • पूरा वाक्य बोले और कई शब्दों का इस्तेमाल करे
  • एक-दूसरे से उलट चीजों को समझे ; जैसे- मोटा और पतला, लंबा और ठिगना
  • दूसरे बच्चों के साथ खेले
  • खुद से कपड़े पहने
  • आसान सवालों का जवाब दे
  • 5 से 10 चीजों की गिनती करे
  • अपने हाथ साफ करें

माता-पिता और पालनेवालों को सलाह

  • बच्चे को सुनें
  • बच्चों के साथ अक्सर घुले-मिलें
  • अगर बच्चा हकलाता है तो उसे और धीमी रफ्तार में बोलने की सलाह दें
  • कहानियां पढ़े और सुनायें
  • बच्चे को खेलने और छानबीन के लिए प्रोत्साहित करें

निम्न खतरनाक संकेत, जिन पर ध्यान दिया जाना चाहिए

  • खेल में बच्चों की भागीदारी पर गौर करें, अगर बच्चा डरा हुआ, गुस्से में या हिंसक है तो यह उसकी जज्बाती दिक्कतों या उसके साथ हुई बदसलूकी का लक्षण हो सकता है।
Sunday, May 10, 2020

Recover Gmail password

अगर आप gmail password भूल गए है तो 5 तरीका से पता कर सकते है |

 

इसके लिए पूरा पोस्ट को पढ़िए |

किसी भी अकाउंट का पासवर्ड भूल जाना आम बात है |
क्या आप जीमेल या इन्टरनेट के सभी अकाउंट का पासवर्ड
या username भूल जाते है |
क्यूंकि internet पर वर्क करने वालो के पास अनगिनत अकाउंट होता है |
फिर भी आप एक ट्रिक्स के द्वारा एक नही 1000 से प्लस अकाउंट का पासवर्ड याद रख सकते है |
अलग – अलग नंबर का स्ट्रोंग पासवर्ड याद करने का तरीका अगले पोस्ट में बताऊंगा |

→ जीमेल पासवर्ड जानने के लिए क्या चाहिए ?

gmail password जानने के लिए अपने अकाउंट रे रिलेटेड जानकारी होना चाहिए |
इसके बाद आप किसी भी जीमेल अकाउंट का पासवर्ड जान सकते है |

→ gmail password को 5 तरीका से पता कैसे करे ?

जीमेल पासवर्ड जानने के लिए 5 तरीका फॉलो करके पासवर्ड जान सकते है | सबसे पहले https://accounts.google.com पर जाइये | और जिस ईमेल को रिकवर करना है उस email को टाइप करके फॉरगॉट पासवर्ड पर क्लिक करना है |
1. Enter last password :- इस पेज पर लिखा है | Enter the last password you remember using with this Google Account मतलब इस खाता के साथ प्रयोग करने वाला अंतिम पासवर्ड टाइप करके Next पर क्लिक करे | इसके बाद पासवर्ड रिकवर कर सकेंगे |
2. verification code :- जीमेल अकाउंट में registerd मोबाइल नंबर होना चाहिए |
इसमे वेरिफिकेशन code mobile number पर आता है |
अगर आप उस कोड को टाइप करके वेरीफाई करते है तो जीमेल का पासवर्ड रिकवर कर सकते है |
3. Email verification :- इस पेज पर लिखा है | Google will send a verification code to मतलब ईमेल id बनाते वक्त एक ग्रान्टर ईमेल id दिया जाता है | उस email को बॉक्स में टाइप कीजिये | ईमेल पर एक code जायेगा | कोड के द्वारा रिकवर कर सकते है |
4. create google account :- इस पेज पर लिखा है | When did you create this Google Account? मतलब आपने इस अकाउंट को कब बनाया था | अगर आप जीमेल id बनने का महिना और वर्ष सेलेक्ट करेंगे | तो अकाउंट का न्यू पासवर्ड बनाया जा सकता है |
5. आप जिस browser में जीमेल login करते है | अकाउंट open करते समय पासवर्ड save करने का आप्शन आता है | अगर आप पासवर्ड सेव किये है तो gmail को open कर सकते है |
इसके लिए browser के history में जाइये | जिस तारीख को जीमेल open किये थे |
उसी समय का हिस्ट्री पर क्लिक कीजिये | id खुल जायेगा |
इस तरह से 5 तरीका को फॉलो करके gmail password रिकवर कर सकते है | अगर आपको यह पोस्ट अच्छा लगे तो शेयर कीजिये | आपको पासवर्ड रिकवर करने का दूसरा तरीका मालूम है तो कमेंट करके बताइए | ताकि हम भी जान सके | वेबसाइट हिंदी app click here धन्यवाद |
Sunday, May 10, 2020

