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Saturday, May 09, 2020

युवा आधुनिक महिलाओं के लिए नयी स्वास्थ्य नीति

युवा आधुनिक महिलाओं के लिए नयी स्वास्थ्य नीति

परिचय

नई राष्‍ट्रीय स्‍वास्‍थ्‍य नीति में युवा शहरी महिलाओं में प्रजनन संबंधी बीमारियों की बढ़ती हुई घटनाओं का समाधान करेगी। सरकार बांझपन की स्थिति से जुड़ी पॉलिसिस्‍टिक डिंबग्रथि रोग, एंडोमैट्रोरियोंसिस, और फाइब्रायड्स की रिपोर्ट से चिंतित है। नई स्वास्थ्य नीति में शहरी महिलाओं की स्वास्थ्य समस्याओं के लिए अनेक प्रावधान रखे गये हैं। इस योजना में प्रजनन संबंधी बीमारियों की बढ़ती हुई संख्या को देखते हुए इसके समाधान के लिए तेजी से और सावधानीपूर्वक कार्य किये जाने पर जोर दिया गया है।

अवधारणा

महिलाओं के स्वास्थ्य पर ध्यान केंद्रित करते हुए जल्‍दी ही भारतीय महिलाओं की स्‍वास्‍थ्‍य में सुधार लाने के तरीके सुझाने के लिए एक समिति का गठन करेंगे। समिति का निष्‍कर्ष नई राष्‍ट्रीय स्‍वास्‍थ्‍य नीति का एक हिस्‍सा होगा। देश के भविष्‍य की दृष्टि से एक महिला का शरीर एक मंदिर के तौर पर बहुत महत्‍वपूर्ण है। नई पीढ़ी को स्‍वस्‍थ बनाने के लिए महिलाओं का परिवार, समाज और राष्‍ट्र पर हितकारी प्रभाव होता है क्‍योंकि प्रत्‍येक महिला को अपने चुने हुए क्षेत्र, अपने बच्‍चों के लिए माता और शिक्षक तथा सामूहिक मूल्‍यों के संरक्षक के नाते पेशेवर रूप में बहुत प्रकार के कार्य करने पड़ते हैं।

मातृ मृत्‍युदर कम करना और वंचित परिवेश से आने वाली महिलाओं के पोषण स्‍तर में सुधार लाना, मां और बच्‍चे के विकास कार्यक्रमों में मजबूती लाना जैसे क्षेत्र मुख्‍य हैं। इसके अलावा नई राष्‍ट्रीय स्‍वास्‍थ्‍य नीति प्रजनन स्‍वास्‍थ्‍य, एनीमिया और जीवन शैली के कारण होने वाले अनेक गैर-संचारी रोग की समस्‍या का समाधान करेगी।

डॉ. हर्षवर्धन ने बताया कि मादक द्रव्‍यों का सेवन, शराब और धू्म्रपान युवाओं महिलाओं में लो‍कप्रिय हो रहे हैं। अभी हाल में नेशनल इंस्‍टीट्यूट ऑफ मेंटल हेल्‍थ एण्‍ड न्‍यूरो साइंस बेंगलूरू ने नशीली दवाओं और शराब की शिकार महिलाओं के लिए एक विशेष वार्ड खोला है। यह पूरे राष्‍ट्र के लिए खतरनाक संकेत है। सामाजिक समूह से इस चुनौती से निपटने में सरकार की मदद करने का भी उन्‍होंने आह्वान किया।

उन्‍होंने कहा, ‘’हम आधुनिक जीवन शैली की बढ़ती हुई चुनौतियों से चिंतित हैं जिसमें एक और कार्य का तनाव रहता है और दूसरी, ओर खाने - पीने और सोने की गलत आदतों का प्रभाव पड़ता है। सरकार सामाजिक, धार्मिक, छात्र एवं परोपकारी समूहों से इस संकट से मुकाबला करने में सहायता चाहती है’’। संकट की इस वर्तमान स्थिति में फिट रहने के लिए उन्‍होंने योग की तरफ इशारा करते हुए कहा कि योग विश्‍व को भारत की देन है और यह शरीर को ठीक रखने का सबसे अच्‍छा तरीका है। इससे मानसिक शांति और ध्‍यान केंद्रित करने की शक्ति मिलती है।

डॉ. हर्षवर्धन ने दुबला पतला रहने के लिए अधिक से अधिक कसरत करने और आधा भूखा रहने जैस प्रचलित मिथकों के बारे में सचेत किया कि उन्‍होंने कहा कि जब शरीर अनेक हार्मोंन परिवर्तन के दौर से गुजर रहा हो और उसे ऊर्जा की लगातार जरूरत हो तो जीवन के इस चरण में ऐसा करना बहुत खतरनाक है। इसलिए मेरी यह सलाह है कि बीमारियों से प्रतिरोध बनाने के लिए रोजाना निर्धारित समय पर पर्याप्‍त कैलोरी युक्‍त संतुलित भोजन लिया जाए। जंक फूड का त्‍याग करना भी बहुत आवश्‍यक है।

उन्‍होंने कॉलेज की प्रिंसिपल डॉ. वीणा गौतम को यह सलाह दी कि कॉलेज में हर लड़की अपना खेल प्रोफाइल बढ़ाने और स्‍वस्‍थ रहने के लिए खेलों में भाग ले। खेल मानसिक और शारीरिक स्‍वास्‍थ्‍य को सुनिश्चित करता है। उन्‍होंने नारीवाद के अवतारवाद के रूप में नारी लक्ष्‍मीबाई की छवि का स्‍मरण करते हुए कहा कि झांसी की रानी ने मां और नेता का किरदार बहुत संतुलित रूप से निभाया है। उनके शुरू अंग्रेज जनरल ह्यूरेाज ने उनकी वीरता की प्रशंसा में टोपी उतारकर सिर झुकाया था। पुरूष प्रधान युग में वे भी अग्रणीय रहीं। मैं आज की युवा महिलाओं से उनको एक आदर्श के रूप में अपनाने का अनुरोध करता हूं। नई सरकार के गठन के 90 दिनों के अंदर स्‍वास्‍थ्‍य मंत्रालय ने यौन हिंसा की शिकार महिलाओं की सुरक्षा के लिए अस्‍पताल के कर्मचारियों को उनकी चिकित्सा और कानूनी जरूरतों के प्रति संवदेनशील बनाने के कदम उठाए हैं।

Saturday, May 09, 2020

महिला व परिवार नियोजन

महिला व परिवार नियोजन
भूमिका

 

परिवार नियोजन का अर्थ है यह तय करना कि आपके कितने बच्चे हों और कब हों ? अगर आप बच्चे पैदा करने के लिए थोड़ी प्रतीक्षा करना चाहते हैं तो अनके उपलब्ध साधनों में से कोई एक साधन चुन सकते हैं | इन्हीं साधनों को परिवार नियोजन के साधन, बच्चों के जन्म के बीच अंतर रखने के साधन या गर्भ निरोधक साधन कहते हैं |

प्रतिवर्ष लगभग 5 लाख महिलाएं गर्भधारण, प्रसव, तथा असुरक्षित गर्भपात की समस्याओं के कारण मृत्यु की शिकार हो जाती है | इनमें अनके मौतों को परिवार नियोजन के द्वारा रोका जा सकता है | उदहारण के तौर पर, परिवार नियोजन गर्भ धारण के खतरों की रोकथाम कर सकता है जो कि निम्नलिखित हैं :

  • अधिक जल्दी : 18 वर्ष से कम आयु की लड़कियों की प्रसव के दौरान मरने की संभावना रहती है क्योंकि उनका शरीर पूरी तरह से विकसित नहीं होता है | उनको पैदा हुए बच्चों का भी पहले वर्ष में ही मृत्यु हो जाने की आशंका अधिक रहती है |
  • अधिक देर : गर्भधारण से अधिक आयु की महिलाओं को ज्यादा खतरा रहता है क्योंकि उन्हें प्राय: अन्य स्वास्थ्य समस्याएं भी होती है या उन्होंने पहले ही कई बच्चों को जन्म दिया हुआ होता है |
  • अधिक पास – गर्भों के बीच के काल में महिला के शरीर को गर्भ धारण के प्रभावों से उबरने के लिए समय चाहिए|
  • अत्यधिक – 4 या उससे अधिक बच्चे पैदा करने वाली महिला को प्रसव के पश्चात खून बहने व अन्य कारणों से मृत्यु का अधिक जोखिम होता है |

परिवार नियोजन के लाभ

  • माताएं तथा बच्चे अधिक स्वस्थ होंगे क्योंकि जोखिम पूर्ण गर्भों की रोकथाम हो जाती है |
  • बच्चों की कम संख्या का अर्थ है प्रत्येक बच्चे के लिए अधिक भोजन बच्चों के जन्म को टालकर युवा महिलाओं व पुरुषों को अपनी शिक्षा पूरी करने तथा अपना भविष्य सुदृढ़ करने का अवसर व समय मिलता है |
  • अगर बच्चे कम हैं तो आप एक दुसरे व बच्चों के साथ अधिक समय गुजार सकते हैं |

परिवार नियोजन आपको व आपके साथी को सहवास का अधिक आनंद उठाने में भी सहायता करता है क्योंकि अवांछित गर्भ का भय नहीं रहता है | कुछ साधनों के अन्य स्वस्थ लाभ भी होते हैं – उदहारण – कंडोम तथा शुक्राणुनाशकों से यौन संचारित रोगों से बचाव रहता है  जिसमें एच.आई.वी./एड्स भी शामिल है | हार्मोन युक्त साधन महिला की माहवारी में अनियमितता व दर्द में सहायक होते हैं तदापि परिवार नियोजन साधनों की जिम्मेवारी व जोखिम को अपने जीवन काल के विभिन्न समयों में दोनों जीवन साथियों द्वारा उठाना चाहिए |

सुरक्षित परिवार नियोजन

इस अध्याय में वर्णित सभी परिवार नियोजन साधनों का विश्व में लाखों महिलाओं द्वारा प्रयोग किया जाता है | वास्तव में ये सभी साधन, गर्भधारण या प्रसव की तुलना में कहीं अधिक सुरक्षित है |

भारत में कुपोषण तथा तपेदिक और मलेरिया जैसे संक्रामक रोगों के कारण गर्भावस्था काफी जोखिमपूर्ण हो जाती है | परिवार नियोजन साधनों की उपलब्धता, आपातकालीन प्रसव संबंधित सेवाओं तक आसान पहुंच और संक्रामक रोगों के बेहतर प्रबंधन से मातृ मृत्यु दर में बहुत कमी लायी जा सकती है |

परिवार नियोजन अपनाने का निर्णय

उन समुदायों में, जहां निर्धन लोगों को समान अवसर नहीं मिलते हैं या उन्हें डर रहता है कि जमीन, संसाधनों, स्वास्थ्य सेवाओं व सामाजिक लाभों के आभाव में वे और उनके बच्चे जिंदा नहीं रह सकेंगे, वे अधिक बच्चों की चाहत रखते हैं | ऐसा इसलिए होता है कि सामाजिक सुरक्षा के आभाव में केवल बच्चे ही अपने माता-पिता की वृद्धावस्था  में देखभाल करते हैं और काम में उनका हाथ बंटाते हैं | लड़का पैदा करने के लिए पारिवारिक दबाव के कारण अनके महिलाओं को बार-बार गर्भधारण करने पर मजबूर होना पड़ता है | इन स्थानों में कम बच्चे पैदा करना एक ऐसा सौभाग्य होता है जो केवल अमीरों को ही प्राप्त हो सकता है |

अन्य महिलाएं बच्चों की संख्या सीमित करना चाह सकती है | यह प्राय: तब होता है जब महिलाओं को शिक्षित होने तथा आमदनी करने के अवसर मिलते हैं और वे पुरुषों से बराबरी से बात कर सकती हैं |