Best free android apps

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  • Google :- दुनिया का सबसे बड़ा search engine गूगल ही है | किसी भी टॉपिक्स या वेबसाइट के बारे में जानने के लिए गूगल की आवश्यकता होती है | Google को play store से download कर सकते है | हालाँकि यह दुनिया के हर मोबाइल में होता है | आज के समय में बिना google के रहना जानवर की तरह है |
  • Google Play store :- गूगल प्ले स्टोर हर एंड्राइड यूज़र के फ़ोन में होता ही है | यह google द्वारा बनाया गया ऑपरेटिंग system पर आधारित आप store है | यहाँ से आप हर प्रकार के एंड्राइड application download किया जाता है | जब कभी एंड्राइड application की जरुरत होती है तो गूगल प्ले स्टोर में ही जाना होता है |
  • Gmail :– जीमेल google का ही service है | यूनाइटेड स्टेट या जर्मनी में इसे google mail भी कहा जाता है | इसके द्वारा free में mail किसी को भी भेज सकते है | जीमेल ने mail रखने के लिए 15 GB फ्री स्पेस देता है | इसमे कोई भी text save कर सकते है | Gmail के द्वारा किसी भी application या वेबसाइट पर रजिस्ट्रेशन कर सकते है | जीमेल हमारे लिए बहुत सरल service है |
  • Google Drive : – गूगल ड्राइव भी गूगल का ही service है | इसमे डाक्यूमेंट्स save रखने के लिए 15 GB स्पेस मिलता है | इससे आप किसी भी व्यक्ति को कागजात भेज सकते है | हालाँकि इसमे बहुत सारे feature है |
  • Bing :- बिंग भी google की तरह search engine है | इसे आप गूगल की तरह यूज कर सकते है | bing को play store में मिल जायेगा | इसे Microsoft ने बनाया है |
  • Youtube :- यूटूब दुनिया का सबसे बड़ा streaming साईट है | यहाँ पर हर टॉपिक्स से संबंधित video फ्री में देख सकते है | इस वेबसाइट से अधिक मात्र में पैसा भी कमाई कर सकते है | यह पोपुलर होने के कारण हर एक व्यक्ति के एंड्राइड फ़ोन में होता है | इसे आप play store से download कर सकते है |
  • Maps :- मैप भी google का service हैं | किसी भी Location को ट्रैक करने के लिए map का इस्तिमाल free में कर सकते है | इस app से Live लोकेशन भी ट्रैक किया जाता है | Google maps को इनस्टॉल करने के लिए google play store में जाये | इससे start Driving , location sharing , timeline जैसे feature मिल जाता है |