चाहे महिला कहीं भी रहती हो, अगर बच्चों की संख्या और उनके पैदा होने के समय पर नियंत्रण है तो वह अधिक स्वस्थ रहेगी | फिर भी, यह निर्णय लेना कि वह परिवार नियोजन का प्रयोग करना चाहती है कि नहीं, उसका अधिकार होना चाहिए क्योंकि उसके शरीर को ही गर्भ का बोझ व बच्चों को पालने –पोसने की जिम्मेदारी सहन करनी पड़ती है | इसके अलावा, महिला का उसके अपने शरीर पर नियंत्रण के अधिकार का हर समय सम्मान होना चाहिए ताकि उसका यौनिक शोषण व उत्पीडन न हो सके|

अपने पति से परिवार नियोजन के बारे में बात करना

सबसे अच्छा तो यही है कि आप आपके पति दोनों एक साथ मिलकर परिवार नियोजन तथा साधन के प्रयोग के बारे में मिलकर बातचीत करें |

कुछ पुरुष नहीं चाहते हैं कि उनकी पत्नियां परिवार नियोजन का प्रयोग करें क्योंकि उन्हें विभिन्न साधनों के कार्य करने के बारे में अधिक जानकारी नहीं होती है | पुरुष को अपनी पत्नी के स्वास्थ्य के बारे में चिंता हो सकती है क्योंकि उसने परिवार नियोजन साधनों के “खतरों”के बारे में कई बातें सुनी हुई होती है | उसे यह भी डर हो सकता है कि अगर महिला पिरवार नियोजन साधन का प्रयोग करती है तो हो सकता है कि किसी अन्य पुरुष के साथ भी सहवास करे | या फिर, वह यह भी सोच सकता है कि अधिक बच्चे पैदा करना “मर्दानगी” की निशानी है | एक और आम धारणा यह भी है कि कंडोम सहवास के आनंद में बाधक होता है या नसबंदी कराने से उनके पौरुष में कमी आ जाएगी|

इस अध्याय में दी गई जानकारी को अपने पति से बांटने का प्रयास करें | इससे उसे यह समझने में आसानी होगी कि –

  • परिवार नियोजन अपनाने से उसे आपकी व आपके बच्चों की बेहतर देखभाल करने में सहायता मिलेगी |
  • बच्चों के जन्म के बीच अंतर रखना आपके व बच्चों के हित में है |
  • परिवार नियोजन आप दोनों के बीच सहवास को और अधिक आनंदमय बना सकता है क्योंकि आप दोनों को अनचाहे गर्भ का भय नहीं रहेगा|परिवार नियोजन साधन अपनाने का अर्थ यह नहीं है कि आप दुसरे पुरुषों से सहवास करेंगी |

अगर आपके पति परिवार नियोजन के इन लाभों के विषय में जानकार भी आपको परिवार नियोजन का साधन नहीं अपनाने देना चाहते हैं तो यह निश्चय आपको करना होगा कि आप फिर भी इसे अपनाना चाहती हैं या नही | अगर आप ऐसा निर्णय करती है तो आपको ऐसा कोई साधन अपनाना होगा जिसके बारे में आपके पति को पता न चले |

परिवार नियोजन के साधन का चयन

जब आप परिवार नियोजन अपनाने का निर्णय ले लें तो आपको एक गर्भ निरोधक साधन चुनना चाहिए | उचित निर्णय लेने के लिए पहले आपको विभिन्न साधनों व उनके लाभों व हानियों के बारे में जानना चाहिए |

परिवार नियोजन साधन मुख्यतः 5 प्रकार के होते हैं :

  • अवरोधक साधन, जो कि शुक्राणुओं को अंडे तक पहुंचने से रोककर गर्भ की रोकथाम करते हैं |
  • हार्मोन साधन, जो कि महिला के अंडाशयों से अंडे का विसर्जन ; शुक्राणु का अंडे तक पहुंचने की क्रिया को कठिन बनाकर और गर्भाशय की आतंरिक झिल्ली को निषेचित अंडे के लिए प्रतिकूल बनाकर प्रभावी होता है |
  • आई.यू.डी.,जो कि पुरुष के शुक्राणु द्वारा महिला के अंडे के निषेचन की रोकथाम करते हैं |
  • प्राकृतिक साधन, जो कि महिला को यह जानने में सहायता करते हैं कि वह गर्भधारण कनरे योग्य हैं ताकि वह उस अवधि में सहवास कर सके |
  • स्थायी साधन, जो कि वे आपरेशन है जो किसी महिला या पुरुष को बच्चा पड़ा करने के लिए लगभग पूर्ण अयोग्य बना देते हैं |

परिवार नियोजन के इन साधनों का वर्णन किया गया है | जब आप प्रत्येक साधन के बारे में पड़ेंगी तो शायद आपके मन में ये प्रश्न उठ सकते हैं –

  • यह गर्भधारण रोकने में कितना प्रभावी है (इसकी प्रभावशीलता) ?
  • यह कितना सुरक्षित है ? अगर आप इस अध्याय में वर्णित स्वास्थ्य समस्याओं में से एक से भी पीड़ित है तो आपको कुछ प्रकार कर साधनों से परहेज करना पड़ सकता है|
  • प्रयोग करने में यह साधन कितना आसान हैं ?
  • क्या आपका साथी परिवार नियोजन अपनाने के लिए तैयार है ?
  • आपकी व्यक्तिगत आवश्यकताएं व चिंताएं क्या है ? उदहारणतया, क्या आपका परिवार पूरा हो सकता है ? क्या अप स्तनपान करा रही है ?
  • इस साधन की कीमत क्या है ?
  • क्या यह आसानी से मिलता है ? क्या आपको इसे लिए बार बार स्वास्थ्य केंद्र जाने की आवश्यकता पड़ेगी ?
  • क्या इस साधन से होने वाले संभावित दुष्प्रभाव आपके लिए कठिनाइयां उत्पन्न कर सकते हैं ?

इन साधनों के बारे में पढ़कर, आप इनमें से किसी एक को चुनने के लये पृष्ट पर दी गई जानकारी की सहायता ले सकते हैं | किसी अन्य महिला, अपने साथी या स्वास्थ्यकर्मी से विचार विमर्श करना भी सहायक हो सकता है | केवल आप ही यह निर्णय ले सकती हैं कि कौन सा साधन आपके लिए सर्वोतम है |

परिवार नियोजन के अवरोधक साधन

अवरोधक साधन शुक्राणुओं को अंडे तक पहुंचना रोक कर गर्भ की रोकथाम करते हैं | ये महिला या पुरुष के शरीर में किसी प्रकार के परिवर्तन या दुष्प्रभाव उत्पन्न नहीं करते हैं | स्तनपान करा रही महिलाओं के लिए भी ये साधन सुरक्षित हैं | इनमें से अधिकांश साधन एच.आई.वी/ एड्स सहित एस.टी.डी से बचाव करते हैं | जब कोई महिला गर्भ धारण करना चाहे तो बस वह इस साधन का प्रयोग बंद कर दें |

अवरोधक साधनों में पुरुष के लिए कंडोम, महिलाओं के लिए कंडोम, डायाफ्राम तथा शुक्राणु नाशक शामिल है |

कंडोम

यह रबर की पतली झिल्ली की बनी हुई, लिंग के आकार की एक थैली होती है जिसे पुरुष संभोग के दौरान अपने लिंग पर चढ़ा चढ़ा लेता है | चूँकि संभोग में निकलने वाले शुक्राणु इस थैली में ही रहते हैं, इसलिए वे महिला के शरीर में प्रवेश नहीं कर पाते हैं|

कंडोम को अगर शुक्राणु क्रीम के साथ प्रयोग किया जाए तो उनकी प्रभावशाली सर्वोतम होती है लैटेक्स के बने कंडोम एस.टी.डी व एच.आई.वी. के विरुद्ध सर्वोतम सुरक्षा प्रदान करते हैं | इनका अकेले या किसी अन्य गर्भ निरोधक साधन के साथ प्रयोग किया जा सकता है |

कंडोम आज बाजार में व दवाईयों की दुकान से आसानी से ख़रीदे जा सकते हैं | ये स्वास्थ्य केन्द्रों व स्वास्थ्य कर्मचारियों से भी लिए जा सकते हैं | एड्स रोकथाम कार्यक्रम के अन्तर्गत स्थापित डिपो धारकों से भी इन्हें प्राप्त किया जा सकता है|कंडोम कुछ पुरुषों में संभोग की अवधि बढ़ाने में भी सहायक होते हैं|

कंडोम का पैकेट खोलते समय ध्यान रखें कि वह क्षतिग्रस्त न हो जाए | अगर पैकेट फटा हुआ है या पिचका हुआ है तो उसे प्रयोग न करें | चिपचिपे व सख्त कंडोम का भी प्रयोग न करें | लिंग पर चढ़ने से पहले उसे पूरा न खोलें |

कंडोम को लिंग पर तभी चढ़ाना चाहिए जब वह कड़ा हो और उसने महिला के जननांगो को नहीं छुआ हो | अगर लिंग, बिना कंडोम के, महिला के जननांगों को छूता है या योनि में प्रवेश करता है तो ऐसा करने से बिना वीर्य के स्खलन के भी, महिला गर्भवती हो सकती है और उसे एस.टी.डी लग सकता है |

याद रखें :

  • संभोग की हर क्रिया के लिए एक नया कंडोम का प्रयोग करें |
  • संभव हो तो केवल लैटेक्स का बना कंडोम ही प्रयोग करें | वे एच.आई.वी के विरुद्ध सर्वोतम सुरक्षा प्रदान करते हैं |
  • कंडोम को हमेशा ठंडे, सूखे स्थान पर – धूप से बचाकर रखें | कटे-फाटे, पुराने पैकेटों में रखें कंडोमों के खराब होने की आशंका रहती है |
  • एक कंडोम केवल एक बार ही प्रयोग करें | पहले से इस्तेमाल किये हुए कंडोम का फिर से प्रयोग करने पर उसके फटने की आशंका रहती है |

खाद्य तेल, शिशु तेल, खनिज तेल, पेट्रोलियम जैल, त्वचा के लोशन, या मक्खन जैसे चिक्नाईयों का कंडोम के साथ कदापि न प्रयोग करें | इनसे कंडोम फट सकता है |

हो सकता है कि शुरू में पुरुष कंडोम का प्रयोग न करना चाहे लेकिन महिला को अपने इस पुरुष साथी को परिवार नियोजन के लाभ व एस.टी.डी, एच.आई.वी /एड्स से सुरक्षा का महत्त्व बताकर कंडोम प्रयोग के लिए सहमत करना चाहिए |

कंडोम का प्रयोग कैसे करें ?

  1. अगर पुरुष की सुन्नत नहीं हुई है तो लिंग के अगले भाग की त्वचा को पीछे करें | कंडोम के अगले भाग को एक हाथ के अंगूठे व तर्जनी के बीच दबाकर उसमें से हवा निकल दें | उसके बाद उत्तेजित लिंग पर कंडोम को लिंग के आखरी भाग तक चढ़ा दें |
  2. जब कंडोम को लिंग पर चढ़ाया जा रहा हो तो बीच-बीच में दबाकर उसमें से हवा निकालते रहें | कंडोम के सिरे पर बनी पिचकी हुई थैली पुरुष के वीर्य को संग्रहित करेगी | अगर आप इस थैली से हवा नहीं निकालेंगे तो बाहर निकलते समय कंडोम फट सकता है |
  3. स्खलन के पश्चात पुरुष को कंडोम का रिम पकड़े हुए लिंग को योनि से तभी निकालना  लेना चाहिए जब वह कड़ा हो |
  4. कंडोम को “अनरोल” करते हुए अर्थात गोलाई में नीचे की ओर सरकाते हुए उतारें | ऐसा करने में वीर्य को बाहर निकलने या छलकने न दें |
  5. कंडोम को सिरे पर ठीक से गाँठ लगाकर बांध दें और इसे जलाकर गड्ढे में दबाकर या शौचालय की फ्लश में बहा कर इसका विसर्जन कर दें |

महिलाओं के लिए कंडोम (महिला कंडोम)

महिला कंडोम जो योनि में फिट हो जाता है और योनि के बाहरी भग प्रकोष्ठों को ढक लेता है, संभोग से पहले कभी भी योनि में लगाया जा सकता है | इसे केवल एक ही बार प्रयोग करना चाहिए क्योंकि अगर इसे धोकर फिर से प्रयोग किया गया तो यह फट सकता है |

गर्भ व एस.टी.डी जिसमें एच.आई.वी./एड्स भी शामिल है, से बचाव के उन साधनों में जिन पर महिला का नियंत्रण होता है, यह सर्वाधिक प्रभावी साधन है परंतु इसे पुरुष कंडोम के साथ प्रयोग नहीं करना चाहिए |

यह काफी महंगा व प्रयोग में काफी जटिल होता है और अभी भारत में उपलब्ध नहीं है |

महिला कंडोम का प्रयोग कैसे करें ?