Best free android apps हर एंड्राइड यूजर के मोबाइल में 101 app होना चाहिए | 

  • Translate :– ट्रांसलेट app भी google का ही service है | इसे आप free में यूज कर सकते है | अगर आपका English कमजोर है तो किसी भी भाषा को इस app से translate कर सकते है |
  • Facebook :- फेसबुक दुनिया का सबसे प्रचलित सोशल नेटवर्क वेबसाइट है | आज के समय में 10 वर्ष के बच्चा भी फेसबुक का नाम जनता है | फेसबुक पर मस्ती के साथ पैसा कमाई भी कर सकते है | कुछ व्यक्ति अपने कंपनी या बिजनेस को प्रचार भी करते है | यहाँ पर प्रोफाइल के साथ – साथ facebook page और facebook Group बनाने का option मिलता है |
  • Chrome :- क्रोम एक प्रकार का ब्राउज़र है | इसके द्वारा किसी भी जानकारी को सर्च किया जाता है | इस service को भी हर user के फ़ोन में होना चाहिए | इसके अलावा आप अन्य ब्राउज़र यूज कर सकते है |
  • Google pay :– पैसा transfer करने के लिए गूगल पे सबसे बेस्ट option है | इसे आप हर प्रकार के भुगतान कर सकते है | यह भी google का ही service है | इसे UPI app कह सकते है |
  • Phone pe :– फ़ोन पे application भी upi की तरह ही है | इस app से सरल तरीका से पैसा का भुगतान कर सकते है | इस app  से mobile recharge , DTH , Electricity , credit card , पोस्टपेड , डाटा कार्ड , insurance , municipal Tax , में भुगतान करने के लिए फ़ोन पे का यूज करने का option मिल जाता है |
  • Google PDF viewer :- किसी भी पीडीऍफ़ को open करने के लिए एक application की जरुरत होती है | free में यूज करने के लिए गूगल पीडीऍफ़ व्यूअर का इस्तिमाल कर सकते है |
  • IRCTC Train pnr status :- किसी भी ट्रेन का pnr स्टेटस पता करने के लिए इस app का यूज कर सकते है | यह app ट्रेन का live स्टेटस देखने का option देता है | इसे भी user के मोबाइल में होना चाहिए |
  • Hosshare :- गवर्नमेंट जॉब के बारे में जानकारी के लिए hosshare एंड्राइड app को download कर लेना चाहिए | इस application से हर प्रकार के जॉब के बारे में Notification प्राप्त कर सकते है | इसे मोबाइल में इनस्टॉल करने के लिए play store में hosshare सर्च करें | जॉब से संबंधित विवरण देखने के लिए www.Hosshare.com वेबसाइट पर जाये |
  • Like aap :- मनोरंजन के लिए लाइक app सबसे best app है | यहाँ पर हर प्रकार के नाच , गाना , कॉमेडी , देखने को मिल जाता है | आप अपने प्रतिभा को लाइक application पर share कर सकते है |
  • Whatsapp :- आज के समय में फेसबुक की तरह whatsapp भी हैं | इसे आप massaging app भी कह सकते है | यहाँ पर free में किसी भी व्यक्ति को text , video , photo भेज सकते है | इस app पर भी Group बनाने का option मिल जाता है | मोबाइल नंबर के द्वारा किसी भी व्यक्ति को ग्रुप में जोड़ सकते है | यहाँ पर massaging के अलावा audio और video कॉल करने का option मिल जाता है |
  • Firefox :- फिरेफोक्स भी क्रोम की तरह वेब ब्राउज़र है | इसके द्वारा किसी भी वेबसाइट को search किया जाता है | अगर कोई वेबसाइट chrome में work नहीं करे तो firefox में try करना चाहिए |
  • Az screen Recoreder :- इस app के द्वारा किसी भी एंड्राइड मोबाइल के स्क्रीन को रिकॉर्ड कर सकते है | अगर आप स्क्रीन पर चल रहे गतिविधि को रिकॉर्ड करना चाहते है तो इस app का यूज कर सकते है |
  • Calculator :- हिसाब किताब करने के लिए calculator का यूज किया जाता है | आप google के service calculator को free में download कर सकते है |
  • Mx player :- किसी भी video को देखने के लिए इस app का यूज कर सकते है |
  • Airtel TV :- इस app को एयरटेल ने बनाया है | इस app से किसी भी फिल्म या लाइव चैनल को देख सकते है | इसके लिए मोबाइल डाटा होना चाहिए |
  • Amazon :- ऑनलाइन शोपिंग करने के लिए दुनिया का प्रचलित app है | इसे आप घर बैठे शोपिंग कर सकते है |