  1. पैकेट को ध्यान पूर्वक खोलें |
  2. कंडोम के अंदरूनी रिंग के ढूंढे जो कि उसके बंद सिरे पर होता है|
  3. अंदरूनी रिंग को एक साथ दबाएं |
  4. अंदुरुनी रिंग को योनि में डालें |
  5. उंगली द्वारा अंदुरुनी रिंग को योनि की गहराई से उपर तक धकेलें | बाहरी रिंग योनि से बाहर ही रहना चाहिए |
  6. जब आप संभोग करें तो लिंग को बाहरी रिंग में से गुजरने दें |
  7. महिला कंडोम को संभोग के बाद, खड़ा होने से पहले, तुरंत बाहर निकालें | बाहरी रिंग को दबाएं व मोड़ें ताकि पुरुष का वीर्य कंडोम के अंदर ही रहे  | पुरे कंडोम को कोमलता से बाहर निकालें और फिर उसे जला या दबा दें | इसे शौचालय में फ्लश न करें|

डायाफ्राम

डायाफ्राम नर्म रबर का बना हुआ, कम गहराई का एक कप जैसा साधन है जिसे महिला संभोग के दौरान योनि में चढ़ा लेती है | डायाफ्राम गर्भाशय की ग्रीवा (सरविक्स) को पूरी तरह से ढक कर, उसमें शुक्राणुओं का प्रवेश नहीं होने देता है | डायाफ्राम के साथ प्रयोग की जाने वाली शुक्राणु नाशक क्रीम शुक्राणुओं को नष्ट करती है और गोनोरिया तथा क्लेमाइडीया ( दो सामान्य एस.टी.डी) से भी रक्षा करती है |

डायाफ्राम विभिन्न आकारों में आते हैं परंतु वे अधिकांश केंद्रों में उपलब्ध नहीं है | केवल ऐसा स्वास्थ्यकर्मी जो आतंरिक (पेल्विक) परिक्षण करने में पारंगत हैं, उसका परिक्षण करके आपके लिए उपयुक्त डायाफ्राम का सही आकार पता कर सकता है |

डायाफ्राम में, विशेषत: एक वर्ष के प्रयोग के बाद, छेद हो सकते हैं और वह कड़ा हो सकता है | आपने डायाफ्राम को समय-समय पर चैक करना एक अच्छी आदत है | अगर उसमें कोई छेद हो जाए या वह कड़ा हो जाए तो उसे बदल दीजिए |

जब आप डायाफ्राम को शुक्राणुनाशक क्रीम के साथ प्रयोग करें तो यह क्रीम इसमें संभोग से 6 घंटे पहले या संभोग के तुरंत पहले लगाई जाती है |

डायाफ्राम का प्रयोग कैसे करें :

  • अगर आपके पास शुक्राणु नाशक क्रीम है तो इसे डायाफ्राम के कप में लगाकर, अपनी उंगली से इसके किनारे पर फैला लें |
  • डायाफ्राम को दबाकर (पिचका कर) आधा कर लें |
  • दुसरे हाथ से अपनी योनि के प्रकोष्ठों को खोलें और डायाफ्राम को योनि में डाल लें | अगर आप इसे योनि में गहराई से, कमर की दिशा की ओर रखें तो यह सर्वाधिक प्रभावी होता है |
  • अपनी उंगली योनि में डालकर डायाफ्राम की स्थिति चैक करें | डायाफ्राम की रबड़ में से गर्भाशय ग्रीवा को महसूस करें | बिना ढकी गर्भाशय ग्रीवा आपकी नाक के सिरे जैसी सख्त महसूस होती है | डायाफ्राम द्वारा इसे पूरी तरह ढका होना चाहिए |
  • अगर डायाफ्राम ठीक से लगा है तो आपको अपनी योनि में इसकी उपस्थिति का एहसास नहीं होना चाहिए |
  • डायाफ्राम को संभोग के 6 घंटे बाद तक ऐसी ही स्थिति में छोड़ दें|
  • डायाफ्राम निकालने के लिए :
  • अपनी उंगली योनि में डालकर के रिम के पीछे तक पहुंचे और इसे बाहर व नीचे की ओर खींचे | ऐसा करते समय कभी-कभी आपनी मांसपेशियों से नीचे की ओर (जैसे कि आप शौच कर रही हो) दबाव लगाने से लाभ होता है | डायाफ्राम को हमेशा एक साफ व सूखे स्थान पर रखें |

शुक्राणुनाशक साधन

गर्भनिरोधक फोम, गोलियां, जैली या क्रीम

शुक्राणु नाशक कई प्रकारों में उपलब्ध है ( जैसे कि झाग (फोम), गोलियां, क्रीम या जैली) और इन्हें संभोग से तुरंत पहले योनि में रखा जाता है | शुक्राणु नाशक साधन पुरुष के शुक्राणुओं को महिला के गर्भाशय में प्रवेश करने से पहले ही मार देता है | नोनोक्सिनोल से निर्मित शुक्राणु नाशक दो सामान्य यौन संक्रमण रोगों, गोनोरिया तथा क्लेमाइडीया, से भी सुरक्षा प्रदान करता है |

अगर अकेले ही प्रयोग किया जाए तो शुक्राणुनाशक अन्य साधनों की तुलना में कम प्रभावी होता है | परंतु अगर इसे किसी अन्य साधन जैसे कि कंडोम या डायाफ्राम के साथ अतिरिक्त सुरक्षा के लिए प्रयोग किया जाए तो यह बहुत खुजली हो सकती है |

शुक्राणु नाशकों को दवाई की दुकानों या फार्मेसी से ख़रीदा जा सकता है | कुछ महिलाओं को इनके प्रयोग से योनि में थोड़ी खुजली हो सकती है |

शुक्राणु नाशक साधन डालें

  • गोलियों को संभोग से 10-15 मिनट पहले योनि में रखना चाहिए | झाग, जैली या क्रीम सबसे अधिक प्रभावी तभी रहती है जब उन्हें संभोग से तुरंत पहले योनि में लगाया जाए |
  • अगर इन्हें लगाने के बाद, संभोग 1 घंटे के बाद किया जाता है तो और शुक्राणु नाशक साधन लगाएं | संभोग की हर क्रिया के लिए एक नई गोली, झाग, क्रीम या जैली लगाएं |

 

शुक्राणु नाशक साधन कैसे प्रयोग करें

 

  • आपने हाथों को साबुन पानी से अच्छी तरह से धो लें |
  • झाग (फोम) को प्रयोग करने के लिए उसके डिब्बे को तेजी से 20 बार हिलाएं | उसके बाद नोजल को दबाकर एप्लीकेटर को भर लें | जैली या क्रीम को प्रयोग करने के लिए शुक्राणु नाशक क्रीम की ट्यूब के मुहं पर एप्लीकेटर को कस दें | ट्यूब को दबाकर एप्लीकेटर भर लें | योनि में गोलियों का प्रयोग करने के लिए उन्हें पैकिंग से निकाल कर पानी से थोडा सा गिला कर लें | (गोली को मुहं में कदापि न डालें )
  • एप्लीकेटर को कोमलता से अपनी योनि में डालें | जितनी गहराई तक इसे पहुंचा सकती है , पहुंचाएं |
  • तत्पश्चात एप्लीकेटर के भीतर के प्लंजर को दबाकर शुक्राणुनाशक साधन को योनि में छोड़ दें | खाली एप्लीकेटर को बाहर निकालें |
  • एप्लीकेटर को स्वच्छ पानी व साबुन से धो लें |
  • शुक्राणु नाशक साधन को संभोग के पश्चात कम से कम 6 घंटे तक योनि में रहने दें | इसे योनि को धोकर निकाले नहीं | अगर क्रीम या जैली से टपकती है तो कपड़ों को गंदा होने से बचाने के लिए पैड , या साफ कपड़ा लगाएं |

 

परिवार नियोजन के हार्मोनयुक्त साधन

इन साधनों में इस्ट्रोजन तथा प्रोजेस्टिन नामक दो हार्मोन होते हैं जो महिला के शरीर में प्राकृतिक रूप से बनने वाले इस्ट्रोजन व प्रोजेस्ट्रोन जैसे होते हैं |

हार्मोन युक्त साधन में ये सम्मिलित हैं :

 

  • गर्भनिरोधक गोलियां, जिन्हें महिला को प्रतिदिन लेना पड़ता है |
  • इंजेक्शन, जो कुछ महीनों के बाद दिए जाते हैं |
  • एम्प्लान्ट्स, जिन्हें महिला का बांह में, त्वचा के नीचे लगा दिया जाता है और ये कई वर्षों तक प्रभावशाली रहते हैं |
  • ये हार्मोन युक्त साधन महिला के अंडाशयों से अंडे का विसर्जन रोक कर प्रभावशाली होते हैं | ये गर्भाशय ये मुख पर उपस्थित शलेष्म  ( म्यूकस) को भी गाढ़ा बना देते है ताकि शुक्राणु प्रवेश नहीं कर सकें |
  • अधिकांश गर्भनिरोधक गोलियों और कुछ इंजेक्शन में एस्ट्रोजन दोनों होते हैं | ऐसे साधनों को संयुक्त गोलियों या संयुक्त इंजेक्शन कहते हैं | ये दोनों हार्मोन एक साथ असर दिखाकर गर्भधारण के विरुद्ध अति उत्तम सुरक्षा प्रदान करते हैं | तदापि कुछ स्वास्थ्य समस्याओं के कारण व स्तनपान कराने के कारण कुछ महिलाओं को इस्ट्रोजन युक्त गोलियां व इंजेक्शन प्रयोग नहीं करने चाहिए |
  • केवल प्रोजेस्टिन युक्त गोलियां (मिनी पिल्स), एम्प्लान्ट्स तथा कुछ इंजेक्शनों में केवल प्रोजेस्टिन हार्मोन होता है | ये साधन संयुक्त गोलियों व इंजेक्शनों की तुलना में उन महिलाओं के लिए अधिक सुरक्षति होते हैं जिन्हें इस्ट्रोजन का प्रयोग नहीं करना चाहिए या जो स्तनपान करा रही हैं |
  • निम्नलिखित माताओं को किसी भी प्रकार के हार्मोन युक्त साधनों का प्रयोग नहीं करना चाहिए
  • जिन महिलाओं को स्तनों का कैंसर या स्तनों में कड़ी गांठ हैं | हार्मोन युक्त साधनों से कैंसर नहीं होता है परंतु ये साधन पहले से मौजूद कैंसर को बद्तर बना सकते हैं |
  • जो महिलाएं गर्भवती हो या जिनकी माहवारी में देरी हो गई है |
  • ऐसे महिलाएं जिन्हें हार्मोन युक्त साधन शुरू करने से पहले के तीन महीनों में योनि से असामान्य रक्त स्त्राव हुआ हो | कहीं कोई गंभीर बात तो नहीं है, यह जानने के लिए उन्हें स्वास्थ्यकर्मी से मिलना चाहिए |

 

कुछ हार्मोन युक्त साधन अन्य स्वास्थ्य समस्याओं से पीड़ित महिलाओं के लये हानिकारक हो सकते हैं | प्रत्येक साधन को ध्यान से चैक करके देखें कि क्या वह आपके लिए सुरक्षित है या नहीं | अगर वर्णित समस्याओं में से आपको एक भी है और आप फिर भी उस साधन का प्रयोग करना चाहती है तो हार्मोन युक्त साधनों में प्रशिक्षित किसी स्वास्थ्यकर्मी से विचार विमर्श करें |