Best free android apps हर एंड्राइड यूजर के मोबाइल में 101 app होना चाहिए |

  • Flipkart :- फ्लिप्कार्ट शोपिंग करने के लिए best application है | इसका service अमेज़न से भी अच्छा हैं |
  • Camscanner :- किसी भी डाक्यूमेंट्स को स्कैन करने के लिए इस app का यूज करें | इस app से free में प्रिंटर से भी बढ़िया क्वालिटी में scan किया जाता है | इसे play store से download करें |
  • Chess :- चेस एक प्रकार का गेम है | chess prince का बनाया गया chess app मनोरंजन के लिए install करें |
  • Contacts :- गूगल ने contacts नाम का app बनाया है | इस app के द्वारा आप किसी का भी अनलिमिटेड नंबर save कर सकते है | सबसे मजे की बात यह है की उस नंबर को ऑनलाइन देखने का option मिल जाता है |
  • Gboard :- जी बोर्ड भी google का service है | इस app से 60 भाषा में लिखने का आप्शन मिल जाता है |
  • Google calender :- इस app से केलिन्डर की तरह तारीख देखा जाता है | इसमे आप अन्य महत्वपूर्ण feature का इस्तिमाल कर सकते है | अगर आप एक महीने बाद किसी के birthday को याद करना चाहते है तो time सेट कर देना है | उस तारीख को मोबाइल स्वयं बजने लगेगी |
  • Google Deo :- हाई क्वालिटी video कॉल करने के लिए इस app का इस्तिमाल करें | यह app हर एंड्राइड फ़ोन में आने लगा है |
  • Picsart :- इस app के द्वारा free में किसी भी photo को Edit कर सकते है | फ़ोन से ही photo में बदलाव करने का option मिल जाता है |
  • Twitter :- facebook की तरह ट्विटर भी सोशल साईट है | यहाँ पर किसी भी सुचना को ट्विट कर सकते है |
  • Instagram :- इन्स्ताग्राम सोशल नेटवर्क साईट में से एक है | इस साईट पर photo share कर सकते है | आपको किसी भी व्यक्ति को follow करने का आप्शन मिल जाता है |
  • Messenger :- अगर आप फेसबुक यूज करते है तो massanger का नाम जरुर सुने होंगे | इस app के द्वारा अपने दोस्तों के साथ chatt कर सकते है |
  • Uc Browser :- यू सी ब्राउज़र भी chrome की तरह प्रचलित ब्राउज़र है | यहाँ पर किसी भी वेबसाइट को search कर सकते है | लेकिन यह क्रोम की तरह सेफ नहीं है |
  • Smule :- अगर आप संगीत गाते है तो यह आप आपके लिए best है | यहाँ पर कुछ kraoke song फ्री में मिल जाता है |
  • IRCT Rail connect :- इस app से घर बैठे किसी भी ट्रेन का टिकेट बुक कर सकते है | इससे आप Tatkal Ticket भी बुक कर सकते है |
  • Text scanner :- किसी भी फोटो में दिए गए text को read करने के लिए best app है | आप किसी भी text को मोबाइल में स्कैन कर सकते है |
  • Mirror plus :- अगर आप सफर में चेहरा देखना चाहते है तो मिरर plus अच्छा app है | यह आइना की तरह अँधेरे में भी काम करता है |
  • Youtube kid :- यूटूब किड youtube की तरह streaming app है | इस app से बच्चो को कार्टून दिखा सकते है |
  • Opera mini :- uc ब्राउज़र की तरह ओपेरा मिनी अच्छा ब्राउज़र है | लेकिन यह यू.सी ब्राउज़र से best है |
  • Zomato :- अगर आप बड़े शहर में है तो खाना बुक करने के लिए best app है | इस app से घर पर खाना आर्डर कर सकते है |
  • Meesho :- फ्लिप्कार्ट की तरह meesho app है | मगर यह app पैसा कमाई करने का मौका देता है | आप किसी भी व्यक्ति को मीशो का प्रोडक्ट सेल कर सकते है | इसके लिए meesho आपको कुछ कमीशन देता है |
  • Google Lens :- किसी भी वास्तु के बारे में जानने के लिए गूगल लेंस का यूज कर सकते है | यह आप आपके द्वारा search किये गए वास्तु के संबंधित photo दिखता है |
  • Oye app :- इस app के द्वारा बड़े शहरो में hotel बुक कर सकते है | माना की आप एक सप्ताह बाद दिल्ली जाना चाहते है उस तारीख को घर बैठे होटल Book कर सकते है | OYE का service लगभग सभी बड़े शहरों में मिल जाता है | अगर आप कही hotel लेना चाहते है तो इसका इस्तिमाल जरुर करें |

Best free android apps

  • Lic customer :- एल.आई.सी कस्टमर app के द्वारा भारतीय जीवन बिमा के सभी plan के बारे में calculate कर सकते है |
  • Microsoft office Lens :- इस app से किसी भी pdf को scan कर सकते है | इस app को Microsoft corporation कंपनी ने बनाया है |
  • VOOT :- इस app के द्वारा टी.बी शो और मूवीज को देख सकते है | इस app में हर प्रकार का कार्टून save रहता है |
  • Dailyhunt :- न्यूज़ देखने व सुनने के लिए डेली हंट सबसे अच्छा app है |
  • All hindi news paper :- इस app में सभी हिंदी समाचार पत्र का लिंक दिया रहता है | दैनिक जागरण , प्रभात खबर अनेक वेबसाइट इस app में मिल जायेगा |
  • Clean master :- स्लो मोबाइल को फ़ास्ट करने के लिए इस app का सहारा ले सकते है | इस app से एंटीवायरस , बूस्टर , से मोबाइल scan कर सकते है | इस app में अनेक feature है | इससे unwanted फाइल को डिलीट कर सकते है | आप अपने मोबाइल को सेक्योर कर सकते है |