हार्मोन युक्त साधनों के दुष्प्रभाव

चूँकि हार्मोन युक्त साधनों में वे ही रसायन होते हैं जिन्हें महिला का शरीर गर्भावस्था में बनता है, इसलिए इनके प्रयोग के शुरू के कुछ महीनों में ये सब लक्षण हो सकते हैं :

जी मितलाना

सिरदर्द

स्तनों में सूजन

माहवारी में परिवर्तन

ये दुष्प्रभाव आम तौर पर शुरू के 2-3 महीनों में ठीक हो जाते हैं | अगर वे ठीक नहीं होते हैं और आपको परेशान व चिंतित कर रहें हैं तो किसी स्वास्थ्यकर्मी से सलाह लें | वह आपके हार्मोन युक्त साधनों में हार्मोनों की मात्रा या साधन को ही परिवर्तन कर सकती है|

गर्भ निरोधक गोली

एस्ट्रोजन व प्रोजेस्टिन युक्त गर्भ निरोधक गोलियां

अगर आप प्रतिदिन गर्भ निरोधक गोलियां प्रयोग करती है तो ये आपकी माहवारी में पुरे समय गर्भ धारण से सुरक्षा प्रदान करती है | ये गोलियां आमतौर पर परिवार नियोजन केंद्रों, स्वास्थ्य केंद्रों व फार्मेसी पर उपलब्ध होती है और स्वास्थ्यकर्मी तथा डिपो धारकों से भी प्राप्त की जा सकती है |

इन गोलियों के अनके ब्रांड उपलब्ध हैं | जो गोली आप लें वह कम मात्रा वाली गोली होनी चाहिए | इसका अर्थ है कि उसमें 35 माइक्रोग्राम या उससे कम इस्ट्रोजन तथा 1 मिलीग्राम या उससे कम प्रोजेस्टिन होना चाहिए (मिनी पिल्स तथा कम मात्रा वाली गोलियां अगल-अलग होती है| कम मात्रा वाली गोली में एस्ट्रोजन व प्रोजेस्टिन दोनों होंते हैं जबकि मिनी पिल्स में केवल प्रोजेस्टिन होता है) | कभी भी ऐसे किसी हार्मोन युक्त साधन का प्रयोग न करें जिसमें 50 माइक्रोग्राम से अधिक एस्ट्रोजन हो |

जब आप एक बार ये गोलियां लेनी शुरू कर दें तो उसी ब्रांड की गोलियां ही खाएं (हो सके तो उसके कई पैकेट एक साथ खरीद लें) | अगर आपको किसी कारणवश ब्रांड बदलना भी पड़े तो उसकी संरचना व हार्मोन की मात्रा पहले ब्रांड जैसी ही होनी चाहिए | ऐसा करने से आपको कम दुष्प्रभाव व बेहतर सुरक्षा मिलेगी |

किन महिलाओं को संयुक्त गर्भनिरोधक गोलियां नहीं लेनी चाहिए

कुछ महिलाओं को कुछ ऐसी स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती है जिनमें इन गोलियों का प्रयोग खतरनाक हो सकता है | अगर आपको नीचे दी गई समस्याओं में से एक भी है तो इन गोलियों का कदापि सेवन न करें :

  • आपको पीलिया है |
  • कभी भी लकवा, पक्षघात या ह्रदय रोग हुआ है |
  • पैरों या मस्तिष्क शिराओं में खून का थक्का जमा है | “वेरीकोस वेन्स” (शिराओं का फूलना) तब तक समस्या नहीं माना जाता है जब तक शिराएं लाल व दुखने न लगें |
  • आपको आधा सीसी(माईग्रेन) का सिर दर्द रहता हो |
  • संयुक्त गर्भ निरोधक गोलियों का सेवन नहीं करें अगर आप :
  • 40 वर्ष से अधिक आयु की हैं और धुम्रपान करती हैं | आपको इन गोलियों के कारण पक्षघात या हृदयघात होने की अधिक आशंका है |
  • मधुमेह की रोगी हैं |
  • 6 महीने से छोटे बच्चे को स्तनपान करा रही हैं |

आपको उच्च रक्तचाप है (140/90 से अधिक)| अगर कभी यह बताया गया है कि आपको उच्च रक्तचाप है या आपको ऐसा लगता है को अपने रक्तचाप की जांच करायें | अगर आपका वजन अधिक है, बार-बार सिरदर्द होता है, जल्दी सांस फुल जाता है, कमजोरी लगती है या चक्कर आते हैं अथवा आपको छाती या बायें हाथ में दर्द रहता है तो आपके रक्तचाप की जांच होनी चाहिए |

संयुक्त गर्भ निरोधक गोलियों के सामान्य दुष्प्रभाव

माहवारी अनियमित होना या माहवारी के बीच खून जाना | संयुक्त गर्भ निरोधक गोलियों से आपकी माहवारी अकसर ही नियमित व हल्की हो जाती है| यह भी एक सामान्य घटना है कि किसी महीने माहवारी आये ही नहीं | संयुक्त गर्भ निरोधक गोलियों का वह सर्वाधिक सामान्य दुष्प्रभाव हैं | माहवारी का बीच में आना रोकने के लिए यह आवश्यक है कि आप प्रतिदिन एक गोली निश्चित समय पर ही लें | अगर फिर भी बीच में खून जाता है तो किसी स्वास्थ्यकर्मी से गोली के ब्रांड में परिवर्तन आदि के लिए विचार विमर्श करें |

जी मितलाना, ( उलटी करने की इच्छा) आम तौर पर 1-2 महीने के बाद ठीक हो जाती है | अगर आप इससे परेशान हैं तो गोली को भोजन के साथ, किसी अन्य समय लेने का प्रयत्न करें | कुछ महिलाओं को रात में सोने से तुरंत पहले गोली लेने से फायदा होता है |

सिरदर्द, शुरू के कुछ महीनों में हल्का सिरदर्द होना एक आम बात है | कोई हल्की दर्द निवारक दवा लेने से आराम पड़ता है | अगर सिरदर्द अति तीव्र है और इसके साथ आंखों की दृष्टि में भी धुंधलापन है तो यह एक गंभीर खतरे के लक्षण हो सकता है |

संयुक्त गर्भ निरोधक गोलियों से होने वाली समस्याओं की चेतावनी के सूचक

यह गोली खाना बंद कर दें और किसी स्वास्थ्यकर्मी से मिलें, यदि आपको-

दृष्टि में धुंधलापन के साथ सिर में तेज दर्द होता है जो गोलियों का सेवन शुरू करने के बाद हुआ हो |

बाहों तथा टांगों में कमजोरी या संवेदनहीनता लगे |

छाती में तेज दर्द व सांस लेने में कठिनाई हो |

एक टांग में अति तीव्र दर्द हो |

अगर आपको इनमें से एक भी समस्या हो, तो गर्भ धारण करना भी खतरनाक हो सकता है | इसलिए हार्मोन युक्त साधनों के प्रयोग में प्रशिक्षित किसी स्वास्थ्यकर्मी से विचार विमर्श करने तक परिवार नियोजन का कोई अन्य साधन, जैसे की कंडोम, प्रयोग करें |

संयुक्त गर्भ निरोधक गोलियां कैसे प्रयोग करें ?

 

  • ये गोलियां 21 या 28 के पैकेट में आती है | अगर आपके पास 28 गोलियों का पैकेट है तो महीने के हर दिन एक गोली का सेवन करें | जैसे की एक पैकेट समाप्त हो, दुसरे पैकेट से गोलियां लेना शुरू कर दें |
  • अगर आपके पास 21 गोलियों का पैकेट है तो इसमें से 21 दिनों तक, प्रतिदिन एक गोली लें | उसके पश्चात सात दिनों तक इंतजार करें और फिर एक नया पैकेट शुरू कर दें | जिन दिनों आप गोली नहीं खा रही हैं, उन्हीं दिनों आपको प्राय: माहवारी होगी | अगर सात दिनों में आपको माहवारी नही भी होती है, तो भी नया पैकेट शुरू कर दें |
  • चाहे पैकेट 21 गोलियों का हो या 28 गोलियों का, अपनी माहवारी के पांचवे दिन पहली गोली खाएं | इससे आपको सही व तुरंत सुरक्षा  मिलेगी |
  • आपको प्रतिदिन एक गोली खानी है चाहे आप संभोग न भी करें | आपनी गोली गर दिन, एक निश्चित दिन पर शुरू करना भी याद रहेगा |
  • गोलियां खाना भूलना
  • अगर आप गोली खाना भूल जाती है तो आप गर्भवती हो सकती हैं |
  • अगर आप किसी दिन एक गोली खाना भूल जाती हैं तो जैसे ही याद आए, एक गोली लें | अगले दिन की गोली पहले की तरह, निश्चित समय पर ही लें | इसका यह अर्थ है कि किसी दिन आपको दो गोलियां एक साथ लेनी पड़ सकती है |
  • आप लगातार दो दिन गोली खाना भूल जाती हैं तो गोलियों तुरंत ही खाना शुरू कर दें | लगातार 2 दिनों तक गोलियां प्रतिदिन लें और फिर एक गोली प्रतिदिन तब तक खाएं जब तक पैकेट समाप्त न हो जाए | जब तब आप लगातार 7 दिनों तक लगातार गोलियां नहीं खा लेती हैं, तब तक या तो संभोग न करें या कंडोम का प्रयोग करें | अगर आप लगातार 3 या अधिक दिनों तक गोलियां खाना भूल जाती हैं तो गोलियां खाना बंद कर दें और अपनी अगली माहवारी की प्रतीक्षा करें | अपनी माहवारी चक्र के बाकी के दिनों में या तो संभोग न करें अथवा कंडोम का प्रयोग करें | तत्पश्चात माहवारी आने के बाद नया पैकेट शरू करें |
  • देर से ली गई या छूट गई गोलियों के कारण आपको माहवारी की तरह, हल्का सा रक्त स्त्राव हो सकता है |
  • अगर आपको गोलियां लेना याद रखने में कोई परेशानी होती है तको गोली रोजमर्रा के किसी निश्चित कार्य, जैसे कि शाम को खाना बनाते समय लेने का प्रयास करें | आप सूरज डूबने या सोने से पहले भी यह गोली लेना निश्चित कर सकती हैं | पैकेट को कहीं ऐसी जगह पर रखें जहां आप इसे रोज देख सकती हों | अगर आप फजिर भी अकसर गोली लेना भूल जाती है ( महीने में एक बार से अधिक परिवार नियोजन से किसी अन्य साधन को प्रयोग करने की सोचें |
  • अगर आप गोली लेने के 3 घंटों के भीतर उलटी कर देती हिं या आपको तीव्र  दस्त लग जाते हैं तो गोली का प्रभाव नहीं होगा | जब तक आप स्वास्थ्य नहीं हो जाती है और 7 दिनों तक गोली को नियमित रूप से फिर से नहीं ले सकती हैं, तब तक या तो संभोग न करें या कंडोम का प्रयोग करें |

 

गोली लेना बंद करना

अगर आप कोई अन्य साधन अपनाना चाहती हैं या गर्भधारण करना चाहती हैं तो चालू पैकेट के समाप्त होने पर गोली लेना बंद कर दें | वे महिलाएं जो गर्भधारण करने की इच्छा के कारण गोली लेना बंद कर देती हैं, अक्सर एक वर्ष में गर्भवती हो जाती हैं | प्रजनन क्षमता 3-6 महीनों में लौट आती है | कभी-कभी ऐसा जल्दी भी हो जाता है |

मिनी पिल या केवल प्रोजेस्टिन गोलियां

चूँकि इस गोली में एस्ट्रोजन हार्मोन नहीं होता है इसलिए यह उन महिलाओं के लिए सुरक्षित है जो संयुक्त गर्भ निरोधक गोली का प्रयोग नहीं कर सकती है या जिन्हें उनसे दुष्प्रभाव होते हैं | तदापि यह गोली संयुक्त गोली की अपेक्षा कम असरदार है |