Best free android apps

  • Voice Recorder :- इस app से कॉल रिकॉर्डिंग कर सकते है |
  • Alibaaba.com :- इस app से किसी भी प्रकार के शोपिंग कर सकते है | लेकिन इससे शोपिंग करने के लिए सुपलायर से contact करना होता है |
  • Jio TV :- जिओ टीवी app भी सबसे प्रचलित app है | इस app से live TV देख सकते है | आप आवश्यकता अनुसार फिल्म या किसी शो को देख सकते है |
  • sonyLive :- इस app से भी live टीवी देख सकते है |” मजे की बात यह है की इस app से सोनी का सभी शो देखने को मिल जाता है |
  • Hotstar :- इस app से भी लाइव टीवी और शो देख सकते है | अगर आप क्रिकेट देखना चाहते है तो इस तरह के app यूज करे |
  • Turbo VPN :- यह application अपने user को अनलिमिटेड VPN free में प्रदान करती है | अगर आप ip address चंगे करना चाहते है तो इस app को यूज कर सकते है |
  • Racing fever :- अगर आप game खेलने का शौक़ीन है तो इस app का यूज करें | इस app के द्वारा bike का रेस कर सकते है |
  • Sinium SEO :- अगर आप ब्लॉग लिखते है तो आपके लिए best application है | इस app के द्वारा किसी भी वेबसाइट का सभी स्टेटस देख सकते है | यहाँ से Alexa रैंक भी देखने का option मिल जाता है |
  • PNB mPassbook :- पंजाब नेशनल बैंक का statement देखने के लिए सरल app है | इस app का यूज करने के लिए एक मोबाइल नंबर और customer नंबर की आवश्यकता होती है |

Best free android apps हर एंड्राइड यूजर के मोबाइल में 101 app होना चाहिए |

  • Moto file manager :- अगर आपके फ़ोन में फाइल मेनेजर नही है तो इस app का इस्तिमाल कर सकते है | इससे आप किसी भी video या audio को copy , move और past कर सकते है |
  • Easy voice Recorder pro :- किसी भी आवाज को रिकॉर्ड करने के लिए इस app का इस्तिमाल कर सकते है | 15 रुपये pay करने पर premium feature का इस्तिमाल कर सकते है |
  • Text to speech :- टेक्स्ट को voice में कन्वर्ट करने के लिए इस app का यूज करें |
  • Hello English :- अगर आपको अंग्रेजी नही आता है तो इस app से सिख सकते है |
  • Music player :- इस app का इस्तिमाल करके mp3 को अच्छे आवाज में सुन सकते है |
  • Google Docs :- Microsoft word की तरह इस app का इस्तिमाल कर सकते है |
  • Google my business :- अगर आप किसी बिजनेस को सबसे सामने शो करना चाहते है तो इस app का यूज करें |
  • Trucaller :- इस app से किसी भी सोशल साईट पर रजिस्टर मोबाइल नंबर के बैरे में डिटेल्स निकाल सकते है |
  • Camera :- इस app को आप रखे या न रखे फ़ोन में पहले से ही save रहता है |
  • My make Trip :- hotel और ट्रेन के बुकिंग के लिए इस app का यूज कर सकते है |इस app से फ्लाइट का भी टिकेट बूक करने का option मिल जाता है | अगर आप किसी hotel , बस , ट्रेन , का शुल्क जानना चाहते है तो इस app का इस्तिमाल करें |