स्तनपान करा रही महिलाओं के लयी भी मिनी पिल एक बेहतर विकल्प हैं क्योंकि इससे दूध की आपूर्ति में कमी नहीं आती है | अधिकांश स्तनपान करा रही महिलाओं के लिए यह काफी प्रभावी है | संयुक्त गोली की तरह यह गोली भी स्वास्थ्य केंद्रों, स्वास्थ्यकर्मी, डिपो धारकों व फार्मेसी से उपलब्ध हैं |

मिनी पिल के सामान्य दुष्प्रभाव

 

  • अनियमित माहवारी या धब्बे दिखना सर्वप्रमुख दुष्प्रभाव है | अगर यह एक समस्या बन जाता है तो इब्रुप्रोफेन नामक दवा खून जाना रोकने में सहायक होती है |
  • माहवारी न आना भी एक सामान्य बात है लेकिन अगर आपको 45 दिनों तक माहवारी नहीं आती है तो आप गर्भवती भी हो सकती है | जब तक आप किसी स्वास्थ्यकर्मी से मिलकर गर्भधारण की पुष्टि न कर लें, तब तक गोली लेना जारी रखें |
  • कभी-कभी सिरदर्द होना |
  • मिनी पिल कैसे लें
  • आपनी पहली गोली माहवारी चक्र के पहले दिन लें |
  • चाहे आप संभोग न भी करें तो भी प्रतिदिन एक निश्चित समय पर यह गोली लें|
  • अगर आप गोली कुछ घंटे देर से लेती हैं या लेना भूल जाती हैं तो आप गर्भवती हो सकती हैं |
  • जब आप एक पैकेट समाप्त कर लें तो अगले ही दिन से नया पैकेट शुरू कर दें चाहे आपको खून आए या नहीं | एक दिन भी गोली न छोड़ें |
  • अगर आप स्तनपान करा रही हैं और आपको माहवारी शुरू नहीं हुई है तो आप किसी भी दिन से यह गोली लेना शुरू कर सकती है | हो सकता है आपको माहवारी शरू भी न हो | यह एक सामान्य बात है|
  • अगर आप किसी दिन मिनी पिल लेना भूल जाएं तो
  • जैसे ही आपको याद आए, इसे ले लें | अगली गोली नियमित समय पर ही लें चाहे आपको दिन में 2 गोलियां लेनी पड़े | अगर आप निश्चित समय के बाद यह होली लेती हिं तो आपको रक्त स्त्राव हो सकता है |

 

मिनी पिल को लाना बंद करना

आप किसी भी समय यह गोली लेना बंद कर सकती हैं | आग जिस दिन यह गोली लेना बंद करती हैं, उसके अगले दिन ही आपको संभोग करने से गर्भ ठहर सकता है | इसलिए अगर आप गर्भधारण नहीं करना चाहती है तो गोली बंद करने के बाद कोई अन्य गर्भ निरोधक साधन प्रयोग करें |

हार्मोन एम्प्लान्ट्स

इनमें 5 वर्षों तक गर्भ से सुरक्षा मिलती है | एम्प्लान्ट्स भारत सरकार के परिवार कल्याण कार्यक्रम का भाग नहीं है और भारत में इसलिए प्रोत्साहित नहीं किया गया है , क्योंकि :

इन्हें लगाने के लिए तकनीकी रूप से दक्ष स्वास्थ्यकर्मी चाहिए |

इनसे माहवारी में अनियमितता हमेशा होती है अरु यह माहवारी न आने से लेकर, बहुत भारी रक्त स्त्राव तक कुछ भी हो सकता है | अगर माहवारी भारी होती है तो इससे एनीमिया (खून की कमी) और भी बद्तर हो सकती है | खून की कमी पहले ही इस देश में काफी व्यापक है |

इनसे दुष्प्रभाव व जटिलताएं काफी होती है |

ये पूरी तरह से (100%) आयातित साधन हैं (भारत में नहीं बनते हैं )

ये बहुत महंगे हैं |

गर्भनिरोधक इंजेक्शन

इस साधन के अन्तर्गत महिला को किसी स्वास्थ्य केंद्र या पिरवार नियोजन केंद्र में किसी प्रशिक्षित सवास्थ्याकर्मी द्वारा हर 1-3 महीनों के बाद हार्मोन का एक इंजेक्शन दिया जाता हैं | अगला इंजेक्शन लगने तक ( अर्थात अगले 1-3 महीनों तक ) गर्भ से सुरक्षा रहती है और आप इसे बिना किसी को पता लगे प्रयोग कर सकती हैं |

इंजेक्शन वाले गर्भ निरोधक साधन सर्वाधिक विवादस्पद साधन हैं और भारत में आने महिला समूहों ने इनके विरुद्ध आंदोलन किया है | भारत व विदेशों में किए गए आजमाइश वाले अध्ययनों से यह पाया गया है कि इनके काफी दुष्प्रभाव होते हैं जो अनियमित माहवारी से लेकर सिरदर्द व अवसाद तक हो सकते हैं | “ डिपो प्रोवेर” नामक इंजेक्शन गर्भ निरोधक 1994 में भारत में पहली बार आया था परंतु आज तक इसे भारत सरकार के परिवार कल्याण कार्यक्रम में शामिल नहीं किया गया है |

तदापि इसे बाजार में उपलब्ध करने के पश्चात के अध्ययनों से यह पता चला है कि अनके महिलाएं इसे लेना जारी रखती हैं और इससे होने वाली माहवारी की अनियमितताओं की ज्यादा परवाह नहीं है | यह उत्पाद केवल निजी क्षेत्र व कुछ सामाजिक मार्केटिंग संस्थाओं के माध्यम से ही उपलब्ध है |

“केवल प्रोजेस्टिन” इंजेक्शन

“केवल प्रोजेस्टिन” इंजेक्शन, जैसे कि डिपो प्रोवेश, में केवल प्रोजेस्टिन हार्मोन होता है | इनका प्रयोग उन महिलाओं द्वारा किया जा सकता है जो स्तनपान करा रही हों तथा जो इस्ट्रोजन युक्त साधन का प्रयोग नहीं कर सकती हैं | डिपो प्रोवेश नामक इंजेक्शन गर्भ निरोधक केवल एक चिकित्सक के नुस्खे पर ही मिल सकता है | यह तभी लेना सुरक्षित हैं जब यह सुनिश्चित हो जाये की ऊपर दी गई स्थितियों में से कोई भी नहीं है | इन्हें हर 2-3 महीनों बाद लगाया जाता है |

महिला को तब तक “केवल प्रोजेस्टिन” इंजेक्शन प्रयोग करना शुरू नहीं करना चाहिए जब तक यह निश्चित न हो जाए की उसे पृष्ट 231 पर दी गई स्थितियों में से एक भी नहीं है ; उसे नियमित रूप से ये इंजेक्शन उपलब्ध होंगे तथा वह अगले एक वर्ष में गर्भवती नहीं होना चाहती है |

”केवल प्रोजेस्टिन” इंजेक्शन के सामान्य दुष्प्रभाव

चूँकि उन्हें प्रत्येक इंजेक्शन में प्रोजेस्टिन हार्मोन की एक बड़ी खुराक मिलती है, इसलिए महिलाओं को शुरू के कुछ महीनों में, अन्य हार्मोन युक्त साधनों की अपेक्षा, माहवारी के अधिक परिवर्तन महसूस होते हैं |

अन्य सामान्य दुष्प्रभाव ये हैं

अनियमित माहवारी या माहवारी के बीच में अधिक खून जाना : अगर यह समस्या बन जाए तो माहवारी के बीच में जा रहे खून को रोकने के लिए, स्वास्थ्यकर्मी इंजेक्शन के साथ, कम मात्रा वाली गर्भ निरोधक गोलियों के 2 चक्र भी दे सकता है | अधिकांश मामलों में यह अनियमित माहवारी कुछ महीनों के पश्चात ठीक हो जाती है |

माहवारी न होना |

वजन बढ़ना |

सिरदर्द होना |

संयुक्त इंजेक्शन

अन्य इंजेक्शन, जैसे कि साईक्लोफेम तथा मेजीगाइना में इस्ट्रोजन व प्रोजेस्टिन दोनों हार्मोन होते हैं | इस प्रकार के इंजेक्शन उन महिलाओं के लये अनुकूल होते हैं जो माहवारी नियमित रूप से चाहती हैं | संयुक्त इंजेक्शन प्रति माह दिए जाते हैं ”केवल प्रोजेस्टिन” इंजेक्शन की तुलना में अधिक महंगे होते हैं और कठिनाई से उपलब्ध हैं |

जो महिलाएं संयुक्त गर्भ निरोधक गोलियां या ”केवल प्रोजेस्टिन” इंजेक्शन नहीं ले सकते हैं उन्हें संयुक्त इंजेक्शन भी नहीं लेने चाहिए | स्तनपान करते समय संयुक्त इंजेक्शन कभी भी शुरू न करें |

संयुक्त इंजेक्शन के सामान्य दुष्प्रभाव

संयुक्त इंजेक्शन में वे ही हार्मोन होते हैं जो संयुक्त गर्भनिरोधक गोलियों में है, इसलिए दुष्प्रभाव भी एक जैसे ही होते हैं |

गर्भ निरोधक इंजेक्शन कैसे प्रयोग करें

अपनी माहवारी के दौरान आपना पहला इंजेक्शन लेना ही सर्वोतम है | इससे आप विश्वस्त हो सकती हैं कि आप गर्भवती नहीं हैं | अगर आप स्तनपान करा रही हैं और आपकी  माहवारी फिर से शुरू नहीं हुई है तो यह इंजेक्शन कमी भी शरू कर सकती हैं |

यह इंजेक्शन माहवारी शरू होने के 5 दिनों के अंदर लेने से गर्भधारण के विरुद्ध तुरंत सुरक्षा मिलने लगती है | अगर इंजेक्शन माहवारी शुरू होने के 6 दिनों या उसके बाद दिया गया है तो या तो आप अगले 2 सप्ताह संभोग न करें या कंडोम का प्रयोग करें |

आपको यह इंजेक्शन हर 1,2, या 3 महीनों के बाद लेना चाहिए (यह इंजेक्शन के प्रकार पर निर्भर करेगा) :

डिपो प्रोवेश : हर तीन महीने के बाद |

नोरिस्टेराट : हर दुसरे महीने |

सईक्लोफेम तथा मेजीगाइना : हर महीने |

इंजेक्शन लेने में देर न करें | अगर इसमें देरी होती है तो यह गर्भ रोकने में कम प्रभावी हो जाता है |

इंजेक्शन का प्रयोग बंद करना

जब भी आप चाहें, ये इंजेक्शन लेना बंद कर सकती हैं | इसे बंद करने के पश्चात आपकी माहवारी फिर से समान्य रूप से होने तथा गर्भधारण करने में एक वर्ष या उससे अधिक समय लग सकता है, हालांकि ऐसा पहले भी हो सकता है | इसलिए अगर आप इंजेक्शन बंद करने के तुरंत बाद गर्भधारण नहीं करना चाहती है तो आपको परिवार नियोजन का कोई अन्य उच्च साधन प्रयोग करना चाहिए |

आई.यू.डी. (आई.यू.सी.डी., कॉपर टी, लूप)

आई.यू.डी. एक छोटी सी उपकरण या साधन होती है जो किसी प्रशिक्षित स्वास्थ्यकर्मी द्वारा महिला के गर्भाशय के अंदर लगा दी जाती है | गर्भाशय में लगने के बाद यह पुरुष के शुक्राणु द्वारा महिला के अंडे को निषेचित करने से रोकती है |

यह गर्भाशय में 10 वर्षों तक छोड़ी जा सकती है (आई.यू.डी. के प्रकार पर निर्भर करता है) | तत्पश्चात इसे निकालकर, दूसरी लगाई जा सकती है | आप इसका प्रयोग पुरुष की जानकारी के बिना भी कर सकती हैं, हालांकि कभी कभी पुरुष को इसके धागे का अभ्यास हो जाता है | अधिकांश आई.यू.डी. प्लास्टिक या प्लास्टिक या तांबे की बनी होती है |

प्रोजेस्टिनयुक्त आई.यू.डी.