Best free android apps

  • Pubg game :- यह game play store का सबसे बड़ा game है | सबसे पोपुलर भी है | मनोरंजन के लिए इस game का इस्तिमाल कर सकते है | लेकिन मुझे यह फालतू लगता है |
  • Cricbuzz :- क्रिकेट का live स्कोर देखने के लिए इस app का इस्तिमाल कर सकते है | यहाँ से आप न्यूज़ भी पढ़ सकते है |
  • Myntra online shoping app :- कहा जाता है कपडा खरीदना हो तो myntra से ख़रीदे | क्यूंकि कपडे के मामले में यह बहुत मशहूर शोपिंग app है |
  • Picsart colour paint :- अगर किसी photo पर advanced कलर करना है तो इस app का यूज करें |
  • Quora :- सोशल साईट में से कुओरा भी एक है | इसे knowledge के लिए इस्तिमाल कर सकते है |
  • Qr scanner :- qr कोड को scan करने के लिए इस app का यूज कर सकते है |
  • Freecharge :- freecharge app से पैसा का भुगतान कर सकते है | इस app को फ़ोन पे app की तरह यूज किया जा सकता है |
  • Talking tom :- इस आप के द्वारा भी मज़ा ले सकते है | बच्चे इसे बहुत पसंद करते है |
  • Inshot :- इस app से video एडिटिंग कर सकते है | अगर आप pro version खरीदना चाहते है तो अन्य feature मिल जायेगा |
  • Play Books :- प्ले बुक्स भी google का service है | इस app से हर प्रकार का किताब पढ़ सकते है | इस app में free में कहानियां , करंट अफेयर्स , जनरल नॉलेज इत्यादि बुक पढ़ सकते है |
  • Text to speech :- इस app से किसी वाक्य को लिखकर voice में बदल सकते है |
  • Massage :– इस app को दुनिया के हर मोबाइल में यूज किया जाता है |
  • Google Remote :- गूगल रिमोट से किसी भी सेटअप बॉक्स या टीवी को चलाया जा सकता है |
  • Vlc for android :– इस app से किसी भी video को चलाया जा सकता है | अगर आप video देखना चाहते है तो vlc का यूज कर सकते है |
  • Olx :- ओ.एल.एक्स app अपने आप में मशहूर है | इस app के माध्यम से पुरानी वास्तु को बेच सकते है अगर आपको कोई पुरानी सामान खरीदना है तो olx का इस्तिमाल कर सकते है |
  • Youtube music :- अगर आप म्यूजिक सुनना पसंद करते है तो इस app का इस्तिमाल कर सकते है |
  • Lock app :- इस aap के द्वारा किसी भी application को लॉक कर सकते है | ताकि दूसरा व्यक्ति बिना अनुमति के यूज ना करे | इस application से स्क्रीन लॉक भी लगा सकते है |
  • Vmate :- video देखने या download करने के लिए vmate app का यूज कर सकते है | लेकिन यह google play store में नही मिलेगा | आप किसी ब्राउज़र के द्वारा search कर सकते है |
  • Tiktok :– तिकतोक का नाम आपने सुना होगा | इस app के द्वारा आप खुद का video बना सकते है | यह app Like अप्प की तरह ही है |
  • Ola cabs :- अगर आप किसी अनजान जगह पर टैक्सी पकड़ना चाहते है तो ola app से मदद ले सकते है | बड़े शहरो में इसी का उपयोग होता है |
  • Bhim sbi pay :- भारतीय स्टेट बैंक का upi app है | इस app से mony transfer किया जा सकता है |
  • Star maker :- अगर आप संगीत गाते है तो इस app का यूज कर सकते है | इसमे लगभग 50 मिलियन music अवेलेबल है |
  • Pnterest :- सोशल मीडिया साईट में से एक pinterest है | photo share करने से संबंधित यह यूज किया जा सकता है |
  • Microsoft Excel :- जिस तरह से कंप्यूटर पर एक्सेल यूज करते है उसी प्रकार इस app से मोबाइल में एक्सेल इस्तिमाल कर सकते है | इस आप को Microsoft corporation ने बनाया है |
  • Digilocker :- इस आप में डाक्यूमेंट्स save कर सकते है | अगर आपको किसी कागजात की जरुरत है तो आप इस्तिमाल कर सकते है | इस app को भारत सरकार ने बनाया है |
  • Google Keep :- यह गूगल से बनाया गया app है | इस app से नोट्स या लिस्ट तैयार कर सकते है |
  • Alexa :- किसी भी वेबसाइट का Rank देखने के लिए इस app का यूज कर सकते है |
  • Paypal :- इस app को international पैसा भुगतान करने में यूज कर सकते है |
  • Funcalls :- अगर आप किसी के फ़ोन पर नंबर बदल कर कॉल करना चाहते है तो इस app का इस्तिमाल करें |
  • English Hindi Dictionary :- अगर आप किसी word का मीनिंग जानना चाहते है तो इस आप का यूज कर सकते है |
  • Umang :- इस app के द्वारा हर क्षेत्र का न्यूज़ पढने को मिलता है |

इन सभी app में से आपको कौन सी आप अच्छा लगा | कमेंट जरुर करें |

Saturday, May 09, 2020

गर्भवती महिला के लिए आहार संबंधी आवश्यक जानकारी

गर्भवती महिला के लिए आहार संबंधी आवश्यक जानकारी 

भूमिका

हर महिला कि यह इच्छा होती है कि वह एक स्वस्थ बच्चे को जन्म दे। इस इच्छा को पूर्ण करने के लिए गर्भावस्था मे पौष्टिक आहार का सेवन पर्याप्त मात्रा मे करना बेहद जरुरी है। गर्भस्थ शिशु का विकास माता के आहार पर निर्भर होता है। गर्भवती महिला को ऐसा आहार करना चाहिए जो उसके गर्भस्थ शिशु के पोषण कि आवश्यकताओं को पूरा कर सके।

सामान्य महिला को प्रतिदिन 2100 कैलोरीज का आहार करना चाहिए। फूड व न्यूट्रीशन बोर्ड के अनुसार सगर्भा महिला को आहार के माध्यम  से 300 कैलोरीज अतिरिक्त मिलनी ही चाहिए। यानि सामान्य महिला कि अपेक्षा गर्भवती महिला को 2400 कैलोरीज प्राप्त हो इतना आहार लेना चाहिए और विविध विटामिन, मिनिरल्स  अधिक मात्रा में प्राप्त करना चाहिए।

गर्भावस्था में महिला को आहार में कौन से चीजें लेना चहिए ओर कितनी मात्रा में लेना चाहिए इसकि अधिक जानकारी नीचे दी गयी है-


प्रोटीन



  • गर्भवती महिला को आहार मे प्रतिदिन 60 से 70 ग्राम प्रोटीन  मिलना चाहिए।
  • गर्भवती महिला के गर्भाशय, स्तनों तथा गर्भ के विकास ओर वृद्धि के लिये प्रोटीन  एक महत्वपूर्ण तत्व है।
  • अंतिम 6 महीनो के दौरान करीब 1 किलोग्राम प्रोटीन  की आवश्यकता होती है।
  • प्रोटीन युक्त आहार मे दूध और दुध से बने व्यंजन, मूंगफली, पनीर, चिज़, काजू, बदाम, दलहन, मांस, मछली, अंडे आदि  का समावेश होता है।

कैल्शियम



  • गर्भवती महिला को आहार मे प्रतिदिन 1500 -1600 मिलीग्राम कैल्सियम मिलना चाहिए।
  • गर्भवती महिला और गर्भस्थ शिशु की स्वस्थ और मजबूत हड्डियों के लिये इस तत्व कि आवश्यकता रहती है।
  • कैल्सियम युक्त आहार में दूध और दूध से बने व्यंजन, दलहन, मक्खन, चीज, मेथी, बीट, अंजीर, अंगूर, तरबूज, तिल, उड़द, बाजऱा, मांस आदि  का समावेश होता है।

फोलिक एसिड



  • पहली तिमाही वाली महिलाओं को प्रतिदिन 4 एमजी फोलिक एसिड लेने  की आवश्यकता होती है। दूसरी और तीसरी तिमाही मे 6 एमजी फोलिक एसिड लेने  की आवश्यकता होती है।
  • पर्याप्त मात्रा में फोलिक एसिड लेने से जन्मदोष और गर्भपात होने का खतरा कम हो जाता है। इस तत्व के सेवन से उलटी पर रोक लग जाती है।
  • आपको फोलिक एसिड का सेवन तब से कर लेना चाहिए जब से आपने माँ बनने का मन बना लिया हो।
  • फोलिक एसिड युक्त आहार मे दाल, राजमा, पालक, मटर, मक्का, हरी सरसो, भिंड़ी, सोयाबीन, काबुली चना, स्ट्रॉबेरी, केला, अनानस, संतरा, दलीया, साबुत अनाज का आटा, आटे कि ब्रेड आदि  का समावेश होता है।

पानी



गर्भवती महिला हो या कोई भी व्यक्ति, पानी हमारे शरीर के लिये बहुत महत्वपूर्ण है। गर्भवती महिलाओं  को अपने शरीर कि बढ़ती हुईं आवश्यकताओं को पूरा करने के लिये प्रतिदिन कम से कम 3 लीटर (10 से 12 ग्लास) पानी जरुर पीना चाहिए। गर्मी के मौसम में 2 ग्लास अतिरिक्त पानी पीना चाहिए।