इस प्रकार की आई.यू.डी. में प्रोजेस्टिन भी होता है और यह कुछ देशों में उपलब्ध हैं | प्रोजेस्टिन कुछ महिलाओं में आई.यू.डी. से होने वाले दर्द और रक्त स्त्राव को कम करता है | इससे 5 वर्षों तक गर्भ से सुरक्षा रहती है |

महत्वपूर्ण : आई.यू.डी. से न तो यौन संचारित रोगों से रक्षा होती है और न ही एच.आई.वी/ एड्स से/ न केवल यही, बल्कि अगर किसी महिला को कोई एस.टी.डी. हैं, तो पी.आई.डी. जैसी गंभीर जटिलताएं हो सकती है | पी.आई.डी से संतानहीनता हो सकती है |

किन महिलाओं को आई.यू.डी. नहीं लगवानी चाहिए –

आई.यू.डी. का प्रयोग न करें अगर :
आप गर्भवती है या आपको गर्भ घारण का शक है |
आपको एस.टी.डी होने का जोखिम हैं (इनमें वे महिलाएं शामिल है जिनके एक से अधिक यौन साथी है या जिनके यौन साथी के अन्य अनके यौन साथी हैं)
आपको कभी भी गर्भाशय या फैलोपियन नलिकाओं का संक्रमण हुआ है या प्रसव अथवा गर्भपात के पश्चात संक्रमण हुआ है |
आपको फैलोपियन नलिकाओं में गर्भ (एक्टोपिक गर्भ ) हुआ है |
आपको माहवारी में अत्यधिक दर्द या रक्त स्त्राव होता है |
आपको गंभीर एनीमिया (खून की कमी) है |
सामान्य दुष्प्रभाव

  • आई.यू.डी. लगवाने के बाद पहले सप्ताह में आपको हल्का सा खून जा सकता है | कुछ महिलाओं को अधिक समय तक दर्द व रक्त स्त्राव वाली, लंबी चलने वाली, माहवारी होने लगती है | आम तौर ये दुष्प्रभाव 3 महीनों में ठीक हो जाते हैं |

आई.यू.डी. का प्रयोग कैसे करें :

(आई.यू.डी. एक प्रशिक्षित स्वास्थ्यकर्मी द्वारा पेल्विक परीक्षण करने के बाद ही लगनी चाहिए), आई.यू.डी. लगवाने का सर्वोतम समय आपकी माहवारी समाप्त होने के तुरंत बाद होता है | प्रसव के बाद आई.यू.डी. लगवाने के लिए 6 सप्ताह प्रतीक्षा करना ही उचित हैं ताकि गर्भाशय अपने सामान्य आकार व माप में वापस आ सकें |

कभी-कभी आई.यू.डी. अपनी जगह से खिसक सकती हैं | अगर ऐसा होता है तो यह गर्भधारण की रोकथाम नहीं कर सकेगी, इसलिए यह महत्वपूर्ण है कि आप समय समय पर यह परखे कि यह सामान्य स्थिति में है या नहीं | अधिकांश आई.यू.डी. में दो लंबे धागे होते हैं जो योनि में लटके रहते हैं | आपको हर माहवारी के बाद इन धागों की जांच करनी चाहिए ताकि आई.यू.डी. की सामान्य स्थिति का अंदाजा लग सके |

धागों की जांच कैसे करें :

अपने हाथ भली भांति साबुन पानी से धोएं |

उकडू बन कर (जैसे शौच के लिए बैठते हैं ) बैठें और योनि में 2 उंगलियां डालकर गहराई तक पहुंचे | धागों को महसूस करें लेकिन उन्हें खीचें नहीं |

उंगलियां बाहर निकालकर फिर से साबुन पानी से हाथ घोएं |

आई.यू.डी. के साथ होने वाली समस्याओं में पेल्विक इनफलामेट्री डिजीज (पी.आई.डी) सबसे गंभीर हैं | अधिकांश संक्रमण शरू के 3 महीनों में होते हैं | अधिकतर मामलों में यह संक्रमण तभी से ही होता है जब आई.यू.डी. लगाई गई थी | या फिर यह स्वास्थ्यकर्मी द्वारा आई.यू.डी. लगते समय स्वच्छता का पालन न करने से होता है | अगर आपको निम्नलिखित में से एक भी लक्षण हो तो किसी ऐसे स्वास्थ्यकर्मी से मिलिए जिसे आई.यू.डी. लगाने व उससे उत्पन्न जटिलताओं का उपचार करने का प्रशिक्षण प्राप्त हो या फिर तुरंत किसी अस्पताल में जाएं-

आपकी माहवारी में देर हो गई है |

आपके पेडू में या संभोग के दौरान दर्द होता है |

आपकी योनि से अधिक या बदबूदार स्त्राव हो रहा है |

आप स्वस्थ महसूस नहीं कर रही हैं या आपको ठंड लगकर बखार हो रहा है |

आपकी आई.यू.डी. का धागा गायब है या वह अधिक लंबा या छोटा लग रहा है |

आपकी यौन साथी संभोग के दौरान न केवल धागों को बल्कि आई.यू.डी. को महसूस कर सकता है |

आई.यू.डी. का प्रयोग बंद करना

जब आप इसका प्रयोग बंद करना चाहें तो आई.यू.डी. को किसी पशिक्षित स्वास्थ्यकर्मी द्वारा ही निकलवाएं | अपने आप निकालने का प्रयास कभी न करें | इसे निकलवाने के बाद आप तुरंत गर्भधारण कर सकती है |

परिवार नियोजन के प्राकृतिक साधन

गर्भधारण रोकने के तीन ऐसे साधन भी हैं जिनमें न तो कोई उपकरण या रसायन (जैसे अवरोधक साधनों में होता है) और न ही कोई औषधि (जैसे कि हार्मोन साधनों में) की आवश्यकता होती है | ये साधन हैं :

पहले 6 महीनों तक केवल स्तनपान करना |

श्लेष्म (म्यूकस) साधन

लय (रिद्हम) साधन

महत्वपूर्ण : परिवार नियोजन के प्राकृतिक साधन न तो एच.आई.वी./एड्स और न ही अन्य एस.टी.डी से सुरक्षा प्रदान करते हैं | अगर आप इन पृष्ठों में वर्णित किसी प्राकृतिक साधन का प्रयोग करती है तो आपको इन रोगों से बचाव के तरीकों के बारे में सोचना चाहिए | भारत में राष्ट्रीय परिवार कल्याण कार्यक्रम में परिवार नियोजन के प्राकृतिक साधनों को सम्मिलित किया गया है |

पहले 6 महीनों तक स्तनपान कराना

(लेक्टेशनल एमिनोरिया मेथड या लेम)

कुछ परस्थितियों में, स्तनपान अंडाशयों से अंडे के विसर्जन को रोक सकता है | इस तरीके में कोई लागत नहीं लगती है परंतु यह प्रसव के पश्चात केवल शुरू के 6 महीनों में ही प्रभावी होता है |

गर्भधारण की रोकथाम के लिए स्तनपान का प्रयोग कैसे करें ?

स्तनपान कराना परिवार नियोजन का प्रभावकारी साधन तब तक ही होता है, जब तक ये तीन शर्ते पूरी होती है :

आपका शिशु 6 महीने से कम आयु का है

प्रसव के पश्चात आपको माहवारी शुरू नहीं हुई है |

आप अपने बच्चे को केवल अपना दूध पिला रही हैं (पानी तक नहीं दे रही हैं) और जब भी उसे भूख लगे तो अपना दूध पिला रही हैं चाहे दिन हो या रात | दो बार स्तनपान करने के बीच 6 घंटों से अधिक का अंतर नहीं है और आपका बच्चा बिना दूध पिए पूरी रात सोता नहीं रहता है स्तनपान करते समय अगर निम्नलिखित घटनाओं में से भी हो जाए तो परिवार नियोजन का कोई ऐसा साधन अपनाएं जो स्तनपान की अवधि में सुरक्षित हो –

आपका बच्चा 6 महीने से अधिक का है या

आपको माहवारी शुरू हो जाए या

आपका शिशु अन्य प्रकार के दूध या आहार लेना शुरू कर देता है या रात में लगातार 6 घंटे से अधिक सोना शुरू कर देता है  या

आप बच्चे से किसी कारण 6 घंटे से अधिक दूर रहती हैं और उसे दौरान हाथों स्तनों से अपना दूध भी नहीं निकाल पाती है |

श्लेषमा (म्यूकस) तरीका तथा लय (रिद्हम) तरीका

इनमें से कोई भी तरीका प्रयोग करने से पहले आपको यह समझना आवश्यक है कि माहवारी चक्र में आप कब गर्भधारण करने योग्य हैं | इसे कभी कभी “प्रजनन ज्ञान” भी कहा जाता है | इसलिए गर्भ धारण से बचने के लिए आपको इन प्रजनन योग्य दिनों से संभोग नहीं करना चाहिए या कोई अवरोधक साधन प्रयोग करना चाहिए |

चूँकि इन साधनों में न तो कोई लागत लगती है और न ही कोई दुष्प्रभाव होते हैं इसलिए इन साधनों का वे महिलाएं भी प्रयोग कर सकती हैं जो या तो अन्य साधन प्रयोग नहीं कर सकती हैं या करना नहीं चाहती हैं अथवा जिन्हें अन्य साधन उपलब्ध न हों |

प्रजननता ज्ञान को प्रभावी रूप से अपनाने के लिए यह आवश्यक है कि आप व आपके पति दोनों ही अपने शरीर व प्रजनन योग्यता के बारे में स्पष्ट रूप से जानने के लिए उसमें विशेष रूप से प्रशिक्षित किसी स्वास्थ्यकर्मी से मिलें –

परिवार नियोजन के प्राकृतिक साधन तब भली भांति कार्य नहीं करते हैं जब :

आपका संभोग के समय पर कोई अधिक नियंत्रण नहीं है | आपके गर्भधारण योग्य दिनों में आपके पति को संयम बरतने और संभोग न करने अथवा कंडोम या कोई अन्य अवरोधक साधन अपनाने के लिए राजी होना आवश्यक है |

आपकी प्रजननता के लक्षण हर महीने परिवर्तित हो जाते हैं | इस प्रकार आप अपने प्रजनन योग्य दिनों को विश्वासपूर्ण नहीं जान पाएंगी |

आपको हाल ही में प्रसव या गर्भपात हुआ है | ऐसे में प्रजनन योग्य दिनों को पहचानना कठिन होता है |

महिला के प्रजनन चक्र के बारे में आपको क्या जानना जरूरी है :

अंडाशय से निकलने के बाद अंडा लगभग 24 घंटे (1 दिन व 1 रात) तक जीवित रहता है |

महिला के शरीर में पुरुष के शुक्राणु लगभग 2 दिनों तक जीवित रहते हैं |

परिवार नियोजन के सभी प्राकृतिक साधनों को अधिक प्रभावी बनाने के लिए :

आपका अंडा विसर्जित होने के संभावित दिन के कुछ दिन पहले व कुछ दिन बाद तक संभोग न करें |

केवल प्रजनन योग्यता समय के आखिरी दिन व अगली माहवारी आने के दिन के बीच ही संभोग करें|

स्लेष्मा साधन व लय साधन का एक साथ प्रयोग करें |

अगर आप निश्चितं नहीं हैं कि आप गर्भधारण योग्य हैं या नहीं तो या तो संभोग न करें या कंडोम का प्रयोग करें |

श्लेष्मा (म्यूकस) तरीका

इसका प्रयोग करने के लिए आपको अपनी योनि में म्यूकस (गीलापन) पर बहुत ध्यान देना होगा | प्रजनन योग्य दिनों में आपकी योनि पतले व अधिक तरल म्यूकस का निर्माण करती है ताकि शुक्राणु बिना किसी कठिनाई के गर्भाशय में प्रवेश कर सकें | इसलिए अपनी योनि के म्यूकस को हर रोज जांचे | आपको पता चल जाएगा कि आप कब गर्भधारण योग्य हैं |

कैसे बताएं कि आप प्रजनन योग्य हैं :

आपकी योनि के बाहरी हिस्से को अपनी उंगली या कागज अथवा कपड़े के एक टुकड़े से पोंछे |

अगर वहां म्यूकस है तो उसका कुछ भाग अपनी उंगलीयों के बीच चिपटा लें | यह कैसा महसूस होता है ? गिला व फिसलनदार या फिर सूखा व चिपचिपा ?

म्यूकस तरीके का कैसे प्रयोग करें :

अगर आपको म्यूकस गिला महसूस हो रहा हो या दिखे, तो उन दिनों संभोग न करें | अगर आप संभोग करना चाहती हैं तो कंडोम या शुक्राणु नाशक साधन के बिना डायाफ्राम का प्रयोग करें | (केवल ये साधन म्यूकस परिवर्तित नहीं करते हैं ) |

साफ, गिले व फिसलनदार म्यूकस के आखिरी दिन के बाद 4 दिनों तक संभोग न करें|

अपनी माहवारी के दिनों में संभोग न करें | ऐसे में गर्भधारण योग्य होने की मामूली से संभावना रहती है जिसका आपको हो सकता है पता भी न चले |

आपकी योनि को कभी भी न धोएं या पानी से उसकी तराई न करें |

अगर आपको प्रजनन योग्य काल को पहचानने में कठिनाई हो रही है या आपको योनि का कोई संक्रमण है तो परिवार नियोजन का कोई अन्य साधन प्रयोग करें |

लय (रिद्हम) तरीका

यह तरीका आपको माहवारी के दिन गिनकर प्रजनन योग्य काल को पहचानना सिखाता है | आप इस तरीके पर निर्भर नहीं हो सकती हैं अगर –

आप स्तनपान करा रही हैं और आपकी माहवारी फिर से शुरू नहीं हुई है |

आप हाल में गर्भवती हुई थी और तत्पश्चात आपकी माहवारी अभी तक नियमित नहीं हुई हैं |

लय रिद्हम का प्रयोग कैसे करें :

पिछले 6 महीनों की हर माहवारी के दिन गिनें | एक माहवारी के प्रथम दिन से अगली माहवारी के प्रथम दिन की बीच की अवधि के दिन गिनें |

सबसे लंबी व सबसे छोटी माहवारियां पहचानें |

सबसे छोटी माहवारी में से 20 दिन और सबसे लंबी माहवारी में से 10 दिन घटायें | इन सख्याओं के बीच के दिन आपके प्रजनन योग्य दिन हैं |

हालांकि आप प्रजनन काल के पहले व उसके बाद के दिनों में संभोग कर सकती हैं, तदापि सबसे सुरक्षित काल आपके प्रजनन काल के अंतिम दिन व अगली माहवारी के बीच का होता है |

गर्भ रोकने के घरेलू तथा पारंपरिक साधन

हर समुदाय में गर्भधारण रोकने के पारंपरिक साधन प्रचिलित हैं | इनमें से कई बच्चों की संख्या सीमित रखने में फाफी उपयोगी होते हैं हालांकि ये आधुनिक गर्भ निरोधक साधनों जितने प्रभावी नहीं होते हैं | यह भी सही है कि कुछ पारंपरिक साधन बिल्कुल भी प्रभावी नहीं होते हैं और कुछ तो काफी हानिकरक भी हो सकते हैं |

प्रभावी पारंपरिक साधन

संभोग के बीच में ही लिंग निकाल लेना (“कोयटस इंटरपटस”) | इस तरके में पुरुष वीर्य स्खलन से पहले ही महिला की योनि में से लिंग निकाल लेता है | यह तरीका काफी सफल कहा जाता है और इसका काफी व्यापकता से उपयोग किया जाता है | हालांकि कभी-कभी सफल पुरुष वीर्य स्खलन से पहले ही लिंग निकल नहीं पाता है | अगर पुरुष समय पर लिंग निकाल भी ले तो वीर्य स्खलन से पहले निकलने वाले द्रव्य में कुछ शुक्राणु उपस्थित हो सकते हैं और वे गर्भ ठहरा सकते हैं |

बच्चे के जन्म के पश्चात महिला व पुरुष को अलग कर देना | कुछ समुदायों में दम्पत्ति बच्चे के जन्म के बाद महीनों या एक वर्ष तक संभोग नहीं करते हैं | इससे महिला को नवजात बच्चे की देखभाल के लिए समय मिलता है और वह दुसरे गर्भ ठहरने के डर के बिना अपने शरीर को शक्ति फिर से प्राप्त कर सकती है |

ऐसे पारंपरिक साधन जो प्रभावकारी नहीं हैं, या जो हानिकारक हो सकते हैं

जादू टोना गर्भधारण को नहीं रोक सकते हैं |

योनि की जड़ी- बूटियों या पाउडरों के घोल से तराई करने से गर्भधारण नहीं रुकता है | वीर्य में उपस्थित शुक्राणु बहुत तेजी से गतिशील होते हैं | और इससे पहले कि वे धोकर बाहर किये जाएं, उनमें से कुछ गर्भाशय में प्रवेश कर जाते हैं|

संभोग के बाद पेशाब करने से गर्भधारण की रोकथाम नहीं हो सकती है | हालांकि ऐसा करने में मूत्र तंत्र के संक्रमणों की रोकथाम में सहायता मिल सकती है |

बंधीकरण

(और बच्चे न होने का ऑपरेशन)

ये वे ऑपरेशन है जिसके कारण महिला व पुरुष के लिए और बच्चे पैदा करना लगभग असंभव हो जाता है | चूँकि ये ऑपरेशन स्थायी होते हैं इसलिए इन्हें केवल उन्हीं महिलाओं व पुरुषों के द्वारा ही करवाना चाहिए जिन्हें निश्चित रूप से और बच्चे नहीं चाहिए |

पुरुष बंधीकरण (नसबंदी), महिला बंधीकरण (नसबंदी) के अपेक्षा अधिक आसान, सस्ता तथा सुरक्षित हैं | इसके बाद पूर्णतया स्वस्थ होने में कम समय लगता है और जटिलताएं भी कम होती हैं |

इनमें से कोई भी ऑपरेशन करवाने के लिए आपको स्वास्थ्य केंद्र या अस्पताल जाना चाहिए | इनमें की जाने वाली शल्य चिकित्सा सुरक्षित व कम समय वाली होती है और उसके कोई बुरे असर भी नहीं होते हैं ;

पुरुषों के लिए ऑपरेशन (नसबंदी)

यह एक सरल ऑपरेशन हैं जिसमें उन नालियों को काट दिया जाता है जो शुक्रकोषों से शुक्राणुओं को लिंग तक ले जाती है | पुरुष के शुक्रकोषों को काटा नहीं जाता है | इसे ऑपरेशन को हर उस स्वास्थ्य केंद्र में किया जा सकता है जहां प्रशिक्षित स्वास्थ्यकर्मी हो | इसके करने में केवल कुछ मिनट ही लगते हैं|

चाकू रहित नसबंदी ( नो स्केलपल वासेक्टमी)

यह एक नई परक्रिया हैं जिसमें तवचा में चीरा देने की बजाय केवल एक छोटा सा छेद किया जाता है | इससे दर्द कम होता है और इसके बाद स्वास्थ्य लाभ करने में समय कम लगता है | दुष्प्रभाव भी नगण्य होते हैं |

नसबंदी के ऑपरेशन से पुरुष का पौरुष, संभोग करने की इच्छा व शक्ति, संभोग में संतुष्टि व समर्थ आदि पर बिल्कुल भी असर नहीं पड़ता है और न ही उसकी मर्दानगी या शारीरिक शक्ति कम होती हिं | उसे इसके बाद भी वीर्य का स्खलन होता है, परन्तु उसमें शुक्राणु नहीं होते हैं | वीर्य में शुक्राणु की उपस्थिति बिल्कुल समाप्त होना तभी सुनिश्चित  हो सकता है जब ऑपरेशन के पश्चात वह कम से कम 20 बार वीर्य स्खलन करे | यह सलाह दी जाती है कि ऑपरेशन के 2 महीने बाद वह अपने वीर्य की जांच करवाए ताकि यह देखा जा सके की उसमें शुक्राणु हैं या नहीं | अगर उसमें तब भी शुक्राणु पाए जाते हैं तो पुरुष को कंडोम का प्रयोग करना चाहिए | इस दौरान आप अपने दियामी गर्भनिरोधक का प्रयोग जरी रखें |

नसबंदी करवाने वाले पुरुष सीढियां चढ़ना जारी रखें | साइकिल चलाना या खेत पर काम करने जैसी शारीरिक कार्य करने में कोई कठिनाई नहीं आती है |

महिलाओं के लिए ऑपरेशन (नसबंदी)

नालबंदी का ऑपरेशन, नसबंदी का ऑपरेशन की तुलना में थोडा कठिन होता है परंतु फिर भी यह एक बहुत सुरक्षित ऑपरेशन है | इससे लगभग 30 मिनट लगते हैं |

इसके लिए 2 तरीके प्रयोग किए जाते हैं | मिनी लैप्रोत्मी (मिनी लैप्स) और लैप्रोस्कोपी यह दोनों ही स्थायी साधन हैं और किसी प्रिशिक्षित स्वास्थ्य कर्मचारी द्वारा ही किए जाने चाहिए |

मिनी लैप्रोत्मी (मिनी लैप्स)

महिला के पेट में 2 इंच का चीरा लगाया जाता है और फैलोपियन नलिकाओं को (जो अंडे को गर्भाशय तक ले जाती है ) पकड़ कर बांध दिया जाता है या बांध कर काट दिया जाता है | यह प्रसव के तुरंत पश्चात करना काफी सरल होता है क्योंकि गर्भाशय पेट में काफी उपर होता है | इस ऑपरेशन से महिला की संभोग की इच्छा या उसका आनंद उठाने की शक्ति कम नहीं होती है |

लैप्रोस्कोपी

नाभि के उपर एक छोटा सा चीरा लगाया जाता है | फैलोपियन नलिकाओं को पहचान कर पकड़ने के लिए लैप्रोस्कोप नामक यंत्र से तत्पश्चात, इन नलिकाओं को क्लिप से बांध दिया जाता है |

बंधीकरण एक स्थायी साधन है | तदापि आपातकालीन स्थिति में फैलोपियन नलिकाओं को फिर से खोलना संभव नहीं है हालांकि यह एक लंबी, पेचीदा व महंगी प्रक्रिया है जो केवल कुछ विशेष केन्द्रों में ही संभव हैं और जिसकी सफलता की कोई गारंटी नहीं दी जा सकती है|

महत्वपूर्ण

बंधीकरण से एच.आई.वी./ एड्स तथा अन्य एस.टी.डी से कोई सुरक्षा नहीं होती है | इसलिए आपको इन रोगों से बचाव के लिए अन्य तरीकों के बारे में सोचना होगा |

परिवार नियोजन के आपातकालीन साधन

परिवार नियोजन के आपातकालीन साधन वे तरीके हैं जिनसे असुरक्षित संभोग के बाद गर्भधारण से बच सकती हैं | ये साधन निषेचित अंडे को गर्भाशय में स्थापति होने से रोकते हैं | ये तभी प्रभावी हैं जब इन्हें असुरक्षित संभोग के तुरंत पश्चात शीघ्रातिशीघ्र प्रयोग किया जाए|

आपातकालीन साधन सुरक्षित व प्रभावी होते हैं परंतु इनका नियमित गर्भ निरोधन के लिए प्रयोग नहीं किया जाना चाहिए | इनको बार-बार प्रयोग करने की सिफारिश नहीं की जाती है |

आपातकालीन गोलियां

आपातकालीन गर्भ निरोधक गोलियां वहीं सयुंक्त गर्भ निरोधक गोलियां है जिन्हें अनके महिलाएं रोज प्रयोग करती हैं परंतु आपातकाल में आप इनकी अधिक मात्रा थोड़े समय में लेती हैं | अगर असुरक्षित संभोग के बाद गर्भ धारण व अनावश्यक गर्भपात रोकना है तो यह जरूरी है कि इनका प्रयोग शीघ्रातिशीघ्र- हो सके तो 72 घंटों में ही किया जाए |

ये गोलियां तब कार्य नहीं करेंगी अगर आप पहले से ही गर्भवती हैं या आपने असुरक्षित संभोग 2 दिन पहले किया था |

आपातकालीन गर्भनिरोधक गोलियों का प्रयोग किस प्रकार करें ?