  • हमेशा ध्यान रखे कि आप साफ़ और सुरक्षित  पानी पी रहे है। बाहर जाते समय अपना साफ़ पानी साथ रखे या अच्छा बोतलबंद पानी का उपयोग करे।
  • पानी की हर बूंद आपकी गर्भावस्था को स्वस्थ और सुरक्षित बनाने मे सहायक है।

विटामिन



  • गर्भावस्था के दौरान विटामिन की जरुरत बढ़ जाती है।
  • आहार ऐसा होना चाहिए कि जो अधिकधिक मात्रा मे कैलोरीज तथा उचित मात्रा में प्रोटीन  के साथ विटामिन कि जरुरत कि पूर्ति कर सके।
  • हरी सब्जियां, दलहन, दूध आदि  से विटामिन उपलब्ध हो जाते है।

आयोडीन



  • गर्भवती महिलाओं के लिये प्रतिदिन 200-220 माइक्रोग्राम आयोडीन  की आवश्यकता होती है।
  • आयोडीन  आपके शिशु के दिमाग के विकास  के लिये आवश्यक है। इस तत्व की कमी से बच्चे मे मानसिक रोग, वजन बढ़ना और महिलाओं  मे गर्भपात जैसी  अन्य खामिया उत्पन्न होती है।
  • गर्भवती महिलाओं  को अपने डॉक्टर कि सलाह अनुसार थाइरोइड प्रोफाइल जॉंच कराना चाहिए।
  • आयोडीन  के प्राकृतिक स्त्रोत्र है अनाज, दालें, ढूध, अंड़े, मांस। आयोडीन  युक्त नमक अपने आहार मे आयोडीन  शामिल करने का सबसे आसान और सरल उपाय है।

जिंक



    • गर्भवती महिलाओं   के लिये प्रतिदिन 15 से 20 मिलीग्राम जिंक की  आवश्यकता होती है।
    • इस तत्व कि कमी से भूख नहीं लगती, शारीरिक विकास अवरुद्ध हो जात्ता है, त्वचा रोग होते है।
    • पर्याप्त मात्रा में शरीर को जिंक की  पूर्ति करने के लिए हरी सब्जिया और मल्टी-विटामिन सप्प्लिमेंट  ले सकते है।

आवश्यक मार्गदर्शन


गर्भवती महिलाओं  को आहार संबंधी निम्नलिखित बातों का ख्याल रखना चाहिए -

  • गर्भवती महिला को हर 4 घंटे में कुछ खाने की कोशिश करनी चाहिए। हो सकता है आपको भूख न लगी हो, परन्तु हो सकता है कि आपका गर्भस्थ शिशु भूखा  हो।
  • वजन बढ़ने कि चिंता करने के बजाय अच्छी तरह से खाने कि ओर ध्यान देना चाहिए।
  • कच्चा दूध न पिए।
  • मदिरापान अथवा  धूम्रपान न करे।
  • कैफीन की मात्रा कम करे। प्रतिदिन 200 मिलीग्राम  से अधिक कैफीन लेने पर गर्भपात और कम वजन वाले शिशु के जन्म लेने का खतरा बढ़ जाता है।
  • गर्भवती महिलाओं  को गर्म मसालेदार चींजे नहीं खाना चाहिए।
  • एनेमिया  से बचने के लिए अखण्ड अनाज से बने पदार्थ, अंकुरित दलहन, हरे पत्तेवाली साग भाज़ी, ग़ुड़, तिल आदि  लोहतत्व से भरपूर खाद्यपदार्थों का सेवन करना चाहिए।
  • सम्पूर्ण गर्भावस्था के दौरान गर्भवती महिला का वजन 10 से 12 किलो बढ़ना चाहिए।
  • गर्भवती महिला को उपवास नहीं करना चाहिए।
  • गर्भवती महिला को मीठा खाने की इच्छा हो तो उन्हें अंजीर खाना चाहिए। इसमें प्रचुर मात्रा में कैल्सियम है और इससे कब्ज भी दूर होता हैं।
  • सब्जियों का  सूप और जूस लेना चाहिए। भोजन के दौरान इनका सेवन करे। बाजार में मिलने वाले रेडीमेड सूप व् जूस का उपयोग न करे।
  • गर्भवती महिला को फास्टफूड, ज्यादा तला हुआ खाना, ज्यादा तिखा और मसालेदार खाने से परहेज करना चाहिए।
  • अपने डॉक्टर की  सलाह अनुसार विटामिन और आयरन की  गोलिया नियमित समय पर लेना चाहिए।

गर्भावस्था के दौरान स्वास्थ्य का ध्यान