ओवरल/ ओवरल जी( नोरजैस्ट्रेल 0.50 मि० ग्रा० + एथिनाईल इस्ट्राडयोल 0.50 मि० ग्रा०) असुरक्षित संभोग के बाद 73 घंटों के अंदर, 2 गोलियां एक साथ लें और 2 गोलियां की दूसरी खुराक 12 घंटे बाद लें |

माला डी ( नोरजैस्ट्रेल 0.30 मि० ग्रा० + एथिनाईल इस्ट्राडयोल 0.03 मि० ग्रा०)

असुरक्षित संभोग के बाद, 72 घंटों के अंदर, 4 गोलियां एक साथ लें और 12 घंटे के बाद 4 गोलियां एक साथ फिर से लें |

आपातकालीन गर्भ निरोधक से आपको सिरदर्द हो सकता है और जी मितला सकता है | इसलिए इन गोलियों को खाने के साथ लें और हो सकते तो उलटी रोकने की दवा भी साथ लें | अगर आप गोलियां लेने के 3 घंटे के भीतर उलटी कर देती हैं तो वह खुराक फिर से लें |

आपकी अगली माहवारी तक आपको या तो संभोग नहीं करना चाहिए या फिर कंडोम का प्रयोग करें | आपकी माहवारी आने के बाद आपको इच्छा अनुसार परिवार नियोजन का कोई साधन अपनाना चाहिए |

आपकी अगली माहवारी लगभग 2 सप्ताह में शुरू हो जानी चाहिए | अगर तब तक नहीं आती है तो इसका अर्थ है की आप आपातकालीन गर्भ निरोधक के प्रयोग के बावजूद शायद गर्भवती हो गई हैं | जब आपको गर्भ धारण का पूरा विश्वास न हो जाए, आपको अवरोधक साधन प्रयोग करते रहना चाहिए |

अन्य आपातकालीन साधन

मिनी पिल्स (“केवल प्रोजेस्टिन” गोलियां )

इन में इस्ट्रोजेन नहीं होता है, इसलिए संयुक्त गर्भनिरोधक गोलियां की तुलना में इनसे कम जी मितलाना है | ये गोलियां तभी कार्य करती हैं जब इन्हे असुरक्षित संभोग के बाद 72 घंटों के अंदर प्रयोग किया जाए |

मिनी पिल्स की 20 गोलियां एक साथ लें | 12 घंटों के बाद फिर 20 गोलियां एक साथ लें |

आई.यू.डी

यह भी निषेचित अंडे को गर्भधारण की भित्ती में स्थापित होने से रोकती हैं |

असुरक्षित संभोग के 5 दिनों के अंदर किसी प्रशिक्षित स्वास्थ्यकर्मी द्वारा आई.यु.डी लगवानी चाहिए | इसे अगले 5 वर्ष तक गर्भाशय में रखा जा सकता है और गर्भधारण से सुरक्षा पाई जा सकती है | अगर आपको एस.टी.डी का जोखिम है तो आई.यू.डी न लगवाएं | ( यौनिक हिंसा के मामलों में इस संभावना का ध्यान रखना चाहिए )|

अगर आपको परिवार नियोजन के किसी नये साधन के बारे में बताया जाता है तो इस साधन के विषय में आपने सारे प्रश्नों व चिंताओं के बारे में खुलकर चर्चा करना अवश्य सुनिश्चित करें कि आपको इसके बारे में निर्णय के लिए सारी जानकारी उपलब्ध हो और आप पर ऐसा कोई भी साधन अपनाने के लिए दबाव न डाला जाए तो आपके हित में नहीं है |

सर्वोतम साधन का चयन

इस अध्याय को पढ़ने के पश्चात अगर फिर भी आपके दिमाग में परिवार नियोजन के सर्वोतम साधन के बारे में दुविधा है तो नीचे दिया गया चार्ट आपकी सहायता कर सकता है | यह महत्वपूर्ण है कि आप ऐसा ही साधन चुनें जो आपकी आवश्यकताओं के एकदम अनुरूप है क्योंकि तभी आप इसे नियमित रूप से प्रयोग करेंगी और यह काफी प्रभावकारी होगा |

व्यक्तिगत आवश्यकता

शायद आप प्रयोग करना चाहें

आपको प्रयोग नहीं करना चाहिए

आपका साथी परिवार नियोजन में सक्रिय रूप से भाग नहीं लेना चाहता है

हार्मोन युक्त साधन, आई.यू.डी., डायाफ्राम

पुरुष कंडोम, प्राकृतिक साधन

आपकी नियमित माहवारी के अतिरिक्त बीच-बीच में होने वाला स्त्राव आपको चिंतित करता है और आपके लिए कठिनाई उत्पन्न करता है

अवरोधक साधन, आई.यू.डी

हार्मोन युक्त साधन

आपको और बच्चे नहीं चाहिए

बंधीकरण, एप्लान्ट्स , आई,यू.डी., इंजेक्शन

प्राकृतिक साधन, अवरोधक साधन

चाहे आप कुछ भी कहें, आपका साथी परिवार नियोजन अपनाना नहीं चाहता हैं

इंजेक्शन, आई.यू.डी

अवरोधक साधन, गर्भ निरोधक गोली, प्राकृतिक साधन

आपको अपनी योनि छूने में ग्लानी होती है

हार्मोन युक्त साधन, पुरुष कंडोम

डायाफ्राम, महिला कंडोम

आपको अपने साथी से संभोग न करने या उसे बीच में समाप्त करना अच्छा नहीं लगता है |

आई.यू.डी, हार्मोन युक्त साधन

अवरोधक साधन, प्राकृतिक साधन

आपको शंका है कि शायद आपके साथी के अन्य महिलाओं के साथ संबंध हैं और वह आपको एस.टी.डी संचारित न कर दे |

पुरुष या महिला कंडोम या कंडोम के साथ अन्य साधन

आई.यू.डी, हार्मोन युक्त साधन

आपके एक से अधिक यौन साथी है और या आपको एस.टी.डी हो चूका है |

कंडोम

आई.यू.डी

आप सोचती हैं कि शायद आप अगले एक वर्ष में बच्चा चाहेंगी |

कंडोम, डायाफ्राम,प्राकृतिक साधन, संयुक्त गोली, “केवल प्रोजेस्टिन” गोली

आई.यू.डी, इंजेक्शन एम्प्लान्ट्स

आप स्तनपान करा रही हैं

आई.यू.डी, कंडोम , शुक्राणु नाशक के साथ डायाफ्राम, मिनी पिल, “केवल प्रोजेस्टिन” इंजेक्शन

संयुक्त गर्भ निरोधक गोली, इस्ट्रोजनयुक्त इंजेक्शन

आपको अभी तक गर्भ नहीं ठहरा है |

हार्मोन युक्त साधन, अवरोधक साधन

आई.यू.डी.

आप कुछ भी याद रखने का कष्ट नहीं करना चाहती हैं |

आई.यू.डी., एम्प्लान्ट्स इंजेक्शन

गर्भ निरोधक गोली, प्राकृतिक साधन

महिला का निर्णय

कभी कोई महिला अपने बच्चों के बीच उचित अंतर या उनकी संख्या सीमित तो रखना चाहती हैं परंतु उसे वह परिवार नियोजन नहीं अपना पाती हैं | ऐसा होने के कई कारण हैं-

उसे विभिन्न साधनों के बारे में जानकारी नहीं मिल पाती है  |

कुछ गर्भ निरोधक साधन आसानी से नहीं मिलते हैं या परिवार के लिए बहुत महंगे होते हैं|

महिलाओं के लिए स्वास्थ्य या परिवार नियोजन की सेवाएं आस-पास उपलब्ध नहीं है या स्थानीय स्वास्थ्य कार्यकर्ता परिवार नियोजन सेवाएं प्रदान करने में प्रशिक्षित नहीं है |

धार्मिक विश्वासों के कारण परिवार नियोजन अपनाने पर पाबंदी है |

महिला का पति परिवार नियोजन अपनाने के लिए राजी नहीं है |

पति का परिवार शादी के बाद जल्दी बच्चा चाहत है |

कभी-कभी साधनों का प्रयोग सरल नहीं होता है, उदहारणतया, प्राकृतिक साधनों के प्रयोग के लिए माहवारी का हिसाब रखना और साथी/ पति का सक्रिय सहयोग आवश्यक  हैं | ऐसा करना हमारे पुरुष, अनपढ़/ अधपढ़े समुदायों में काफी कठिन होता है |

यहां कुछ उन बातों की चर्चा की जा रही हैं जिनका पालन, लोगों के समूहों, महिलाओं को परिवार नियोजन सेवाएं उपलब्ध कराने व परिवार सेवाओं को प्रोत्साहन देने के लिए कर सकते हैं |

शिक्षा प्रदान करना

समाज के हर महिला, पुरुष, लड़के व लड़की को परिवार नियोजन के बारे में जानकारी उपलब्ध कराएं | शिक्षा कार्यक्रम लोगों को परिवार नियोजन के फायदों के बारे में जाकारी दे सकते हैं और वे दपतियों को उनके लिए सर्वोतम साधन चुननें में सहायक हो सकते हैं | संभवत: आप महिलाओं तथा दंपतियों से परिवार नियोजन के विषय में उनके अनुभवों तथा आम चिंताओं के बारे में चर्चा की शुरुआत व अगुवाई कर सकती हैं | जब आप परिवार नियोजन के बारे में बात करे तो यौन संक्रमण रोगों तथा एच.आई.वी./एड्स की रोकथाम की चर्चा भी छेड़ें, विशेषत: उन क्षेत्रों में जहां प्रवासन काफी अधिक है |

परिवार नियोजन साधनों को कम कीमत पर उपलब्ध कराएं

स्थानीय कार्यकर्ता को परिवार नियोजन सेवाओं के लिए प्रशिक्षण दिलवाएं, महिलाओं के लिए स्वास्थ्य केंद्र खुलवायें या अपनी क्लिनिक में ये सेवाएं उपलब्ध करायें |

विस्तारित सेवा प्रदान करने वाले पुरुष स्वास्थ्यकर्मी को प्रशिक्षित करें, ताकि वे पुरुषों को यह समझने में सहायता करें कि प्रजनन में उनकी भूमिका महत्वपूर्ण है ताकि वे परिवार नियोजन की ज्म्मेवारी में अपनी भागीदारी कर सकें | पुरषों की “मर्दानगी” के बारे में विचारों को परिवर्तित करें ताकि वे परिवार नियोजन कार्यक्रमों में समर्थन देकर, अपने साथी के साथ भागीदारी निभा सकें | यह स्पष्ट करें कि पुरुषों के लिए परिवार नियोजन के साधन बहुत सरल हैं और उसे कोई बुरा असर नहीं होता है | समुदाय में अपने शिक्षा प्रयसों में वहां प्रचलित स्थानीय विश्वासों व धारणाओं को सम्मिलित करें जैसे कि लड़के की चाहत ; शादी के तुरंत पश्चात बच्चा होना आदि | इससे परिवार नियोजन को स्वीकार करने में सहायता मिलेगी |

परिवार नियोजन के बारे में स्थानीय धार्मिक धारणाओं व चिंताओं का ख्याल रखें, अगर परिवार नियोजन को किसी साधन को ऐसे तरीके से समझाया जा सकता है कि धार्मिक विश्वासों को ठेस न पहुंचे तो उस साधन की अधिक स्वीकार्यता होगी |

जब आप अपने समुदाय में परिवार नियोजन के बारे में चर्चा करें तो यह याद रखने व अन्य लोगों को बताने से सहायता मिलती हैं कि परिवार नियोजन केवल महिलाओं के अच्छे स्वास्थ्य व कुशलक्षेमता के लिए ही नहीं, बल्कि आपके समुदाय में हरेक के जीवन की गुणवत्ता को सुधारने के लिए आवश्यक  हैं |